हरसिमरत बादल ने जालंधर दौरे दौरान कैप्टन और चन्नी पर साधा निशाना

punjabkesari.in Wednesday, Oct 20, 2021 - 04:33 PM (IST)

जालंधर : पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने आज अपने जालंधर दौरे दौरान कहा है कि 2017 के विधानसभा चुनावों दौरान कैप्टन के मैनीफैस्टों में झूठ का सहारा लेकर कांग्रेस ने चुनाव जीते थे। इसमें सिर्फ कैप्टन ही शामिल नहीं थे, बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी इसमें संलिप्त थी। इन्होंने घर-घर जाकर सभी को नौकरियां देने के वादे किए थे, जो आज तक पूरे नहीं हुए। आज कांग्रेसी विधायक जिस तरह से लोगों की पिटाई करते नजर आ रहे हैं, इससे लगता है कि बाद में राज्य के लोग इनको जरूर पीटेंगे।

कैप्टन अमरेंद्र के भाजपा में शामिल होने बारे हरसिमरत ने कहा कि कैप्टन पिछले काफी समय से भाजपा की भाषा बोलते आए हैं। और न ही कभी प्रधानमंत्री मोदी ने कैप्टन के विरोध में कभी कुछ कहा है। उन्होंने कहा कि अकेले कैप्टन ही नहीं सभी कांग्रेसी भाजपा के साथ सांठगांठ किए बैठे हैं। उन्होंने कहा कि कैप्टन ने ही दिल्ली में जाकर भाजपा आलाकमान से मिलकर राज्य में खेती संबंधी काले कानूनों को लागू करवाया है। उन्होंने कहा कि कैप्टन अब से ही नहीं, बल्कि काफी समय पहले ही भाजपा के साथ थे। कैप्टन ने पंजाब को तहस-नहस कर दिया है। 

राज्य में बी.एस.एफ. के बढ़ाए गए दायरे पर उन्होंने चन्नी सरकार पर भी आरोप लगाते हुए कहा है कि चन्नी ने अपनी पुलिस पर विश्वास न करके राज्य की जिम्मेदारी केंद्र की होम मनिस्ट्री को सौंप दी गई, जोकि बिल्कुल गलत है। 

उन्होंने कहा कि कैप्टन ने 2007 से पहले अकालियों के साथ जो व्यवहार किया है, वह जग जाहिर है। उसको भुलाया नहीं जा सकता। कैप्टन की किस हद तक भाजपा के साथ सांठगांठ है, यह शायद उन्हें अब पता चल रहा है। हरसिमरत ने कहा कि हमारी पार्टी पहले भी पंजाब के साथ खड़ी थी और अब भी खड़ी हैं। उन्होंने कहा कि अब 2022 में पता चल जाएगा कि कौन किसके साथ साठगांठ कर रहा है। 

बेअदबी की घटनाओं पर हरसिमरत ने कहा कि कोई भी धर्म बेअदबी की घटनाओं को सहन नहीं करता। लखीमरपुर घटना पर उन्होंने कहा कि भाजपा के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या होगी। सिंघू बार्डर की घटना पर उन्होंने कहा कि इस घटना के पीछे दाल में जरूर कुछ काला है। इसकी जांच होनी चाहिए।

अपने केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे बारे पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैंने इस मुद्दे पर किसी से कोई सलाह नहीं ली। यह मेरा खुद का फैसला था। उन्होंने कहा कि जब खेती संबंधी बिल पास हुए तब उन्होंने सरकार से कहा था कि इस मुद्दे पर किसानों के साथ सलाह मशविरा जरूर किया जाए, लेकिन जब मेरी नहीं सुनी गई तो मैं अपना इस्तीफा पी.एम. आफिसर में देकर वापस आ गई थी। मैंने इन कानूनों को रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन मेरे इस श्रेय को कोई समझ नहीं पाया। 

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Content Writer

Subhash Kapoor

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