अब जेल में भी लोकतंत्र; हर बैरक से चुने जाएंगे 5 पंच

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2019 - 01:00 PM (IST)

लुधियाना(महेश/गौतम): पिछले दिनों जेल में हुए उपद्रव को देखते हुए जेल प्रबंधन द्वारा जेल में लोकतांत्रिक ढांचा स्थपित किया जा रहा है। जिसमें हर बैरक से 5 सदस्य चुने जाएंगे जिनको पंच कहा जाएगा। ऐसा जेल प्रबंधन व कैदियों में बेहतर संवाद स्थापित करने के लिए किया जा रहा है।  एक तरफ जहां जिला पुलिस प्रशासन की मदद से जेल में सख्ती कर दी गई है और कैदियों को बैरकों में अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया गया है, उसके समानांतर ऐसा कदम इसलिए उठाया गया है कि कोई भी शरारती तत्व कैदियों को उकसाकर दोबारा ऐसे हालात न बना सके। 
 

अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील

सूत्रों के अनुसार जेल प्रबंधन ने देर रात हर बैरक से कुछ चुनिंदा कैदियों को बुलाकर एक बैठक की है जिसमें उनसे आग्रह किया गया है कि वे बैरकों में जाकर बाकी कैदियों को सच्चाई से अवगत करवाएं व उनसे कहें कि वह अफवाहों पर ध्यान न दें। उन्होंने कैदियों को स्पष्ट तौर पर चेतावनी दे दी है कि किसी भी उपद्रवी का साथ देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा, चाहे अतीत में उसका आचरण कितना ही अच्छा क्यों न हो। जेल प्रबंधन ने कहा कि वह कुछ विशेष कैदियों को ऐसा उपकरण मुहैया करवाएंगे जिससे नशा बेचने वाले के विरुद्ध सीधे शिकायत कर सकेंगे और उनका नाम और पहचान भी सामने नहीं आएगी। नशा बेचने वाले पुलिस मुलाजिमों को भी बख्शा नहीं जाएगा। आज जो कैदियों बैरकों में बंद कर दिया गया है जिसके जिम्मेदार वे खुद ही हैं। वे जेल का वातावरण सामान्य व सौहार्दपूर्ण बनाने में प्रशासन को सहयोग दें। 

काली भेड़ों को पकड़ा तो हो गया जेल में उपद्रव !

पुलिस मुलाजिमों द्वारा जेल में नशा बेचने के मुद्दे पर जेल प्रशासन का कहना है कि पहले तो जब किसी कैदी को नशा करते हुए पकड़ते थे तो उसे थोड़ी-बहुत सजा देकर छोड़ दिया जाता था। तब तक सब कुछ सामान्य था, परंतु जब नशा सप्लाई करने वाले पुलिस मुलाजिमों व कैदियों पर हाथ डाला तो जेल में उपद्रव हो गया। ऐसा करने में किन मुलाजिमों का हाथ है, उसकी जानकारी जेल प्रबंधन के पास आ गई है। कौन-कौन से मुलाजिमों का रैकेट नशा बेचने वालों से जुड़ा हुआ है, उसकी पूरी जानकारी व उनकी मोबाइल डिटेल उनके पास आ गई है। आने वाले दिनों में कई बड़ी मछलियां शिकंजे में होगी।

इंटैलीजैंसी रही फेल;  गैंगस्टरों ने तोडफ़ोड़ व कैदियों को भड़काने के लिए बनाई थी टीमें

केन्द्रीय जेल में बंदी सन्नी सूद की मौत की आड़ में हुए विद्रोह व जेल ब्रेक की कोशिश की प्लानिंग को जेल में तैनात इंटैलीजैंसी को भनक भी नहीं लगी। इंटैलीजैंसी की नाकामी के कारण ही जेल में ङ्क्षहसा भड़की जिस पर काबू पाने के लिए पुलिस को एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ा। अगर समय रहते खुफिया तंत्र को इसकी भनक होती तो इस कांड को रोका भी जा सकता था। पहले ही जेल ब्रेक की तैयारी में बैठे गैगस्टरों को जब मौका मिला तो उन्होंने सन्नी सूद की मौत की आड़ लेते हुए अपने इस प्लाङ्क्षनग को कामयाब करने की कोशिश की। विद्रोह करने वालों की असली प्लाङ्क्षनग मेन गेट या जेल की दीवार को तोडऩे की थी जिसके लिए उन्होंने ब्लॉस्ट भी किए, जबकि कुछ कैदियों का आरोप था कि जेल में सरेआम नशा बेचने व मोबाइल देने के लिए कुछ मुलाजिम मोटी रकम वसूल करते हैं और बैरक में अपनी मनपंसद की गिनती डलवाने के लिए भी धक्केशाही करते हुए मोटी रकम वसूली जाती है। इससे दुखी होकर ही कैदी विद्रोह करने पर उतारू हुए थे। 

मुलाजिम कम होने के कारण हावी हो गए गैंगस्टर

सरकारी रिकार्ड के अनुसार जेल अफसरों ने बताया कि हाई सिक्योरिटी जोन में बंद गैंगस्टर गगनदीप, घनिया, रणवीर, हरिंदर, भूपिंद्र व बूटा खान ने इस हमले की तैयारी की थी। कई गैंगस्टर पुलिस पर हमला व तोडफ़ोड़ करने जबकि उनके अन्य साथी बैरकों में बंद बंदियों को उकसाने का काम करने लगे। वहीं मेन गैंगस्टरों ने करीब 700 बंदियों को साथ लेकर ब्लास्ट करते हुए मेन गेट की तरफ हमला कर दिया। मुलाजिमों की कम गिनती होने के कारण गैंगस्टर उन पर हावी हो गए। गैंगस्टरों के साथ मिलकर रिस्पैशन ब्लॉक में बंद बाबू, सैंट्रल अहाता की बैरक नंबर 2 में बंद गग्गू, विशाल, पंकज, सुनील, बाबू राम, अजीत, स्वर्ण, रणजीत, गुरजंट, रोमिस, कर्मजोत, जोटा व अन्य कई बंदी बैरकों में जाकर बंदियों व कैदियों को यह कहकर भड़काते रहे कि जेल प्रशासन ने एक बंदी को इलाज न करवाकर मरवा दिया है। 

