मुख्यमंत्री के चीफ प्रिंसिपल सैक्रेटरी सुरेश कुमार ने दिया इस्तीफा

punjabkesari.in Wednesday, Jul 22, 2020 - 09:07 AM (IST)

चंडीगढ़ (अश्वनी): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के चीफ प्रिंसिपल सैक्रेटरी सुरेश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने मंगलवार को मुख्यमंत्री को इस्तीफा भेज दिया है।बताया जा रहा है कि कुछ समय दौरान सरकार के स्तर पर बड़े प्रशासनिक फेरदबल के बाद से ही सुरेश कुमार असहज थे।

चर्चा यह भी है कि पहले जो सरकारी फाइलें उनके पास आती थीं, वह अब नहीं आ रही। इसलिए उन्होंने आखिरकार अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफा देने के साथ ही सुरेश कुमार ने अपने साथ तैनात सरकारी स्टाफ, सुरक्षा अधिकारी भी रिलीव कर दिए हैं। सुरेश कुमार को इस बात का आभास था कि  सरकार के स्तर पर एक धड़ा उनके खिलाफ है और वह लगातार उनकी छवि धूमिल करने की कोशिश कर रहा है। सुरेश कुमार अपनी साफ छवि के लिए जाने जाते हैं। इसलिए वह इस तरह अपनी छवि पर उठ रहे सवालों से परेशान चल रहे थे। हालांकि मुख्यमंत्री से नजदीकियों के कारण वह सरकारी स्तर पर कामकाज कर रहे थे लेकिन कुछ समय दौरान प्रशासनिक स्तर पर फेरबदल के बाद स्थितियां लगातार बदल रही थीं।

बताया जा रहा है कि बदले माहौल को देखते हुए ही सुरेश कुमार ने मुख्यमंत्री को अब इस्तीफा भेजा है। बताया यह भी जा रहा है कि करन अवतार सिंह को जिस तरीके से पद से हटाया गया वह भी सुरेश कुमार को रास नहीं आया। सुरेश कुमार को लगने लग गया था कि ब्यूरोक्रेसी में धड़ेबाजी अब खुलकर सामने आ गई है। जिसके चलते अब आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो सकता है।बताया यह भी जा रहा है कि कुछ विधायकों ने तो सुरेश कुमार पर उंगलियां भी उठानी शुरू कर दी थीं। इन विधायकों की लंबी फेहरिस्त है और सुरेश कुमार की वजह से ही सरकार में लाभ का पद प्राप्त नहीं हो पाया।उधर, चर्चा इस बात की भी है कि सुरेश कुमार ने यह इस्तीफा पारिवारिक कारणों के चलते भी दिया है। वह अब अपनी रिटायरमैंट लाइफ परिवार के साथ बिताना चाहते हैं इसलिए उन्होंने अब इस्तीफा दिया है।

पहले भी दिया था इस्तीफा पर मुख्यमंत्री ने राजी कर लिया था
सुरेश कुमार ने इसे पहले भी एक बार इस्तीफा दिया था। मामला तब गर्माया था, जब सुरेश कुमार की चीफ प्रिंसिपल सैक्रेटरी के पद पर तैनाती को अदालत में चुनौती दी गई थी। हालांकि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने निजी स्तर पर हस्तक्षेप करते हुए सुरेश कुमार को राजी कर लिया था और वह दोबारा कामकाज करने लगे थे। हालांकि वह मुख्यमंत्री कार्यालय में नहीं आ रहे थे। बताया जा रहा था कि अदालत में नियुक्ति का विवाद पैदा होने के बाद सरकारी स्तर पर मामले की अ‘छी तरह से पैरवी न करने को लेकर भी सुरेश कुमार नाराज चल रहे थे।

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