पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के हाथों से सरक सकती है असम की राज्यसभा सीट

punjabkesari.in Sunday, May 05, 2019 - 10:51 AM (IST)

जालंधर(चोपड़ा) : कांग्रेस की ओर से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को असम से दोबारा राज्यसभा का प्रत्याशी बनाने की संभावना नहीं है, क्योंकि इस बार सीट जीतने के लिए कांग्रेस के पास राज्य विधानसभा में पर्याप्त संख्या बल नहीं है। डा. मनमोहन जोकि वर्ष 1991 से राज्यसभा में निरंतर असम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।  उनका वर्तमान कार्यकाल 14 जून को समाप्त हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ सत्तारूढ़ गठबंधन के पास जहां डा. मनमोहन की सीट जीतने के लिए पर्याप्त संख्या बल है। 

असम से कांग्रेस के दो राज्यसभा सदस्यों डा. मनमोहन सिंह और शांतिऊज कुजूर का 6 साल का कार्यकाल जून के मध्य में समाप्त हो रहा है । इससे पहले चुनाव सम्पन्न होने हैं। राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवार को  जिताने के लिए 43 तथा 2 सीटों के लिए 86 वोट चाहिएं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन के पास 88 सीटें (भाजपा के 61, अगप के 14 और बी.पी.एफ. के 12) हैं ।  इसके अलावा निर्दलीय विधायक भुभेन पेगू हैं। 

दूसरी ओर कांग्रेस के पास 25 सीटें हैं और ए.आई.यू.डी.एफ. के पास 13 विधायक हैं। लोकसभा चुनावों के दौरान ही दोनों राज्यसभा सीटों के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन में लॉबिंग शुरू हो गई है। सूत्रों के अनुसार एक सीट ए.जी.पी. के पास जा सकती है, जबकि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चुनाव की तारीखों की अधिसूचना के बाद ही दूसरी सीट के लिए उम्मीदवार का चयन करेगा। 

उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जब ए.जी.पी. भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में वापस शामिल हो गई थी तब भाजपा ने यह आश्वासन दिया था कि जून में खाली हो रही 2 राज्यसभा सीटों में से एक पर वह अपना उम्मीदवार खड़ा कर सकती है। कांग्रेस के उच्च सूत्रों के अनुसार कि पार्टी ने राज्यसभा सीट से डा. मनमोहन सिंह को मैदान में नहीं उतारने का फैसला किया है, क्योंकि राज्य विधानसभा में अपेक्षित संख्या बल के अभाव में उनकी हार लगभग तय है। 

जिक्रयोग्य है कि डा. मनमोहन पहली बार 1991 में असम से राज्यसभा के लिए चुने गए थे, तदोपरांत वह 1995, 2001 और 2007 से लगातार यहां से राज्यसभा में जाते रहे हैं। असम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा को राष्ट्रीय नेताओं और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा लगातार दौरे के साथ लोकसभा चुनावों के लिए हाई-वोल्टेज चुनाव अभियान देखा गया। लेकिन  राज्यसभा में प्रदेश का 1991 से लगातार प्रतिनिधित्व करते आ रहे डा. मनमोहन ंिसह को असम में एक भी जनसभा में संबोधित करने के लिए नहीं बुलाया गया। 

swetha