पंजाब कांग्रेस का इंचार्ज बनने के बाद हरीश रावत ने बाजवा व दूलो के साथ की पहली मीटिंग

punjabkesari.in Thursday, Sep 17, 2020 - 09:31 AM (IST)

पटियाला (राजेश पंजोला) : पंजाब कांग्रेस का इंचार्ज बनने के बाद हरीश रावत ने ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में पहली बंद कमरा मीटिंग मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह व पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले राज्यसभा सांसद प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो के साथ की। यह मीटिंग लगभग अढ़ाई घंटे चली।

मीटिंग में तीनों के अलावा अन्य कोई नहीं था। सूत्रों के अनुसार ऑल इंडिया कांग्रेस प्रधान सोनिया गांधी के कहने पर रावत ने दोनों नेताओं के साथ मीटिंग कर पंजाब की जमीनी रिपोर्ट हासिल की और उनकी नाराजगी के कारणों बारे भी जानकारी ली। बाजवा और दूलो ने हरीश रावत को स्पष्ट बताया कि पंजाब में सरकार कांग्रेस पार्टी की नहीं बल्कि महाराजा कैप्टन अमरेंद्र सिंह की  चल रही है, जिस कारण कांग्रेसी वर्कर और पूरा कांग्रेसी कैडर निराश है। अगर यह निराशा जारी रही तो 2022 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी का हाल 1997 के विधानसभा चुनावों जैसा होगा।  उन्होंने बताया कि पंजाब कांग्रेस के प्रधान सुनील जाखड़ बुरी तरह फेल हो चुके हैं। उन्होंने कभी पंजाब कांग्रेस, जिला कांग्रेस और ब्लाक कांग्रेस कमेटियों की मीटिंग नहीं बुलाई। अब साढ़े तीन साल से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ही गायब हैं। जब मुख्यमंत्री को मंत्री व विधायक ही नहीं मिल सकेंगे तो फिर आम वर्करों का क्या हाल होगा? दोनों नाराज नेताओं ने पंजाब की कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री अमरेंद्र की मनमानियों का चिट्ठा नए इंचार्ज रावत को बताया।

रावत के इंचार्ज बनने के बाद कैप्टन विरोधियों को मिला प्लेटफार्म
लंबे समय से पंजाब कांग्रेस की इंचार्ज आशा कुमारी रही हैं, जिनका राजनीतिक कद कैप्टन अमरेंद्र के सामने बहुत ‘बौना’ है। आशा कुमारी एम.एल.ए. स्तर की नेता हैं, जबकि कैप्टन अमरेंद्र दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। ऐसे में कैप्टन अमरेंद्र पर आशा कुमारी का कोई प्रभाव नहीं था। आशा कुमारी एक आम कांग्रेसी वर्कर की तरह कैप्टन के पास फरियाद करके अपने एक-आध चहेते को चेयरमैन लगवा लेती थीं। अब ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने मिशन 2022 को देखते हुए कांग्रेस में 57 वर्षों के लंबे करियर वाले 5 बार सांसद, केंद्रीय मंत्री और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हरीश रावत को पंजाब का इंचार्ज लगा कर एक तरह से कैप्टन अमरेंद्र पर ‘चैक’ लगा दिया है। हरीश रावत कांग्रेस के कद्दावर नेता हैं। ऐसे में कैप्टन से दुखी पंजाब के सभी नेताओं को पार्टी में ही एक अहम प्लेटफार्म मिल गया है, जहां वे अपनी भड़ास निकाल सकते हैं, जिससे पार्टी को भी लाभ होगा। शमशेर सिंह दूलो और प्रताप सिंह बाजवा जहां मौजूदा समय में राज्यसभा सांसद हैं, वहीं दोनों पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान रह चुके हैं। बाजवा का माझे में बड़ा आधार है, जबकि दूलो दलितों के बड़े नेता माने जाते हैं। ऐसे में पार्टी किसी भी हालत में इनकी बगावत को सहन नहीं कर सकेगी। हरीश रावत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह सब कुछ ठीक कर देंगे।

नवजोत सिंह सिद्धू से जल्द होगी मीटिंग
सूत्रों के अनुसार पंजाब कांग्रेस के इंचार्ज हरीश रावत जल्दी ही क्रिकेटर से राजनेता बने पूर्व स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के साथ भी मीटिंग करेंगे। जब से सिद्धू ने पंजाब कैबिनेट से इस्तीफा दिया है, वह चुप करके घर बैठे हैं और अपने भविष्य के फैसले बारे मंथन कर रहे हैं। करतारपुर कॉरीडोर खुलने के बाद सिख समाज में सिद्धू की गहरी बैठ बन गई है। कांग्रेस हाईकमान खास करके प्रियंका गांधी और राहुल गांधी सिद्धू को कांग्रेस से अलग नहीं होने देना चाहते। पंजाब में भी यही आवाज आ रही है कि नवजोत सिद्धू के बिना 2022 फतेह नहीं किया जा सकता। हरीश रावत का राजनीतिक कद क्योंकि बहुत बड़ा है इसलिए अगर वह चाहें तो सिद्धू समेत सभी नाराज नेताओं को मना कर 2022 के मिशन फतेह का रास्ता बना सकते हैं।


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