गेहूं के डंठल को आग लगाने की बजाय खेतों में संभालें: पी.ए.यू.

punjabkesari.in Sunday, May 03, 2020 - 10:10 AM (IST)

लुधियाना(सरबजीत सिंह सिद्धू): भूसे की कम्बाइन से कटाई के बाद जमीन से कुछ ऊपर कटी हुई जड़ों या गेहूं के डंठल को जलाने से वातावरण में हानिकारक गैसें मिल जाती हैं। इससे मूल और सूक्ष्म तत्व नष्ट हो जाते हैं। इससे मिट्टी के जैविक तत्वों को भी नुक्सान होता है और आग से और भी हादसे घट सकते हैं। बचे हुए गेहूं के डंठल की संभाल के लिए इसे मिट्टी में मिलाना जरूरी है। इन तरीकों से गेहूं के डंठल को खेत में संभाला जा सकता है।

1) गेहूं की कम्बाइन से कटाई करने के बाद भूसा बनाते समय स्ट्रॉ कम्बाइन को सही ऊंचाई पर चलाओ जिससे भूसा ज्यादा न बने।

2) भूसे वाले रीपर से भूसा बनाने के बाद एक बार सुहागा मारो।

3) यदि पानी उपलब्ध हो तो खेत को पानी लगा कर सही नमी और रोटावेटर को चलाकर डंठल को जमीन में मिलाया जा सकता है।

4) गेहूं की कटाई या पहली फसल के बाद खेत को पानी दें और 20 किलो यंत्र जो कि आठ घंटो के लिए पानी में भिगो कर रखा गया हो या 12 किलो लोबिया का बीज (मोटे बीजों के लिए 20 किलो) या 20 किलो फ्लैक्स सीड्स की प्रति एकड़ के हिसाब से मई के पहले हफ्ते तक बिजाई कर दें। कम फासफोरस वाली ज़मीन में 75 किलो सुपर फास्फेट प्रति एकड़ के हिसाब से ढैंचे, काउपीज या फ्लैक्स की फसल को दें। इसके बाद बीजी जाने वाली धान की फसल को फासफोरस वाली खाद डालने की जरूरत नहीं रहती। खेतों में धान की पनीरी लगाने से एक दिन पहले हरी खाद की फसल को दबा दें इस तरह 6-8 हफ्ते की हरी खाद दबाने से 25 किलो नाईट्रोजन तत्व (55 किलो युरिया) की प्रति एकड़ बचत हो जाती है।

5) भूसा स्ट्रॉ कम्बाइन से बनाने के बाद पानी लगाकर गर्म ॠतु की मूंग की दाल की बिजाई हैपी सीडर या जीरो टिल्ल ड्रिल से बिना खेत तैयार किए की जा सकती है। बिजाई अप्रैल के तीसरे हफ्ते तक भी की जा सकती है, लेकिन पकने के समय आने वाली मौनसून बारिशों से नुकसान का डर रहता है।

6) यदि पानी न मिले तो एक बार सूखे में तवियां या रोटावेटर मार कर खेत को खाली छोड़ दें जिससे डंठल गल जाए। डंठल मिट्टी के संपर्क में आने से और ज्यादा तापमान होने के कारण दो दिनों में गल जाता है।

7) कददू करने के दौरान डंठल जमीन में दबाया जाता है लेकिन कुछ सतह पर तैरता रहता है। इसे संभालने के लिए खेत कददू करने के बाद 4-6 घंटों के लिए खाली छोड़ देना चाहिए। इस दौरान तैरते हुए एक जगह पर इकट्ठा हुए डंठल को तरंगली की सहायता से निकाला जा सकता है।

8) धान लगाने वाली मशीनें बरतने से गेहूं का डंठल मजदूरों के हाथों में नहीं लगेगा।

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Sunita sarangal