पंजाब में वित्तीय धोखाधड़ी अब गैर-जमानती अपराध

punjabkesari.in Friday, Jun 01, 2018 - 09:42 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): पंजाब में वित्तीय धोखाधड़ी करने वालों को अब जमानत नहीं मिलेगी। नए कानून के तहत अधिकतम 10 साल सजा और संपत्ति जब्त करने का प्रावधान है। पंजाब मंत्रिमंडल ने ‘द पंजाब प्रोटैक्शन ऑफ इंट्रस्ट ऑफ डिपॉजिटर्स (इन फाइनैंशियल एस्टैब्लिशमैंट) बिल-2018’ को हरी झंडी दे दी है। मुख्यमंत्री अमरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई अहम फैसले हुए। मंत्रिमंडल ने पंजाब में बेघर स्वतंत्रता सेनानियों और 3 लाख से कम सालाना आय वाले बेघर ग्रामीणों की मकान के लिए पंजाब ग्रामीण आवास योजना को भी मंजूरी दी है। 
वजीफा वितरण में वित्तीय जांच के मद्देनजर अनुसूचित जातियों के छात्रों को कोई मुश्किल पेश न आने को सुनिश्चित करने के लिए पोस्ट मैट्रिक
स्कॉलरशिप स्कीम के अंतर्गत प्राइवेट शैक्षिक संस्थाओं को फंड जारी करने की स्वीकृति भी दी है। साथ ही मंत्रिमंडल ने एतराजयोग्य रकम पर 9 प्रतिशत
दंड ब्याज की वसूली को हरी झंडी दी है। उच्च शिक्षा काऊंसिल के गठन सहित विधायकों की एक्सग्रेशिया राशि 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख करने और
नायब तहसीलदार (ग्रुप-बी) सेवा नियम-2018 को भी मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने रिवर्स माइङ्क्षनग मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर माइङ्क्षनग
ठेकेदारों को मुआवजा देने पर भी सहमति जताई है। यह मुआवजा 11 करोड़ रुपए है। 
 वहीं,  म्यूनिसीपल हद में अवैध निर्माण को रैगुलराइज करने के लिए वन टाइम सैटलमैंट पॉलिसी को भी मंजूर कर दिया गया है। हालांकि वही निर्माण
नियमित किए जाएंगे, जो पर्यावरण कानून या राज्य सरकार के घोषित कानून पर खरे पाए जाएंगे। 
मुनाफे का लालच देने वाली कंपनियों पर कसेगी नकेल : वित्तीय धोखाधड़ी मामले में नए कानून से मुनाफे का लालच देने वाली कंपनियों पर नकेल
कसेगी। सरकार की मानें तो नया कानून कुकुरमुत्तों की तरह पनप रहीं उन वित्तीय कंपनियों पर लगाम लगाएगा, जो मध्यवर्गीय व गरीब जनता का पैसा
लेकर रफूचक्कर हो जाती हैं या तय समय पर पैसा वापस नहीं देतीं। यह कानून पैसे दोगुना करने की आड़ में धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों पर रोक
लगाएगा। कानून की धारा-6 में कंपनी धोखा करती है, तो मालिक, मैनेजर और कर्मचारियों को सजा होगी व एक लाख तक जुर्माना देना होगा। कंपनी को
2 लाख से एक करोड़ रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।  
स्वतंत्रता संग्रामियों को पहले मिलेंगे मकान : ग्रामीण आवास योजना के तहत पहले चरण में बेघर स्वतंत्रता संग्रामियों को आवास दिए जाएंगे। सरकार ने
शर्त रखी है कि वे जहां मकान बनाना चाहते हों, वहां के पक्के निवासी होना जरूरी है। संयुक्त परिवारों में रह रहे विवाहित बेघर/बे-जमीने लड़के जिनका
अलग बिजली कनैक्शन या राशन कार्ड हो, स्कीम के लिए योग्य होंगे। लाभपात्री को सरकार की ओर से 1.20 लाख की राशि दी जाएगी। इसके अलावा
मनरेगा स्कीम के साथ जोड़ कर 90 दिनों की मजदूरी मकान निर्माण के लिए दी जाएगी। 
 वजीफे के मामले में डिफाल्टरों से वसूला जाएगा ब्याज : पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीम के तहत प्राइवेट शैक्षिक संस्थाओं को फंड जारी करने की
स्वीकृति के साथ मंत्रिमंडल ने एतराजयोग्य रकम पर ब्याज के साथ वसूली को हरी झंडी दी है। ऐसे मामले जहां एतराजयोग्य रकम 50 लाख से अधिक
है, उनके विरुद्ध कल्याण विभाग की ओर से संबंधित विभागों द्वारा कारण बताओ नोटिस के बाद कानूनी, आपराधिक और प्रशासकीय कार्रवाई की
जाएगी। मुख्यमंत्री ने 16 जून, 2017 को वित्त विभाग की तरफ से पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप स्कीमों की विशेष पड़ताल के आदेश दिए थे। विभाग की
अंदरूनी ऑडिट संस्था अभी और पड़ताल कर रही है। कल्याण विभाग को 27 अप्रैल, 2018 तक हासिल रिपोर्ट के मुताबिक 3606 में से 1536 सरकारी
और प्राइवेट संस्थाओं की जांच की गई, जिनमें 372.80 करोड़ की राशि एतराजयोग्य पाई गई। संयोगवश, केंद्रीय सहायता की 1615.79 करोड़ की राशि
अभी भी भारत सरकार के पास बकाया है।  


खनन की प्रगतिशील बोली को भी हरी झंडी
सुप्रीम कोर्ट में प्रमुख लड़ाई जीतने के बाद पंजाब सरकार ने प्रगतिशील बोली द्वारा खनन ठेके देने के फैसले को भी मंत्रिमंडल की बैठक में हरी झंडी दे
दी है इससे राजस्व में बड़ा विस्तार होने और अवैध खनन को रोकने की संभावना है। इसी माह में सुप्रीम कोर्ट ने खदानों की रिवर्स बोली की जगह
प्रोग्रैसिव बोली के राज्य सरकार के फैसले को मंजूरी दी है व सभी खनन सरगर्मियां तुरंत रोके जाने के आदेश दिए हैं।
 ठेकेदारों को खनन स्थानों से मशीनरी हटाने के लिए निर्देश दिए गए थे जिससे खदानें फिर राज्य सरकार के पास बोली के लिए आने का रास्ता साफ
हुआ। 
गौरतलब है कि मंत्रिमंडल ने 19 अप्रैल, 2017 को प्रगतिशील बोली द्वारा खदानों की बोली का फैसला लिया था। रिवर्स बोली द्वारा अलॉट खदानों को
कैबिनेट द्वारा स्वीकृत विधि द्वारा प्रगतिशील बोली द्वारा प्राप्त प्रति टन औसत बोली अनुसार तबदील करने का फैसला लिया गया। 

Sonia Goswami