हरसिमरत के इस्तीफे से शिअद को मिली संजीवनी

punjabkesari.in Saturday, Sep 19, 2020 - 10:38 AM (IST)

पटियाला (राजेश पंजोला) : आखिरकार शिरोमणि अकाली दल ने अपने राजनीतिक भविष्य को भांपते हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत कौर बादल का इस्तीफा दिलवा ही दिया है। पार्टी ने देरी से भले परंतु अपने राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए यह अहम फैसला लिया। हरसिमरत के इस्तीफे से पंजाब की राजनीति के हाशिए पर पहुंचे शिरोमणि अकाली दल (शिअद) को न केवल राजनीतिक संजीवनी मिली है अपितु इसका असर 2022 के पंजाब विधान सभा चुनाव पर भी पड़ेगा।

किसान व सिख समाज शिरोमणि अकाली दल का पक्का वोट बैंक माना जाता रहा है। पंजाब के 90 फीसदी किसान जट्ट सिख हैं, लिहाजा किसानी मुद्दों का सीधा संबंध सिख समाज से भी है। इस बात को भांपते ही शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने अपनी धर्मपत्नी से इस्तीफा दिला कर यह संदेश दिया है कि शिरोमणि अकाली दल किसानों के लिए कोई भी कुर्बानी दे सकता है। अकाली दल को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए यह इस्तीफा देना ही पडऩा था क्योंकि वर्ष 2017 के विधान सभा चुनाव में अकाली दल मात्र 17 सीटों पर सिमट कर रह गया था जबकि 2019 के लोक सभा चुनाव में सिर्फ बादल दंपति ही चुनाव जीतने में सफल हो सका था।

अकाली दल के डूबते राजनीतिक सूर्य को भांपते हुए ही रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा, सेवा सिंह सेखवां, सुखदेव सिंह ढींडसा जैसे टकसाली अकाली नेता बादल परिवार को छोड़ गए थे। कैप्टन सरकार के 4 वर्ष होने को हैं परंतु अभी तक पंजाब की राजनीति में अकाली दल के उखड़े पैर नहीं जम रहे थे। इसको भांपते हुए ही अकाली दल को इस्तीफे का यह कड़वा घूंट पीना पड़ा। अकाली दल के इस फैसले का सब से ज्यादा नुक्सान आम आदमी पार्टी ‘आप’ को होने की संभावना है क्योंकि कैप्टन सरकार व अकाली-भाजपा से नाराज किसान ‘आप’ की तरफ जाने लगे थे। समय को संभालते हुए अकाली दल ने इस्तीफा देकर ऐसा राजनीतिक वार किया है कि इससे कैप्टन अमरेन्द्र सिंह व आप को करारा झटका लगा है। अब सुखबीर सिंह बादल, हरसिमरत कौर बादल व अन्य अकाली नेता किसानों के हक में डट सकेंगे।

 


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