अफसर करते रहे शांत होने की अपील, मुलाजिमों को खदेड़ते रहे गैंगस्टर

इस दौरान बंदियों ने जब जेल में तैनात मुलाजिमों व अफसरों पर ईंट-पत्थरों से हमला किया तो सभी बचाव करते हुए ड्योढ़ी तक पहुंचे और पथराव करने वाले उन्हें खदेड़ते हुए आगे बढ़ते रहे। अधिकारी लैक्चर हाल में पहुंच कर पथराव कर रहे लोगों को शांत रहने की अपील करते रहे लेकिन उन्होंने और आगे बढ़ते हुए ब्लास्ट व तोडफ़ोड़ करते हुए गाडिय़ों व रिकार्ड रूम को आग लगा दी। जब भीड़ पूरी तरह से उग्र थी तो प्लाङ्क्षनग के अनुसार कैदियों ने भागना शुरू कर दिया। गैंगस्टरों ने ही जेल लंगर व स्टोर से गैस सिलैंडर छीने और मेन गेट को उड़ाने के लिए ब्लास्ट किया। कुछ लोगों ने मुलाकाती कमरे व कुछ ने महिला जेल की तरफ से भागने की कोशिश की। 

क्रॉस फायरिंग की कोई नहीं कर रहा पुष्टि

पुलिस ने  पहले लाठीचार्र्ज किया और फिर हवाई फायरिंग शुरू कर दी। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जब पुलिस ने हवाई फायरिंग की तो व्रिदोह कर रहे लोगों ने पुलिस मुलाजिमों से हथियार छीन कर क्रॉस फायरिंग की लेकिन कोई भी अफसर इसकी पुष्टि करने को तैयार नहीं है। इसी फायरिंग के दौरान अजीत नामक युवक को गोली लगी।  


भोजन की सप्लाई प्रभावित होने की संभावना

सूत्र बताते हैं कि जेल में कई बैरकों में बंदियों को भोजन की सप्लाई बंद होने की संभावना है। बंदियों के पास जेल कैंटीन से एकत्रित किया गया खाने-पीने के सामान भी नहीं बचा है और जेल की कैंटीनों में खाने-पीने की सप्लाई भी न के बराबर बताई जा रही है। 

कई स्थानों पर गुप्त ढंग से तैनात हुए कर्मचारी 

जेल के अन्दर व बाहर कई स्थानों पर पुलिस कर्मचारी तैनात करने के साथ-साथ गश्त भी कर रहे हैं ताकि किसी प्रकार की होने वाली अप्रिय घटना से बचा जा सके। इसके लिए जेल के कर्ई स्थानों पर गुप्त ढंग से भी कर्मचारी तैनात किए हुए हैं। 

बूटों व सोने वाले खड्डों में भी छुपाए जाते हैं मोबाइल 

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जेल के अन्दर कई बैरकों से मोबाइल छुपाए होनेे की चर्चाएं चल रही हैं और यह जेल अधिकारियों के लिए एक चुनौती है। सूत्र बताते हैं कि मोबाइल छुपाने के 
लिए बंदी बूटों व सोने वाले खड्डों का भी इस्तेमाल करते रहते हैं।  

जेल सुपरिंटैंडैंट ने नहीं उठाया फोन 

इस संबंध में विस्तृत जानकारी लेने के लिए जेल सुपरिंटैंडैंट से बातचीत करने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने मोबाइल नहीं उठाया। 

जिलाधीश, डी.सी.पी. व ज्यूडीशियल मैजिस्ट्रेट ने शुरू की जांच 

27 जून को सैंट्रल जेल में बंदियों द्वारा मचाए उपद्रव के बाद उत्पन्न हुई स्थिति के मामले की जांच शुरू हो गई है।  जिलाधीश प्रदीप अग्रवाल, डी.सी.पी. अश्विनी कपूर व ज्यूडीशियल मैजिस्टे्रट हुस्नजीत सिंह बाजवा ने 30 जून से जांच शुरू कर दी है।

कैदियों व हवालातियों का मानसिक संतुलन हो सकता है प्रभावित  

ताजपुर रोड सैंट्रल जेल में हिंसक घटना को 72 घंटे का समय बीत जाने पर भी बैरकों से कैदी व हवालातियों की बंदी न खुलने के कारण इसका गंभीर असर इनके मानसिक संतुलन पड़ने की संभावना जताई जा रही है। स्थिति का जायजा लेने के लिए जिलाधीश प्रदीप अग्रवाल, एस.डी.एम., डी.सी.पी. अश्वनी कपूर, ए.डी.सी.पी. क्राइम सुरिन्द्र लांबा व ए.सी.पी. दविन्द्र चौधरी सहित कई प्रशासनिक, पुलिस व जेल अधिकारियों ने विभिन्न स्थानों का दौरा किया। ङ्क्षहसक घटना में आगजनी के दौरान सरकारी सम्पत्ति के हुए नुक्सान की वीडियो व फोटोग्राफी भी करवाई गई। इसके उपरांत जेल परिसर में स्थापित कैंटीन, मुलाकात रूम आदि परिसर के बाहरी स्थानों का अधिकारियों ने भारी फोर्स के साथ दौरा किया। 

swetha