हरसिमरत का इस्तीफा तो फुसफुसे पटाखे जैसा भी नहीं : अमरेन्द्र

punjabkesari.in Sunday, Sep 27, 2020 - 09:38 AM (IST)

जालंधर(धवन): विवादास्पद कृषि बिलों को लेकर शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा के बीच एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगाने के चल रहे खेल को लेकर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि अकालियों द्वारा एन.डी.ए. गठबंधन से बाहर निकलने से इंकार कर देना उनकी लालची तथा सत्ता में चिपके रहने की हताशा को प्रदर्शित करता है।

वास्तव में शिरोमणि अकाली दल पंजाब तथा राज्य के किसानों की बदौलत ही सत्ता सुख भोगता आ रहा था। अब अकाली दल का दोहरा चेहरा बेनकाब हो गया है तथा पता चलता है कि उन्हें किसानों की कोई चिंता नहीं है। वह भाजपा के उस बयान पर टिप्पणी कर रहे थे जिसमें यह कहा गया था कि उसने कृषि बिलों को लेकर किसानों को समझाने की जिम्मेदारी अकालियों को सौंपी थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली अभी भी किसान व लोक विरोधी पार्टी भाजपा के साथ चिपके हुए हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल से हरसिमरत बादल द्वारा दिए गए इस्तीफे को राजनीतिक ड्रामा करार देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सुखबीर बादल से लोग यह अपेक्षा कर रहे थे कि वह केंद्र सरकार से अपनी पार्टी को बाहर ले आएंगे परन्तु ऐसा नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र ने कार्पोरेट घरानों के पास किसानों के अधिकारों को असंवैधानिक व अलोकतांत्रिक कृषि बिलों की मार्फत बेच डाला है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बादल अब अकाली इतिहास में और भी नीचे चले जाएंगे तथा अपनी पार्टी के विनाश का कारण बनेंगे। सुखबीर द्वारा हरसिमरत के केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफे को एटम बम कह कर प्रधानमंत्री को हिला देने के बयान पर कैप्टन अमरेन्द्र ने जवाब देते हुए कहा कि वह तो फुसफुसा पटाखा भी नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री तथा भाजपा अकालियों की जरा भी परवाह नहीं करती है जिसका पता उनके सहयोगी पार्टनर द्वारा की जा रही निंदा तथा हरसिमरत के इस्तीफे को स्वीकार कर लेने से चलता है। ऐसा लगता है कि भाजपा पंजाब विधानसभा चुनाव अकेले लडऩा चाहती है तथा अब ऐसा समय आ गया है जब एन.डी.ए. से अकाली दल को बाहर निकाल फैंका जाएगा।

किसानों का आंदोलन हाईजैक करने का शिअद का प्रयास हुआ असफल 
मुख्यमंत्री ने अकाली दल के प्रधान द्वारा सफल किसान आंदोलन का श्रेय लेने के प्रयासों की निंदा करते हुए कहा कि अकाली दल ने वास्तव में किसानों के आंदोलन को अपने राज्य स्तरीय चक्का जाम कार्यक्रम से हाईजैक करने की कोशिश की क्योंकि किसानों ने पंजाब बंद की कॉल दी हुई थी। उन्होंने कहा कि इससे किसानों में एक अच्छा संकेत नहीं गया जिन्होंने पहले ही अकाली दल के इस कदम की निंदा की इसलिए अकाली दल का किसानों के आंदोलन को हाईजैक करने का प्रयास असफल हो गया।

अकाली अब पंजाब के राजनीतिक दृश्य से खत्म हो जाएंगे
भाजपा के साथ बने रहने के मामले को लेकर अकालियों के प्रति किसानों में पाए जा रहे आक्रोश के कारण अब अकाली पंजाब के राजनीतिक दृश्य से खत्म हो जाएंगे। राज्य के किसान बादलों के धोखे व गैर-भरोसे वाले रवैये के कारण उसे क्षमा नहीं करेंगे।

Sunita sarangal