PGI में हार्ट ट्रांसप्लांट का 5वां सफल ऑपरेशन, शरीर में धड़केगा किसी और का दिल

punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2019 - 09:56 AM (IST)

चंडीगढ़(पाल):पी.जी.आई. में रविवार को 2 साल बाद किसी ब्रेन डैड मरीज का हार्ट जरूरतमंद मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया है। यह 5वां मौका है, जब पी.जी.आई. ने कोई हार्ट ट्रांसप्लांट सर्जरी की है। 12 मई, 2017 को पी.जी.आई. ने आखिरी हार्ट ट्रांसप्लांट किया था। हालांकि इन वर्षों में कई मौके आए जब डाक्टर्स हार्ट ट्रांसप्लांट करने को तैयार था, लेकिन ब्रेन डैड मरीज की बॉडी व ऑर्गन्स में किसी न किसी दिक्कत की वजह से सर्जरी नहीं हो पाई।

23 साल के सतिंदर को डाक्टरों ने डिक्लेयर किया ब्रेन डैड
23 साल के सतिंदर सिंह शनिवार को दोपहर 3 बजे ब्रेन डैड डिक्लेयर किया गया था। इसके बाद उसके सभी ऑर्गन्स परिजनों ने डोनेट कर दिए। हार्ट के साथ ही उसका लिवर, किडनी और कॉर्निंया भी ट्रांसप्लांट किया गया, जिन मरीजों को ऑर्गन्स ट्रांसप्लांट किए गए, वे सभी पी.जी.आई. से ही अपना इलाज करवा रहे थे। इनमें से कुछ मरीजों की हालत बहुत ही क्रिटिकल थी। सभी मरीजों को एक नया जीवन मिल पाया है।

4 में से 2 ने ही किया सर्वाइव 
हार्ट ट्रांसप्लांट के सर्वाइवल रेट दूसरे ऑर्गन के मुकाबले थोड़ा कम जरूर है, लेकिन पी.जी.आई. के 2 हार्ट ट्रांसप्लांट किए मरीज आज बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। पहले के चारों हार्ट ट्रांसप्लांट में से 2 मरीज सर्वाइव नहीं कर पाए थे। आंकड़ों पर गौर करें तो पी.जी.आई. का पहला हार्ट ट्रांसप्लांट सफल नहीं हो पाया था।

कब-कब हुए हार्ट ट्रांसप्लांट 
पहला 4 अगस्त, 2013
दूसरा 18 सितम्बर, 2015 
तीसरा 26 अक्तूबर, 2016 
चौथा 12 मई, 2017
5वां 1 सितम्बर, 2019 

9 हार्ट शेयर कर चुका है पी.जी.आई.
हार्ट को ट्रांसप्लांट करना दूसरे ऑर्गन्स के मुकाबले मुश्किल होता है। पी.जी.आई. कॉर्डियोलॉजिस्ट के मुताबिक ऑर्गन जितना बड़ा होता है, बॉडी को उसे एक्सैप्ट करना आसान नहीं होता। सर्जरी भी आसान नहीं होती। वहीं थोड़ा-सा इन्फैक्शन भी मरीज की जान के लिए खतरा बन जाता है। इसलिए हार्ट ट्रांसप्लांट को कई महीनों तक बहुत ही सेफ्टी के साथ रखा जाता है। इस 5वें हार्ट ट्रांसप्लांट से पहले अब तक पी.जी.आई. देश के दूसरे शहरों के अस्पतालों को यहां से 9 हार्ट ट्रांसप्लांट भेज चुका है। हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए एक्सपर्ट्स होना ही काफी नहीं कई बार मैचिंग रैसिपियंट नहीं मिल पाता, जिसकी वजह से ऑर्गन्स को दूसरे अस्पतालों से शेयर कर लिया जाता है।

हार्ट को ट्रांसप्लांट करना आज भी मुश्किल
ऑर्गन डोनेशन पी.जी.आई. ही नहीं देश में कई अस्पतालों में बढ़ रहा है। हालांकि  हार्ट को ट्रांसप्लांट करना आज भी मुश्किल है, सर्जरी आसान नहीं है। एनेस्थीसिया, कॉर्डियोलॉजिस्ट, कॉर्डियो वैस्कूलर एंड थौरैसिक सर्जन, ट्रांसप्लांट को-आर्डीनेटर, टैक्नीशियन व सभी स्टाफ की बदौलत यह हो पाया है। परिवार के लिए मुश्किल वक्त है, बावजूद इसके उन्होंने बहुत साहस भरा फैसला लिया है।     -प्रो. जगत राम, डायरैक्टर, पी.जी.आई. 

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