जलियांवाला बाग में गोलियां का शिकार हुए लोगों को शहीद का दर्जा दिया जाए: चीमा

punjabkesari.in Friday, Apr 12, 2019 - 05:19 PM (IST)

चंडीगढ़ः आम आदमी पार्टी (आप) ने 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में अंधाधुंध में गोलियों से छलनी किए गए लोगों को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की है। ये निर्दोष लोग आजादी के हक में शांतिपूर्ण जलसा करने को इकट्ठे हुए थे तभी अंग्रेज जरनल ओ डायर ने उन्हें गोलियां से भून दिया था। इनमें पुरूष, महिलाएं तथा बच्चे शामिल थे। नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने आज यहां कहा कि इस दर्दनाक घटना को आज पूरे सौ वर्ष हो गए हैं लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने गोलियों का शिकार हुए इन सैंकड़ों लोगों को‘शहीद’का दर्जा नहीं दिया। 

उन्होंने कहा कि एक तरफ हम ब्रिटिश सरकार से इस अमानवीय नरसंहार के लिए माफी की मांग कर रहे हैं, दूसरी तरफ हमारे अपने देश की सरकार ने इन्हें शहीद का सम्मान तक नहीं दिया जिसके लिए आजादी के बाद सत्ता में रहीं कांग्रेस, अकाली दल और भाजपा की सरकारें जिम्मेदार हैं। चीमा ने कहा कि लंबे समय से देश के लिए कुर्बान होने वाले इन शहीदों को सरकारी रिकार्ड में ‘शहीद’ का दर्जा देने की मांग उठती आ रही है। अमृतसर का बहल परिवार पिछले 36 वर्षों से शहीद के दर्जे के लिए लड़ाई लड़ता आ रहा है। इस परिवार के सदस्य महेश बहल का कहना है कि पेशे से वकील उसके दादा हरीराम बहल 13 अप्रैल 1919 वाले दिन जलियांवाले वाले बाग में शहीद हुए थे। अपनी बुआ के हवाले से वह बताते हैं कि उसके दादा जी के अपनी बेटी को अंतिम शब्द थे‘‘मैंने अपनी मां -भूमि के लिए बलिदान दिया है, मेरी खुशी दोगुनी हो जाएगी यदि मेरा पुत्र भी देश के लिए कुर्बान हो जाए।‘‘  

आप नेता महेश के हवाले से बताया कि यह परिवार 36 वर्षों से अपने बुजुर्गों के सम्मान के लिए जद्दोजहद करता हुआ तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी समेत कई राजनेताओं को मिल चुके है लेकिन किसी भी सरकार ने इस मांग को गंभीरता के साथ नहीं लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग नरसंहार की सौवीं वर्षगांठ के अवसर पर जलियांवाला बाग के शहीदों को सरकारी तौर पर शहीद घोषित करने की मांग की। कैप्टन अमरेंद्र सरकार इस मांग को गंभीरता के साथ केंद्र सरकार के पास उठाएं।
 

Mohit