श्री दरबार साहिब में बनता है विश्व का सबसे बड़ा लंगर

punjabkesari.in Saturday, Apr 14, 2018 - 10:16 AM (IST)

अमृतसर: विश्व का सबसे बड़ा लंगर श्री दरबार साहिब में बनता है। हालांकि लंगर कितना बनता है इसका कोई अनुमान नहीं होता, लेकिन 3 घंटे में 1 लाख श्रद्धालुओं का लंगर तैयार करने के लिए 24 घंटे लंगर भवन के 500 कर्मचारी तैयार रहते हैं। 3 घंटे में लंगर तैयार होता है और 2 घंटे में खपत हो जाती है। यह आम दिनों की बात है। अगर बात करें बैसाखी या गुरुपर्व की तो इस दिन लंगर की पंगत और संगत देखने लायक होती है। ‘पंजाब केसरी’ की ‘श्री गुरु रामदास जी’ लंगर भवन से स्पैशल स्टोरी।


1 घंटे में 3 हजार ‘प्रसादा’ होता है तैयार
लंगर भवन के पास आटोमैटिक 7 प्रसादा (रोटी) बनाने वाली मशीनें हैं। छोटी मशीनों में 1 घंटे में & हजार और बड़ी मशीनों में 1 घंटे में 7 हजार प्रसादा तैयार होता है। 

लंगर सेवा करने देश-विदेश से आते हैं श्रद्धालु
अमेरिका से आई कोमल व स्पेन की मारिया बैसाखी मनाने श्री दरबार साहिब आई हैं। कहती हैं कि खुशी है कि सेवा का मौका मिला। यहां पर इन्द्र कौर चंडीगढ़ तो मोहाली से दलजीत कौर सेवा कर रही थी। जुबान श्री वाहे गुरु जी का जाप कर रही थी और हाथ सेवा। 

लंगर की सेवा सबसे बड़ी सेवा
लंगर की सेवा करते हुए प्रसादा (रोटी) बना रही पंचकूला की लाभ कौर ने बताया कि लंगर की सेवा से लाभ मिलता है। चंडीगढ़ से जरनैल कौर व सतवंत कौर, मोहाली से बलविंदर कौर व अमृतसर से शरणजीत कौर एक साथ सेवा कर रही थीं, कहती हैं कि लंगर की सेवा सबसे बड़ी सेवा है। 

 रोजाना डेढ़  क्विंटल प्याज का लगता है ‘तड़का’
श्री दरबार साहिब में रोजाना डेढ़ क्विंटल प्याज का तड़का लगता है। इसे छीलने व काटने की सेवा श्रद्धालु करते हैं। प्याज की मात्रा तब भी उतनी ही रही थी जब प्याज के दाम 100 से 120 रुपए किलो तक पहुंच गए थे। 

सेवा के लिए कोई मजहब नहीं
वड़ौदरा से अंजिता बैसाखी पर श्री दरबार साहिब माथा टेकने पहुंची। ध्यानपुर से मंहिदर कौर, पटियाला से रंजीत कौर, पठानकोट से कुलविंदर कौर व हरियाणा से सिमरन कौर लहसुन की सेवा कर रही थी। अंजिता कहती है कि मैं हिन्दू परिवार से हूं लेकिन सेवा के लिए कोई मजहब नहीं होता। 

सुबह 6 बजे 13 क्विंटल लंगर हो जाता है तैयार 
सुबह 6 बजे तक 13 क्विंटल लंगर तैयार हो जाता है, जिसमें 4 क्विंटल दाल, 5 क्विंटल प्रसादा (रोटी), 2 क्विंटल चावल व 2 क्विंटल खीर या कड़ाह शामिल होता है। 24 घंटे चाय का लंगर जारी रहता है। 


जूठे बर्तनों की सेवा, मिलेगा मेवा
कहावत है कि जूठे बर्तनों की सेवा तो मिलेगा मेवा। जी हां, लंगर भवन के जूठे बर्तनों की सेवा करने के लिए भी लंबी लाइन लगती है। खास हो या आम, हर किसी को इस सेवा के लिए मन से श्रद्धालु बनकर आना होता है। यह रीति है और यही रिवाज। 


किसान पहली सब्जी बेचते नहीं, लंगर को भेजते हैं 
विश्व के सबसे बड़े लंगर में ऐसे भी दानी सज्जन हैं जो गुप्त सेवा करते हैं। किसान भी पहली फसल का दसवंध या फिर पहली सब्जी की खेप बाजार में नहीं बेचते, बल्कि लंगर में देने के लिए लाते हैं। अमृतसर के अजायब वाली निवासी नंबरदार शुनदेल सिंह कहते हैं कि हमारे घर की परम्परा है कि पहली सब्जी की फसल लंगर में दी जाती है। 

‘श्री वाहेगुरु जी! प्रसादा छक लवो वीर जी, भैण जी’
यह विश्व का अनोखा लंगर है, जहां श्रद्धालुओं को लंगर छकाने के लिए श्रद्धालु सेवा करते हैं। रोजाना 70 से 80 हजार और खास त्यौहारों पर डेढ़ लाख से 2 लाख श्रद्धालु श्री दरबार साहिब पहुंचते हैं। ऐसे में लंगर छकने आने वाले श्रद्धालुओं की गिनती सप्ताह के आखिरी & दिनों में बढ़ जाती है और खास दिन या त्यौहारों के दिन गिनती कई गुना बढ़ जाती है।  

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