पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों का जबरन धर्मांतरण गंभीर चिंता का विषय : प्रो. सरचंद सिंह

punjabkesari.in Friday, May 05, 2023 - 05:48 PM (IST)

पंजाब डेस्क: अमृतसर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सलाहकार और भाजपा के सिख नेता प्रो. सरचंद सिंह ख्याला ने पाकिस्तान में हिंदू और सिख समुदायों के जबरन धर्मांतरण पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा से इस मामले को लेकर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की अपील की है।

प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि पाकिस्तान का सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक माहौल समेत पूरी व्यवस्था अल्पसंख्यकों के लिए दमनकारी हो गई है और जबरन धर्मांतरण में लिप्त चरमपंथियों को सरकारी पनाह मिल रही है। हाल ही में पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मीरपुरखास में 10 हिंदू परिवारों के 50 सदस्यों को इस्लाम कबूल कराने के समारोह में धार्मिक मामलों के मंत्री मोहम्मद तलहा महमूद के बेटे मोहम्मद शामरोज खान की शिरकत इसका स्पष्ट प्रमाण है। प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ नफरत फैलाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि सिंध प्रांत के कस्बों में कुझ दिन पहले ऐसे पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें हिंदुओं को एक महीने के अंदर अपने धर्म छोड़ने के या पाकिस्तान छोड़ने को कहा है। जिससे उनमें डर का माहौल बनना स्वाभाविक है। इससे पहले स्थानीय हिंदू और मुस्लिम लोगों ने जबरन धर्मांतरण के लिए कुख्यात मौलवी मियां मिठू को सिंध प्रांत से बाहर करने की मांग की थी।

प्रो. सरचंद सिंह ने पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों की लगातार घटती आबादी की सत्यापित रिपोर्टों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आजादी के बाद पाकिस्तान में लगभग 15 प्रतिशत हिंदू आबादी थी, जो अब जबरन धर्मांतरण और कानूनी और सामाजिक भेदभाव जैसे मानवाधिकारों के हनन के कारण हिन्दू कुल जनसंख्या का मात्र 1.18 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने कहा कि आज पाकिस्तान में चरमपंथियों द्वारा प्रताड़ित किए जाने के कारण हाशिए पर पहुंचे हिंदुओं और सिखों का देश के विधान की व्यवस्था में असमान प्रतिनिधित्व है। कानूनी संरक्षण भी उनकी पहुंच से बाहर हो गया है, क्योंकि हिंदुओं और सिखों के उत्पीड़न के खिलाफ जांचकर्ताओं से लेकर अदालतों तक, तैनात अधिकारी बहु संख्यक से संबंधित हैं।

चरमपंथी जहां अल्पसंख्यकों के प्रति नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं उनके खिलाफ किसी भी तरह की कानूनी कार्रवाई न करने के लिए सरकारीतंत्र पर दबाव बना रहे हैं । नतीजतन, अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं और हिंदू लड़कियों को जबरन धर्म परिवर्तन के लिए निशाना बनाया जा रहा है। प्रो. सरचंद सिंह ने कहा कि सिंध में धर्मांतरण एक गंभीर मुद्दा है, स्थानीय हिंदू और सिख समुदाय के सदस्य कई वर्षों से सूबा सरकार से धर्मांतरण की प्रथा के खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। संबंधित बिल अब एक बार फिर सिंध की राज्य विधानसभा में पेश किया गया है, जिसे चरमपंथियों द्वारा खारिज करने के लिए जोर दिया जा रहा है। 2013 और 2016 में सिंध राज्य विधानसभा में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के संबंध में इसी तरह का बिल लाया गया था, फिर इसे 2019 में पारित किया गया, लेकिन इसके तुरंत बाद राज्य के राज्यपाल ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया गया है कि इस्लाम में धर्म परिवर्तन सवाब का कार्य है।

इसी तरह 18 साल से कम उम्र के लोगों के धर्मांतरण को अवैध बनाने के उद्देश्य से बनाए गए 'धर्मांतरण विरोधी कानून विधेयक' को पाकिस्तान की विशेष संसदीय समिति ने 13 अक्टूबर, 2021 को मौलवियों, उग्रवाद और धार्मिक मामलों के मंत्रालय के विरोध के कारण खारिज कर अल्पसंख्यकों को पूरी तरह से किनारे कर दिया गया। पाकिस्तान अपनी छवि सुधारने और 'धार्मिक पर्यटन' को बढ़ावा देने के लिए देश में धार्मिक स्वतंत्रता और सद्भाव के प्रति 'अटूट प्रतिबद्धता' का भ्रम हाल की घटनाओं से टूट गया है। जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यकों के मानवीय और धार्मिक अधिकारों की रक्षा करने का दावा करने वाले पाकिस्तान का पूरा सच एक बार फिर सामने आ गया है।

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News Editor

Kamini