RE-OPEN होगी हैवी लाइसैंस घोटाले की फाइल, DC ने जारी किया आदेश
punjabkesari.in Tuesday, Nov 01, 2016 - 11:18 AM (IST)

जालंधर(अमित): डी.टी.ओ. कार्यालय जालंधर में लगभग 6 महीने पहले सामने आए हैवी लाइसैंस घोटाले नामक तूफान जिसने पूरे परिवहन विभाग को बुरी तरह से हिलाकर रख दिया था, की फाइल एक बार दोबारा से री-ओपन होने जा रही है। डी.सी. कमल किशोर यादव ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस करोड़ों रुपए के घोटाले की जांच हाल ही में बतौर डी.टी.ओ. चार्ज संभालने वाले पी.सी.एस. अधिकारी दमनजीत सिंह मान को सौंप दी है। फाइल के री-ओपन होने से इस मामले में लीपापोती करके बंद की गई जांच के दोबारा शुरू होने से कई कर्मचारी और एजैंट फंस सकते हैं।
क्या था मामला, क्या थी जांच रिपोर्ट जिसे बाद में गोल कर दिया गया
मई महीने में डी.टी.ओ. कार्यालय के अंदर बड़े पैमाने में जाली हैवी लाइसैंस जारी किए जाने का मामला सामने आया था। यह घोटाला कितना बड़ा था इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रति लाइसैंस 30 से 40 हजार रुपए की रिश्वत लिए जाने से उक्त घोटाले में करोड़ों रुपए का अवैध लेन-देन हुआ था। इस घोटाले में तत्कालीन डी.टी.ओ. द्वारा की गई जांच रिपोर्ट में साफ किया गया था कि मई 2016 से लेकर जुलाई तक जारी किए गए हैवी लाइसैंसों में 45 हैवी लाइसैंस जाली पाए गए थे, क्योंकि इन सभी लाइसैंसों में स्टेट इंस्टीच्यूट आफ आटोमेटिव एंड ड्राइविंग स्किल्स, मोहाना (मुक्तसर) से लिए जाने वाले अनिवार्य ट्रेनिंग सर्टीफिकेट लगाए ही नहीं गए थे। इतना ही नहीं उक्त सारे लाइसैंस जिन दस्तावेजों (सर्वर में स्कैन किए गए) के आधार पर जारी किए गए थे उन पर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी के हस्ताक्षर ही नहीं थे।
उक्त सारे लाइसैंस निजी कंपनी के कर्मचारियों ने नियमों को ताक पर रखते हुए बनाए थे। इसीलिए उक्त सारे हैवी लाइसैंस रद्द कर दिए गए थे। इसके साथ ही 170 हैवी लाइसैंस शक के घेरे में आए थे, उनको नोटिस जारी किए गए थे कि वह अपने असली दस्तावेज लेकर डी.टी.ओ. के पास आएं ताकि बनती कार्रवाई की जा सके। डी.टी.ओ. ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया था कि जैसे ही उन्हें इस मामले की जानकारी मिली उन्होंने निजी कंपनी के अधिकारियों से बात करके जांच करने के आदेश दिए थे और समूह कर्मचारियों को सरकारी अधिकारी या कर्मचारी के हस्ताक्षर और अप्रूवल के बिना लाइसैंस जारी न करने के निर्देश दिए थे। इसके अलावा हिदायत दी गई थी कि बिना मोहाना के ट्रेनिंग सर्टीफिकेट के एक भी लाइसैंस जारी न किया जाए, मगर न जाने किस कारणवश इस रिपोर्ट को बाद में गोल कर दिया गया, जिसकी वजह से किसी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई ही नहीं हो सकी थी।