सरकारी खजाना, नेताओं का चुनावी निशाना

punjabkesari.in Tuesday, Apr 16, 2019 - 11:59 AM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी):सत्तासीन कांग्रेस के नेता जहां पूर्व शिअद-भाजपा सरकार को सरकारी खजाना खाली करने का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, वहीं शिअद-भाजपा का आरोप है कि पंजाब सरकार खाली खजाने का रोना रोकर जिम्मेदारियों से भाग रही है। शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल तो इन दिनों गाहे-बगाहे सियासी मंचों से कह रहे हैं कि कांग्रेस सरकार तो महज खाली खजाने के बहाने पर टिकी हुई है। जब भी जनता सुविधाओं, संसाधनों की बात करती है तो  खाली खजाने की दुहाई दी जाती है। इसी खाली खजाने का रोना रोते हुए सरकार ने पंजाब की जनता पर कई टैक्स लगा दिए हैं।

इससे जनता बेहाल हो रही है। उधर, कांग्रेसी नेता पूर्व शिअद-भाजपा सरकार को पंजाब की आर्थिक बदहाली का जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वैसे कांग्रेस ने जब से पंजाब में सत्ता संभाली है, तब से ही खाली खजाने को लेकर पूर्व सरकार उसके निशाने पर है। कांग्रेस ने पहले ही वर्ष विधानसभा में प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर श्वेत पत्र जारी किया था, जिसमें राज्य की वित्तीय स्थिति की काफी डरावनी तस्वीर पेश की गई थी। अब इस वर्ष प्रदेश के तीसरे बजट सत्र के दौरान भी वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने एक बार फिर पूर्व सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पूर्व सरकार ने राज्य की वित्तीय स्थिति को कई घाव दिए हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो पंजाब सरकार के खजाने पर 31 मार्च 2019 तक कुल 2,12,276 करोड़ रुपए के बकाया कर्ज का अनुमान लगाया गया है, जो वर्ष 2018-19 के लिए जी.एस.डी.पी. का 40.96 फीसदी है। वर्ष 2019-20 में यह बकाया ऋण करीब 2,29,612 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। पंजाब में सत्तासुख भोगने वाली सरकारों के गैरजिम्मेदाराना वित्तीय प्रबंधन ने प्रदेश को इस स्थिति में पहुंचा दिया है कि पंजाब के सिर पर चढ़ा कर्जा आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल जैसे साधारण श्रेणी वाले राज्यों के स्तर से भी बढ़ गया है। इस कर्जे के कारण राज्य सरकार को प्रत्येक वर्ष भारी-भरकम ब्याज भी अदा करना पड़ रहा है।  यह अदायगी (मूल और ब्याज) 30309 करोड़ पंजाब सरकार की प्रमुख राजस्व प्राप्तियों में सेंध लगा रही है।

निशाने पर सरकार 
कांग्रेस सरकार के दावे से ठीक उलट राज्य सरकार लगातार वित्तीय चुनौतियों के कारण सरकारी कर्मचारियों व आम जनता के निशाने पर है। आम जनता का आरोप है कि राज्य सरकार ने सत्ता संभालते ही खजाना भरने के लिए जनता की जेब पर पहला हमला किया। विकास के नाम पर 200 रुपए का टैक्स लगाया गया। वहीं, कर्मचारियों का आरोप है कि कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को ही भुला दिया। कर्मचारियों को पे-कमीशन का लाभ तो दूर की बात, डी.ए. की पूरी किस्तें भी अब तक नहीं मिल पाई हैं। इसी कड़ी में जन कल्याण से जुड़ी योजनाओं को भी पूरी तरह बहाल करने में सरकार नाकाम साबित हो रही है। वित्त विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि राज्य सरकार आर्थिक बदहाली के कारण केंद्र सरकार द्वारा जारी राशि को डायवर्ट कर काम चला रही है।

