अब नहीं लौटेंगे लाडले,ईराक में मरे भारतीयों के साथ उम्मीदें दफन

punjabkesari.in Wednesday, Mar 21, 2018 - 09:28 AM (IST)

होशियारपुर (अमरेन्द्र): ईराक के मोसुल शहर में जून 2014 से अगवा चल रहे 39 भारतीयों के जीवित होने या न होने को लेकर चल रहे कयासों पर मंगलवार दोपहर केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की घोषणा से विराम लग गया और इन लोगों के परिजनों को बरसों से बंधी आस टूट गई। अपने लाडलों की बाट जोह रहे परिजनों को जब आज उनकी मौत होने की पुष्टि का पता चला तो उनके लिए मानो भरी दोपहर में अंधेरा छा गया हो। होशियारपुर के साथ लगते गांव छावनी कलां में संतोष कुमारी के बेटे कमलजीत सिंह व जैतपुर निवासी दामाद गुरदीप सिंह की मौत के दोहरे झटके ने उसकी दुनिया ही उजाड़ दी।


बस, मेरे बेटे की अस्थियां पहुंचा दे सरकार
छावनी कलां में मृतक कमलजीत सिंह की मां संतोष कुमारी व पिता प्रेम सिंह ने बताया कि करीब 5 साल पहले जब कमलजीत ईराक गया था तो हम लोग बहुत खुश थे। जून 2014 में जैसे ही पता चला कि मोसुल में आई.एस.आई.एस. के आतंकियों ने मेरे बेटे व दामाद के साथ-साथ हमारे अन्य रिश्तेदारों को भी अगवा कर लिया, तब से लेकर अब तक चैन की नींद नहीं सोए हैं। लगता था कि कमलजीत गांव जरूर लौटेगा लेकिन अब तो सारी उम्मीदों पर ही पानी फिर गया है। प्रेम सिंह ने कहा कि सरकार बस मेरे बेटे की अस्थियां पहुंचा दे ताकि उसका अंतिम संस्कार अपने रीति-रिवाज से कर सकूं।

 

गुरदीप के मासूम बच्चे बोले, जल्द लौटेंगे हमारे पापा

होशियारपुर के जैतपुर गांव में दोपहर के समय जैसे मीडियाकर्मियों से पता चला कि ईराक में अगवा किए गए सभी 39 भारतीयों की मौत हो चुकी है, मृतक गुरदीप सिंह की मां सुरिन्द्र कौर विलाप करते हुए निढाल हो गई। अपनी सास को जमीन पर गिरते देख अपने पति की मौत की खबर से टूट चुकी अनीता फौरन ही सास को सिविल अस्पताल माहिलपुर ले गई। दूसरी तरफ जैतपुर में गुरदीप सिंह के दोनों मासूम बच्चे बेटा अर्शदीप सिंह व बेटी अंकिता पिता का फोटो हाथ में लिए सभी से कह रहे थे कि हमारे पापा जल्द ही लौटेंगे।


‘तिन साल तों उडीकदे अक्खां सुक गइयां वे पुतरा मेरेया...
नवांशहर (मनोरंजन): ईराक  में कत्ल किए गए 27 पंजाबियों में से 1 बलाचौर का नौजवान था। यह खबर सुनते ही मृतक  के घर  में मातम छा गया। बलाचौर के गांव महिदपुर के जसवीर सिंह (24) की हत्या की खबर सुनते ही उसकी माता सुरजीत कौर का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। वह अपने खोए हुए बेटे जसवीर को याद करती हुई कह रही थी कि ‘तिन साल तो उडीकदे अक्खां सुक गइयां वे पुतरा मेरेया, हुन तां मैंनू भी मार गया ए’। सुरजीत कौर कह रही थी कि उसे क्या पता था कि पैसे कमाने गया उसका बेटा वापस नहीं लौटेगा। परिवार में सभी से छोटा जसवीर सिंह 31 अगस्त, 2013 को ईराक की अलहुदा कम्पनी में लेबर का कार्य करने गया था।  मृतक के बड़े भाई ङ्क्षछदा ने बताया कि मृतक जसवीर सिंह 2 बहनों व 3 भाइयों में से सबसे छोटा था। पिता बख्शीश राम भी बीमार होने के कारण गहरे सदमे में हैं। 

भाई राकेश कुमार की फोटो को चूमते हुए रो रही थीं बहनें
बटाला/कादियां (सैंडी,जीशान): कादियां के मदन लाल का बेटा राकेश कुमार भी 39 भारतीयों के साथ ईराक के शहर मोसुल में गया था लेकिन उसका भी कोई अता-पता नहीं चल सका।  मदन लाल ने बताया कि उसका बेटा सितंबर 2013 में ईराक के शहर मोसुल गया था। 16 जून 2014 को उन्हें उनके बेटे का आखिरी फोन आया। वह अपने बेटे के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से कई बार मिल चुके हैं, उन्हें यह आश्वासन दिलाया जाता रहा कि उनका बेटा किसी धागा मिल में काम कर रहा है। वह शीघ्र घर आ जाएगा लेकिन आज उनके इस बयान ने हमारे सारे परिवार को ङ्क्षझझोड़ कर रख दिया। मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का गुजर-बसर करने वाले मदन लाल ने दुखी मन से बताया कि 2 लाख रुपए लोगों से ब्याज पर लेकर अपने बेटे को ईराक भेजा था, उनके बेटे ने कर्ज उतारने के लिए केवल 22 हजार ही भेजा था। ज्योति तथा ममता अपने भाई की फोटो को चूमते हुए याद कर रो रही थीं।  

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