फिल्म ‘धूम’ से इंस्पायर होकर बनाया हाई-प्रोफाइल वाहन चोर गिरोह, किंगपिन काबू

punjabkesari.in Wednesday, Mar 21, 2018 - 09:39 AM (IST)

जालंधर(मृदुल): जम्मू-कश्मीर से पंजाब आकर लग्जरी कारें चोरी करने वाले ऐसे गिरोह के किंगपिन को गिरफ्तार किया है जोकि इन कारों को ट्रांसपोंडर और प्रोग्रामर के जरिए चोरी करता था। इस बात का खुलासा पुलिस कमिश्नर पी.के. सिन्हा ने प्रैस कान्फ्रैंस के दौरान करते हुए कहा कि जालंधर से आरोपी कारें चोरी करके जम्मू ले जाते थे।इस गिरोह में अब तक 2 आरोपी नामजद हुए हैं जोकि जम्मू के कुलगांव के रहने वाले शब्बीर अहमद और फियाज अहमद हैं जिन्होंने शिव नगर से एक स्विफ्ट कार चुराई थी।

घटना के बाद जब सी.सी.टी.वी. फुटेज चैक की गई तो चोरों के कार चुराने की टैक्नीक देखी गई जिसमें करीब पौने घंटे के अंदर कार चोरी की गई। इसके बाद जब पर्चा दर्ज कर जांच शुरू की तो उक्त आरोपियों को टैक्नीक इनपुट की मदद से ट्रेस किया गया जिसमें केस के तार सीधा जम्मू-कश्मीर बॉर्डर पर जाकर जुड़े। केस की कडिय़ां जोड़ते हुए ए.सी.पी. नॉर्थ नवनीत सिंह माहल और एस.एच.ओ. नवदीप सिंह को इनपुट मिली कि आरोपी शब्बीर अहमद और फियाज एक ऑल्टो के-10 कार पर हिमाचल प्रदेश की जाली नंबर प्लेट लगाकर घूम रहे हैं जिस पर पुलिस पार्टी ने जे.एम.पी. चौक पर ट्रैप लगाकर सफेद ऑल्टो कार (नं. एच.पी.-7& 2116) को रोका तो कार को उस वक्त शब्बीर अहमद ही चला रहा था, उसके साथ फियाज नहीं था। शब्बीर अहमद को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो उसने खुलासा किया कि वह जम्मू-कश्मीर और हिमाचल की ओर कांट्रैक्टर का काम करता है और गिरोह का किंगपिन है तथा अपने दोस्तों के साथ मिलकर यह गिरोह करीब 8 महीने पहले बनाया था। इससे पहले बाकायदा फियाज और उसके साथियों ने यू-ट्यूब से हाई-प्रोफाइल कारें चोरी करने के तरीके को समझा और इसके बाद खुद ऑनलाइन ट्रांसपोंडर व लॉक डिकोडर मंगवाकर ट्रेनिंग ली। गिरोह के सारे सदस्यों को यू-ट्यूब से कार के लॉक और सैंसर को हैक करने का तरीका सिखाया जिसके बाद उन्होंने 8 महीने पहले यह काम शुरू किया। 

150 की स्पीड से कार चलाता है शब्बीर अहमद
इसकी प्रेरणा उन्हें कुछ साल पहले आई फिल्म ‘धूम’ से मिली जिसमें तेज रफ्तार कारों को देखकर वह काफी प्रभावित हुआ था। अगर एक बार उसके हाथ में कोई कार आ जाए तो वह 150 किलोमीटर की स्पीड से नीचे नहीं जाती है। उनके गिरोह के अमूमन सदस्य नवयुवक हैं। हालांकि इस कारों को चोरी करने के तरीके उन्होंने इंटरनैट से सीखे और एक मैकेनिक की भी हैल्प ली।

कार पर लगाते थे धारीदार स्टीकर और जाली नंबर प्लेट की बनाते थे आर.सी.
ए.सी.पी. माहल ने बताया कि कार को चोरी करने के बाद शब्बीर और उसके साथी जम्मू भाग जाते थे जहां शहर के बाहर जाने से पहले वे कार की असली नंबर प्लेट उतारकर जम्मू या हिमाचल की जाली नंबर प्लेट लगा लेते थे जिसकी उन्होंने जाली आर.सी. भी बनाई हुई है। वे सफेद स्विफ्ट कार के ऊपर काली धारियां लगाकर घूमते थे। हालांकि यह स्टिकर टैम्परेरी होता था जिसको कार चोरी करने बाद उतार देते थे ताकि अगर सी.सी.टी.वी. फुटेज में कार कैद भी हो जाए तो पुलिस को बाकी फुटेज में कार पहचानने में दिक्कत हो। 

गिरोह के सभी आरोपी ग्रैजुएट 
एस.एच.ओ. नवदीप सिंह ने बताया कि गिरोह के सभी आरोपी ग्रैजुएट हैं और वे इंगलिश भी फ्लूएंट बोलते हैं।   शब्बीर ने जांच में खुलासा किया है कि उन्होंने कारों को 1 से 3 लाख में आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र श्रीनगर और अनंतनाग में बेचा है जिससे अंदेशा है कि कहीं उनके किसी आतंकी ग्रुप के साथ तो संबंध नहीं हैं।

यह हुई बरामदगी
अब तक केस की जांच दौरान पठानकोट-जम्मू बॉर्डर से पुलिस ने 4 कारें, ट्रांसपोंडर, ए.टी.एम. मशीन, 40 बिना तैयार की गई चाबियां व 16 तैयार चाबियां भी बरामद की हैं जिनके साथ आर.सी. भी है। वहीं जांच में 1 एल्की, एक प्लास, 2 रेतियां, एक पेचकस, 7 ऑल्टो के-10 कार के ट्रांसपोंडर, 5 स्विफ्ट कार के ट्रांसपोंडर, 4 ऑल्टो 800 कार के ट्रांसपोंडर और 2 प्रोग्रामर मशीनें बरामद हुई हैं। 

इस तरह करते थे हाई-प्रोफाइल कारों को चोरी
देर रात को गिरोह के सदस्य इलाके की रेकी कर कार को चूज कर प्लान बनाते थे। कार को चोरी करने के लिए पहले ड्राइवर साइड का शीशा तोड़ते थे, जिसके बाद कार के अंदर घुसकर उसका अलार्म सिस्टम बंद करते थे। उसके बाद बाहर आकर एल्की के साथ कार की ड्राइवर साइड वाला लॉक बाहर उखाड़कर दोबारा अपनी कार में बैठकर डुप्लीकेट चाबी तैयार करते थे। फिर प्रोग्रामर मशीन से कार के सारे सैंसर और कोड डिलीट कर अपना नया कोड तैयार करते थे। 

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