सरकार का दावा, दो साल में हुआ सुधार
कांग्रेस सरकार का दावा है कि भारी-भरकम ऋण के बावजूद पिछले 2 साल के दौरान सरकार ने न केवल राजस्व में वृद्धि की है, बल्कि अपने खर्चों को तर्कशील बनाते हुए नकदी प्रबंधन को दुरुस्त कर कई वित्तीय सुधार किए हैं। इसी का नतीजा है कि राज्य की प्रति व्यक्ति आय में बढ़ौतरी हुई है। वर्ष 2017-18 में जहां प्रति व्यक्ति आय 1,14,552 रुपए थी, वो वर्ष 2018-19 में बढ़कर 1,53,061 रुपए हो गई है। यह राष्ट्रीय औसत से 22.06 प्रतिशत अधिक है। 

खनन, शराब कारोबार का प्रभाव 
खनन और शराब के कारोबार को लेकर भी कांग्रेस सरकार विरोधियों के निशाने पर है। शिअद नेताओं का तो यहां तक आरोप है कि कांग्रेसी नेता मिलीभगत के जरिए शराब और खनन का कारोबार चला रहे हैं। आज पंजाब में शराब इतनी महंगी है कि पड़ोसी राज्यों की शराब प्रदेश में आ रही है। राज्य की शराब फैक्टरियों से अवैध शराब बाजार में पहुंच रही है। यही वजह है कि सरकार ने एक्साइज पॉलिसी के जरिए जितने रैवेन्यू का दावा किया था, उससे काफी कम रैवेन्यू सरकार को मिला है। इसी कड़ी में खनन के जरिए 3 हजार करोड़ रुपए कमाने का दावा किया गया था लेकिन महज 32 करोड़ रुपए सरकार के खाते में आए हैं। 

व्हाइट पेपर की कहानी 
जून 2017 में कांग्रेस सरकार ने 143 पन्नों का श्वेत पत्र जारी किया था।  इसमें कर्जे के बोझ तथा शिअद-भाजपा सरकार के 10 वर्षों के वित्तीय प्रबंधन की पोल खोली गई थी। श्वेत पत्र में कहा गया था कि शिअद-भाजपा सरकार ने जानबूझ कर अकाऊंट्स की किताबों में हेराफेरी की, जिसकी वजह से नई अमरेंद्र सरकार को एक बहुत ही विकट वित्तीय स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। श्वेत पत्र में राज्य की आय में गिरावट, केंद्र सरकार की कैश क्रैडिट लिमिटेड को मनमर्जी से डायवर्ट करने, कर्मचारियों के बकाया डी.ए., बकाया बिजली सबसिडी, सरकारी देनदारियों के बोझ का विस्तारपूर्वक जिक्र किया गया था। श्वेत पत्र में बताया गया था कि पिछली सरकार पी.आई.डी.बी., आर.बी.डी., पूडा व अन्य एजैंसियों को कर्जा लेने पर मजबूर करती रही।

इस प्रकार 4435 करोड़ रुपए का ‘इनफोर्मल डैट’ भी सरकार को ही देना है। शिअद-भाजपा सरकार के 10 वर्षों में पंजाब की प्रगति की दर (4.20 प्रतिशत) आल इंडिया दर (7.5 प्रतिशत) से कम रही। राज्य की औसतन जी.एस.डी.पी. (6.37 प्रतिशत) कई अन्य राज्यों से कम रही। इसी कड़ी में प्रति व्यक्ति आय के मामले में पंजाब अब हरियाणा व महाराष्ट्र जैसे राज्यों के मुकाबले पिछड़ गया है। श्वेत पत्र में कहा गया था कि शिअद-भाजपा सरकार ने लंबी अवधि वाले कर्जे उठाए, जिससे राज्य को घाटा सहना पड़ा। हालांकि कांग्रेस सरकार द्वारा जारी श्वेत पत्र के जवाब में शिअद-भाजपा ने भी श्वेत पत्र जारी किया था। शिअद नेताओं का कहना था कि पंजाब की माली हालत का रोना रोकर कांग्रेस सरकार अकाली-भाजपा सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। 

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