लॉकडाऊन दौरान भी श्री हरिमंदिर साहिब में संगत की लगी रौणकें

punjabkesari.in Monday, Jun 29, 2020 - 12:31 PM (IST)

अमृतसर (अनजान): लॉकडाऊन लगने के बावजूद भी श्री हरिमंदिर साहिब में संगत की रौणकें लगी देखी गई। श्री हरिमंदिर साहिब के किवाड़ खुलने से पहले दर्शनीय डियोड़ी के बाहर रात श्री सुखमणि साहिब जी के पाठ किए और विनती रूपी शब्दों का जाप किया। किवाड़ खुलने उपरांत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का स्वरूप सुनहरी पालकी में सुशोभित करके श्री हरिमंदिर साहिब अंदर प्रकाशमान किया गया।

श्री आसा जी दी वार के कीर्तन किए गए और ग्रंथी सिंह द्वारा पहला मुख वॉक लिया गया, जिसकी कथा गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हाल में की गई। गांवों पर शहर से आई संगत ने लंगर घर में सेवा की और लंगर भी छके। इसके उपरांत ठंडे-मीठे जल की छबील लगाई गई। संगत ने जोड़े घर, परिक्रमा के स्नान और सरोवर से जाला उतारने की सेवा की।मीरी-पीरी दिवस संबंंधी श्री अकाल तख्त साहिब के पर श्री अखंडपाठ साहिब जी की आरंभता की गई। अरदास उपरांत हुक्मनामा लिया गया और कड़ाह प्रशादि की देग बतराई गई। ग्रंथी सिंह द्वारा संगत को श्री गुरु हरगोबिंद साहिब द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया गया।


महाराजा रणजीत सिंह की बरसी पर डाले गए श्री अखंडपाठ साहिब के भोग
सिख राज्य के संस्थापक शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की बरसी संबंधी गुरुद्वारा श्री मंजी साहिब दीवान हाल में परसों रोज से रखे श्री अखंडपाठ साहिब के भोग डाले गए। श्री हरिमंदिर साहिब का हजूरी रागी जत्था भाई राए सिंह ने इलाही बाणी के कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया। अरदास भाई प्रेम सिंह ने की और हुक्मनामा भाई हरमित्तर सिंह हैड ग्रंथी गुरुद्वारा मंजी साहिब दीवान हाल ने लिया। शिरोमणि कमेटी मैंबर भगवंत सिंह स्यालका ने संगत का महाराजा रणजीत सिंह की बरसी पर हाजिरी भरने के लिए धन्यवाद किया। महाराजा रणजीत सिंह के राज्य से पहले सिख रियासते कमजोर थे। उन्होंने छोटी-छोटी रियासतों को इकट्ठे करके एक विशाल राज्य कायम किया। जहां वह अपने धर्म का सत्कार करते थे, वहीं दूसरे धर्मों का भी सत्कार किया। 


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