4 वर्षों से नौजवान पुत्र का इंतजार कर रहे माता-पिता पुत्र का ताबूत देख कर हुए बेहोश

punjabkesari.in Wednesday, Apr 04, 2018 - 01:49 PM (IST)

बलाचौर(ब्रह्मपुरी): लाड-प्यार से पाले अपने पुत्र जसवीर सिंह को जहां उसके अच्छे भविष्य के लिए जिन माता-पिता ने कर्ज उठाकर विदेश भेजा था आज उनके सामने जसवीर सिंह खुद न होकर उसकी मु_ी भर हड्डियां ही थीं, जिनको देखकर उसके वृद्ध माता-पिता बेहोश हो गए। आज प्रात: काल करीब 11:30 बजे जब गांव महम्पीपुर के जंज घर में लाकर सरकारी अधिकारियों की ओर से जसवीर सिंह के अवशेष वाला ताबूत रखा गया तो सारा गांव रो उठा। जिस जंज घर से बारात जाती है उस गांव के जंज घर से बारात की जगह अविवाहित नौजवान पुत्र के ताबूत में अवशेष पड़े थे। 

उसके माता-पिता व सगे संबंधी जहां सरकार को कोसते थे, वहीं 4 वर्षों से पुत्र के इंतजार में परिवार की हालत गमगीन हुई पड़ी थी। जसवीर सिंह पुत्र बख्शीश सिंह अगस्त 2013 में ईराक गया था परन्तु 15 जून 2014 को जसवीर ने परिवार के साथ बात की कि हमारी कंपनी के सारे स्टाफ को आतंकवादियों की ओर से अगवा कर लिया गया है। हमें टिकट भेज कर जल्दी भारत बुला लो। आज जब ईराक से उनके बेटे की ताबूत में मु_ी भर हड्डियां आईं तो ताबूत के पास उसकी मां बेहोश हो गई तथा पिता सुधबुध खो बैठे। इस मौके पर अवशेषों का संस्कार करने के उपरांत चौ. दर्शन लाल मंगूपुर विधायक बलाचौर ने उपस्थित होकर पारिवारिक सदस्यों तथा रिश्तेदारों के साथ सरकार की ओर से गहरे दुख का प्रकटावा किया। 

किसने दी मुखाग्नि 
मृतक नौजवान के अवशेषों को मुखाग्नि उनके भाइयों भूपिंद्र सिंह, सुरिन्द्र पाल तथा कुलविंद्र कुमार ने दी। 

कौन-कौन प्रशासानिक अधिकारी शामिल हुए 
डिप्टी कमिश्रर अमित कुमार, जगजीत सिंह एस.डी.एम., चेतन बंगड़ तहसीलदार, थानेदार सोढी सिंह, अजय कुमार एस.एच.ओ. के अलावा प्रेम रक्कड़ प्रांतीय मुलाजिम नेता, का. महा सिंह रोड़ी, तरसेम लाल, डा. सुरिन्द्र सिंह नागरा, जसपाल सिंह जाडली, दलजीत सिंह माणेवाल, का. बलवीर सिंह जाडला, भगत सिंह नागरा, ढाडी कश्मीर सिंह कादर, बगीचा सिंह रक्कड़, का. अच्छर सिंह, सरपंच गुरमेज कौर, आदर्श कुमार, मा. जंगी आदि उपस्थित थे। 

मृतक के अवशेषों को भारत लाने संबंधी घटिया प्रबंधों को लोग कोसते रहे 
जवान पुत्र की मु_ी भर हड्डियों के लिए केन्द्र सरकार की ओर से पहले 21 मार्च को आने वाले अवशेषों को सरकारी औपचारिकताओं के लारों के बाद फिर 2 अप्रैल को भारत लाने संबंधी घटिया प्रबंधों को लोग मौके पर कोसते रहे। 
 

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