रक्तदान की महत्ता से अनजान युवा पीढ़ी,खून की कमी से जूझ रहे हैं सरकारी ब्लड बैंक

punjabkesari.in Thursday, Aug 31, 2017 - 12:32 PM (IST)

अमृतसर (दलजीत): रक्तदान महादान है। रक्त की एक बूंद जिंदगी तथा मौत के अधर में लटकी कीमती जान को बचा सकती है। मुसीबत की स्थिति में रक्त लेना तो हर कोई चाहता है परन्तु माझा क्षेत्र के लोग इतने स्वार्थी हो गए हैं कि किसी और की मुसीबत में रक्तदान नहीं कर रहे हैं। सरकारी सिविल अस्पताल के  ब्लड बैंक में इस समय जरूरत के मुताबिक खून की आपूॢत नहीं हो पा रही है। जानकारी के अनुसार इंसान की रगों में दौडऩे वाला खून ही उसके जीने का आधार है। खून की मात्रा कम हो जाए तो इंसान शारीरिक क्षमता खो बैठता है तथा उसे कई बीमारियां घेर लेती हैं। यह जानकर आश्चर्य होगा कि ब्लड बैंकों में खून की भारी किल्लत है।

जरूरत पडऩे पर खून मिल जाए, यह तय नहीं है। लोग खून की मांग तो करते हैं, पर रक्तदान करने से हिचकिचाते हैं। अमृतसर के सिविल अस्पताल में स्थापित ब्लड बैंक में जरूरत के मुताबिक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती। हर महीने तकरीबन 6 से 7 सौ यूनिट खून की जरूरत पड़ती है, पर ब्लड बैंक में महज साढ़े 300 यूनिट ही पहुंच पाता है। यह बहुत ही हैरानीजनक और दुखद आंकड़ा है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि आधे से ज्यादा मरीजों को समय रहते खून नसीब नहीं होता। ऐसे मरीजों को या तो निजी ब्लड बैंकों की ओर रुख करना पड़ता है या फिर आर्थिक अभाव के चलते वे खून नहीं खरीद पाते। 

रक्तदान के  लिए युवा पीढ़ी भी नहीं आ रही आगे

गुरु नगरी में तकरीबन डेढ़ दर्जन रक्तदान सोसायटियां विद्यमान हैं। इन सोसायटियों के उत्साही युवक हर माह शहर के विभिन्न इलाकों में ब्लड डोनेट करके सरकारी ब्लड बैंक तक पहुंचाते हैं। ज्यादातर रक्त मैडीकल शिक्षा एवं खोज विभाग द्वारा संचालित गुरु नानक देव अस्पताल के ब्लड बैंक में पहुंचाया जाता है। सिविल अस्पताल में रक्त की आपूॢत बहुत ही कम होती है।

रक्तदान सोसायटियों को एक तरफ रख दें तो स्वेच्छा से रक्तदान करने वाले युवाओं की संख्या कम है। पंजाब का स्वास्थ्य विभाग सभी छोटे व बड़े सरकारी अस्पतालों में रक्तदान महादान के बैनर, बोर्ड लगाकर लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करता है, पर दुखद आश्चर्य यह है कि लोग रक्तदान के लिए आगे नहीं आते। हां, आपातकालीन स्थिति में यदि उन्हें रक्त की जरूरत आन पड़े तो वे सरकारी ब्लड बैंकों की ओर रुख करते हैं। यहां रक्त न मिलने पर कई मर्तबा हो हल्ला भी मचाया जाता है। 

3 वर्षों में बढ़ी खून की मांग

सिविल अस्पताल के ब्लड बैंक में ‘बी’ पॉजीटिव ग्रुप की सर्वाधिक मांग है। प्रतिमाह औसतन 250 यूनिट रक्त इसी यूनिट का मांगा जाता है। ‘ओ’ नैगेटिव ग्रुप का रक्त ब्लड बैंक में कभी-कभार आता है। इसकी मांग भी ज्यादा नहीं रहती। ब्लड बैंक के प्रभारी डॉ. अरुण शर्मा कहते हैं कि ब्लड बैंक में रक्त स्टोर करने की पूरी सुविधा है, पर रक्तदानियों की रुचिहीनता के कारण मांग के अनुपात में रक्त नहीं पहुंच पाता। थैलेसीमिया पीड़ित मरीज, गर्भवती महिलाएं, सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को तत्काल रक्त की जरूरत पड़ती है।

इनके लिए हर वक्त रक्त को सहेजकर रखना पड़ता है। शहर में जहां भी रक्तदान शिविर लगाए जाते हैं, वे अधिकाधिक लोगों से रक्तदान की अपील करते हैं। जिस गु्रप का रक्त ब्लड बैंक में नहीं है, उसे उपलब्ध करवाने के लिए डोनरों को प्रेरित करते हैं। पिछले 3 वर्षों में रक्त की मांग ज्यादा बढ़ी है। उनके पास डोनरों की लंबी लिस्ट है, जो आपातकालीन स्थिति में तत्काल ब्लड बैंक में पहुंच जाते हैं। फिर भी लोगों को जागरूक होना पड़ेगा और हर 6 माह बाद स्वेच्छा से रक्तदान करना ही होगा।

मरीजों को मिलती है मायूसी  

सिविल अस्पताल में पिछले एक माह में आपातकालीन स्थिति में 250 केस आए। इनमें सड़क हादसों में घायल व सर्जरी के बाद गर्भवती महिलाओं व अन्य मरीजों को तत्काल रक्त की जरूरत पड़ी। आपातकालीन स्थिति में ब्लड बैंक में रक्त स्टोर करके रखा जाता है, जो इन मरीजों को उपलब्ध करवा दिया गया। सिविल अस्पताल अमृतसर का ब्लड बैंक मात्र ही एक ऐसा बैंक है जो अमृतसर के अलावा तरनतारन, पठानकोट इत्यादि जिलों के लोगों के लिए भी कार्य कर रहा है। बैंक के इंचार्ज डा. अरुण द्वारा रक्त की कमी न आए, इस संबंधी काफी प्रयत्न किए जाते हैं।

रक्तदान के लिए आगे आएं युवा :  डा. चरणजीत

सिविल अस्पताल के इंचार्ज डा. चरणजीत से इस संबंधी जब बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि खून की एक बूंद किसी की जिंदगी बचा सकती है, रक्तदान महादान है। पंजाब में माझा क्षेत्र में सबसे कम रक्तदान किया जा रहा है। उनका हमेशा प्रयास रहता है कि सभी मरीजों को रक्त उपलब्ध करवाया जाए। ज्यादातर मरीजों को 
समय रहते रक्त मिल जाता है, युवाओं को रक्तदान के लिए आगे आना चाहिए।

Anjna