चंडीगढ़ में पंजाब को नजरअंदाज किए जाने पर गरमाई सियासत, जानें क्या है पूरा मामला

punjabkesari.in Tuesday, Jan 05, 2021 - 12:18 PM (IST)

चंडीगढ़(रमनजीत): पंजाब को दरकिनार कर चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश के रेंज ऑफिसर की तैनाती होने जा रही है। इस पर अब पंजाब की राजनीति गरमा गई है। राजनीतिज्ञों का कहना है कि पंजाब कांग्रेस की नाकामी के कारण चंडीगढ़ पर दावेदारी कमजोर हो रही है। हालांकि वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने मामले में बचाव करते हुए कहा कि जल्द चंडीगढ़ प्रशासन के समक्ष मामला उठाया जाएगा।

उधर, चंडीगढ़ प्रशासन ने बाकायदा रेंज ऑफिसर को ज्वाइंन करवाने के लिए एपाइंटमेंट लैटर भी भेज दिया है। नियुक्ति ऐसे समय में होने जा रही है, जब पंजाब सरकार कई बार चंडीगढ़ प्रशासन में अधिकारियों की नियुक्ति में अनदेखी का सवाल उठा चुकी है। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से लेकर मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह तक मामले पर कई बार विरोध जता चुके हैं। वर्ष 2018 में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा चंडीगढ़ के डिप्टी सुपरिंटैंडेंट ऑफ पुलिस (डी.एस.पी.) के पदों को दिल्ली, अंडमान एंड निकोबार, लक्ष्यद्वीप, दमन-द्वीव और दादरा-नगर हेवली पुलिस सर्विस के कैडर में विलय पर विवाद इतना गहरा गया था कि केंद्र सरकार को नोटिफिकेशन ठंडे बस्ते में डालनी पड़ी थी। इसी कड़ी में चंडीगढ़ में अध्यापकों की भर्ती दौरान पंजाब के नियमों को ताक पर रखने पर भी शिरोमणि अकाली दल ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। शिअद प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने यहां तक कह दिया था कि चंडीगढ़ प्रशासन पंजाब के अधिकारक्षेत्र में दखलअंदाजी कर रहा है। चंडीगढ़ में नियुक्तियों को लेकर पंजाब-हरियाणा का 60 : 40 रेश्यो है, जो उसे मिलना ही चाहिए। बावजूद इसके इन विरोधी सुरों की परवाह न करते हुए अब चंडीगढ़ में हिमाचल के ऑफिसर की एंट्री का रास्ता साफ कर दिया गया है।

‘अब तक पंजाब-हरियाणा को ही मिलता रहा है जिम्मा’
चंडीगढ़ वन विभाग में अब तक पंजाब और हरियाणा से ही डैपुटैशन पर रेंज ऑफिसर तैनात होते रहे हैं। बताया जा रहा है कि इस बार भी जब डैपुटैशन पर रेंज ऑफिसर तैनात करने की बात चली तो हरियाणा और पंजाब को ही संपर्क किया जाना था लेकिन उच्चाधिकारियों ने अचानक पूरा मामला पलट दिया। उच्चाधिकारियों ने कहा कि पंजाब और हरियाणा के अलावा अन्य राज्यों से भी रेंज ऑफिसर के लिए आवेदन आमंत्रित किए जाएं। इस पर पंजाब-हरियाणा के 60 : 40 रेश्यो की तैनाती संबंधी मौखिक तौर पर सवाल भी उठा लेकिन उच्चाधिकारियों ने सभी सवालों को नजरअंदाज कर दिया। यह भी सवाल उठा कि चंडीगढ़ के अधिकार में जो वन्यक्षेत्र है, वह पंजाब और हरियाणा का हिस्सा रहा है। ऐसे में, पंजाब और हरियाणा के वन्य अधिकारी को ही तैनात किया जाना चाहिए, लेकिन उच्चाधिकारियों ने इस सवाल को भी नजरअंदाज कर दिया।

‘हिमाचल का दबाव या संयोग’
चंडीगढ़ में हिमाचल प्रदेश के ऑफिसर की एंट्री को दबाव या संयोग के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए कि हिमाचल के सांसद अनुराग ठाकुर केंद्र सरकार के स्तर पर चंडीगढ़ प्रशासन में हिमाचल प्रदेश के ऑफिसर की तैनाती का मामला उठा चुके हैं। बाकायदा संसद में उन्होंने इस बाबत सवाल भी पूछा था। तब गृह मंत्रालय ने जवाब में बताया था कि हिमाचल सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन को पत्र लिख प्रशासनिक स्तर पर होने वाली नियुक्तियों में हिमाचल की 7.19 हिस्सेदारी की बात रखी थी। पत्र में रीआर्गेनाइजैशन एक्ट, 1966 का हवाला देते हुए बताया था कि चंडीगढ़ में डैपुटैशन पर हिमाचल प्रदेश के ऑफिसर तैनात होते थे लेकिन 1993 में चंडीगढ़ प्रशासन ने इस परंपरा को खत्म कर दिया।

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