एस.पी.साहब, मेरी इज्जत पर हाथ डालने वाले 48 घंटे में गिरफ्तार न हुए तो करूंगी ‘आत्मदाह’

punjabkesari.in Wednesday, Aug 28, 2019 - 09:27 AM (IST)

अमृतसर(सफर): हरेक भारतीय को आजादी से रहने की इजाजत देश का संविधान देता है। ऐसे में कानून के जानकार कभी भी ‘मात’ नहीं खाते। चाहे वो अनपढ़ ही क्यों न हो। यह बातें हवा में नहीं है। बात कर रहे हैं ऐसी महिला की जिसने इंसाफ पाने के लिए ‘कानून’ की धाराएं जानी। 11 महीने पहले अपनी इज्जत पर हाथ डालने वाले आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए महिला ने जब थाने में जाकर महिला अधिकार कानून की धाराएं गिनाई तो पुलिस भी हक्की-बक्की रह गई। जो पुलिस वाले उसकी सुनते ही नहीं थे वो यूं कहे जी हजूरी में लग गए। आनन-फानन में डी.सी.पी. के फोन के बाद ए.सी.पी.ईस्ट से लेकर थाना मकबूलपुरा के होश ठिकाने आ गए। 

हम बात कर रहे हैं मकबूलपुरा में रहने वाली बबीता की। जिसके बयानों पर थाना मकबूलपुरा में 19 सितंबर 2018 में एफ.आई.आर.नंबर 104 दर्ज करते हुए तीन लोगों के खिलाफ छेडख़ानी का विरोध करने पर पिटाई का आरोप लगाया था। इस मामले में 11 महीने बाद भी जब आरोपी गिरफ्तार नहीं हुए तो 2 दिन पहले बबीता ने जगमोहन सिंह (डी.सी.पी इन्वैस्टीगेशन एंड सिक्योरिटी) से गुहार लगाते हुए कहा था कि ‘मेरी इज्जत पर हाथ डालने वाले आरोपियों को पुलिस अगर 48 घंटे में गिरफ्तार नहीं करती तो भंडारी ब्रिज पर वह आत्मदाह कर लेगी। 

डी.सी.पी.ने मौके पर ही थाना मरकबूलपुरा के एस.एच.ओ. इन्द्रजीत शर्मा को फोन करके इस मामले में रिजल्ट मांगा तो पता चला कि फाइल तो ए.सी.पी.ईस्ट जसप्रीत सिंह ने मंगवा रखी है।उधर, ए.सी.पी.ईस्ट से बबीता ने मिलकर खूब खरी-खोटी सुनाई तो ए.सी.पी.ने 10 दिन की मोहलत मांगने पर महिला भड़क गई कहने लगी 11 ‘11 महीने तो हो गए एफ.आई. आर.किए , आपने 24 घंटे में गिरफ्तार करने का दावा किया था , अब कितनी मोहलत दूं। मैं आपको, मुझे 48 घंटे में इंसाफ न मिला तो मेरी मौत की जिम्मेदार पुलिस होगी ’। यह सुनते ही ए.सी.पी.ईस्ट ने समझाते हुए कहा कि थोड़ा वक्त दें, गिरफ्तारी तय है। 

सियासत का ‘हाथ’ है आरोपियों पर : बबीता
बबीता के साथ छेडख़ानी करने वाले आरोपियों पर सियासत का ‘हाथ’ है। 1 विधायक सीधे आरोपियों का बचाव करता दिख रहा है। ऐसे में बबीता ने साफ कर दिया है कि अगर उसे इंसाफ नहीं मिला तो पिछली बार जिस ए.सी.पी.ने उन्हें मरणब्रत से उठाया था, वायदा किया था 24 घंटे में गिरफ्तारी तय है आज 11 महीने बाद कह रहा है कि 10 दिन का वक्त दो, पुलिस जानबूझकर बड़े व दबंग लोगों का साथ दे रही है मैं तो ठहरी मजदूर महिला, आखिर कब मिलेगा इंसाफ।

अपनी इज्जत पर हाथ डालने वालों को जेल भेजना ही मेरा मकसद रह गया है, मुझे केस वापस करने के लिए पैसा दिया जा रहा है लेकिन पैसों से इज्जत तो नहीं खरीदी जा सकती। मैंने थाने में जाकर पुलिस वालों को बताया कि कानून क्या कहता है, मैंने कचहरी जाकर वकीलों से समझा और मैं वकीलों से कानून की धाराएं लिखवा कर लाई थी जिस कानून के तहत महिलाओं की रक्षा पुलिस करती है। 

मैंने थाने के एस.एच.ओ. को फोन कर दिया है : डी.सी.पी 
मेरे पास महिला आई थी, मैंने थाने के एस.एच.ओ.को फोन कर दिया है। महिला को इंसाफ मिलेगा। 

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