अवैध नशा छुड़ाओ केन्द्र में पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की रेड, आरोपी पिता-पुत्र गिरफ्तार

punjabkesari.in Wednesday, Apr 03, 2019 - 12:36 PM (IST)

लुधियाना(ऋषि) : गांव आलमगीर के नजदीक दशमेश नगर में एक बाप-बेटा बिना लाइसैंस और डाक्टरों के एक घर में खुद का गैर-कानूनी नशा छुड़ाओ केंद्र चला रहे थे।

इस बात का खुलासा थाना डेहलों की पुलिस और साहनेवाल से आई स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीमों की तरफ से मंगलवार दोपहर लगभग 12 बजे की गई रेड के बाद हुआ जिसके बाद वहां से 24 मरीजों को छुड़वाकर सिविल अस्पताल लुधियाना में भर्ती करवाया गया। पुलिस ने पिता बिक्रम सिंह और बेटा भूपिंद्र सिंह के खिलाफ धारा-420, 342, 323, 506 व 34 आई.पी.सी. के तहत केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया है जिन्हें बुधवार को अदालत में पेश किया जाएगा। इस बात की भी जांच की जा रही है कि उक्त केंद्र कितने समय से चल रहा था। 

दाखिल मरीज की सड़क पर की धुनाई, लोगों ने पुलिस को दी सूचना
पुलिस के अनुसार दोराहा के रहने वाले एक युवक को लगभग 2 महीने पहले उसके परिजनों ने उपचार के लिए उक्त आरोपियों के पास दाखिल करवाया था। घायल युवक ने बताया कि अक्सर सभी के साथ वहां मारपीट की जाती है। सोमवार को उक्त आरोपियों द्वारा की गई मारपीट से तंग आकर मंगलवार को वहां से भाग गया। पता चलने पर उक्त आरोपियों ने उसका पीछा किया और कुछ दूरी पर बीच सड़क पकड़कर धुनाई करनी शुरू कर दी। तभी बचाव के लिए आए राहगीरों को युवक ने सारी दास्तान सुनाई जिसके बाद उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम पर सूचना दी जिसके बाद संयुक्त टीम ने रेड कर सभी को छुड़वाया।

प्रत्येक मरीज से वसूल रहे थे 10 हजार महीना
पुलिस के अनुसार बाप-बेटा प्रत्येक मरीज के परिवार से 10 हजार रुपए महीना वसूल रहे थे। मरीजों के अनुसार उन्हें खाने में केवल चावल और गर्म पानी दिया जाता था। जब भी उनका शरीर दर्द करता तो उन्हें पेन किलर देकर बिठा देते, अगर कोई विरोध करता तो उससे मारपीट की जाती और वहां पर कोई भी डाक्टर नहीं था।

अधिकारियों की जांच में स्पष्ट होगा, क्यों नहीं की थी पुलिस ने कार्रवाई
लगभग डेढ़ महीना पहले भी साहनेवाल के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से उक्त केंद्र में रेड की गई थी। इतना ही नहीं, थाना डेहलों की पुलिस को भी मौके पर बुलाया गया था लेकिन उस समय पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस द्वारा एक्शन न लेने के पीछे का कारण तो उच्चाधिकारियों की जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकता है।

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