भीषण गर्मी में भी सच्चखंड दर्शनों के लिए पहुंची संगत

punjabkesari.in Friday, Jul 03, 2020 - 03:10 PM (IST)

अमृतसर (अनजान): चाहे भीषण गर्मी हो, चाहे कड़ाके की ठंड जो आस्था के साथ जुड़े हो उनको कोई परवाह नहीं होती। उनका नियम रोजाना की गुरु के चरणों में सीस झुका कर आशीर्वाद लेना होता है। 41 डिग्री तापमान में भी संगत श्री हरिमंदिर साहिब में दर्शन के लिए पहुंची। अमृत समय पर किवाड़ खुलने पर ही संगत की भीड़ लंबी कतार में श्री हरिमंदिर साहिब अंदर जाती दिखाई दी और दोपहर समय पर संगत की संख्या कम होने उपरांत शाम को फिर बड़ी भीड़ दिखाई दी। दूर दराज से आईं संगत ने गुरुरामदास लंगर हाल में लंगर छका और ठंडे मीठे जल की छबील और सेवा की और जल छका। संगत ने जोड़े घर में और परिक्रमा में भी सेवा की। शाम को रहरासि साहिब के पाठ उपरांत रागी जत्थे की तरफ से आरती का उ‘चारण किया गया और रात को सुखआसण उपरांत फूलों के साथ सजी सुनहरी पालकी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का पवित्र स्वरूप सुशोभित कर श्री अकाल तख्त साहिब के सुख-आसण स्थान पर बिराजमान किया गया।


गुरुद्वारा श्री थड़ा साहिब में कोरोना पर जीत के लिए हुई अरदास
गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब थड़ा साहिब में संगत ने श्री अखंडपाठ साहिब जी के भोग उपरांत कीर्तन किया और कोरोना महामारी पर जीत के लिए पूरे संसार के भले ली अरदास विनती की। ग्रंथी सिंह द्वारा हुक्मनामा लेने उपरांत कड़ाह प्रशादि की देग बरताई गई। संगत के साथ संकल्प विचारों की सांझ डालने उपरांत ग्रंथी सिंह ने उनको अपने-अपने घरों में सुबह समय जपजी साहिब और शाम को रहरासि साहिब जी के पाठ कर समूह संसार के भले ली अरदास करने के लिए प्रेरित किया।


स्कूटर स्टैंड पर उलटे-पुलटे वाहन लगने कारण संगत का होता है नुक्सान
श्री हरिमंदिर साहिब की गुरुरामदास सराय के बाहर स्थित स्कूटर स्टैंड के अंदर संगत द्वार आमने-सामने लगीं लाइनों के बीच भी अपने स्कूटर पर मोटर साइकिल फंसा कर लगाए जाते हैं। जहां संगत अपने वाहनो को लाईन सिर न लगाने कारण जिम्मेदार हैं वहीं स्कूटर स्टैंड के सेवक भी पूरी तरह जिम्मेदार हैं। स्कूटर स्टैंड पर तकरीबन हर समय तीन चार कर्मचारी होते हैं परन्तु वह अपनी सीट पर बैठे दिखाई देते हैं जबकि उनका फर्ज बनता है कि अगर संगत गलती कर रही हैं तो उनके पास जा कर सही ढंग से वाहन लगवाए जाएं। इस तरह 2 पहिया वाहन लगाने कारण एक तो वाहनों का नुक्सान होता है और दूसरी तरफ कई बार बुजुर्ग अपने वाहन नहीं निकाल सकते और उनको चोट भी लग जाती है। अगर सेवकों को कहा जाता है तो वह उनके वाहन निकलवाने में कोई मदद नहीं करते।


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