हॉट सीट बठिंडा को लेकर AIIMS हो सकता है बड़ा चुनावी मुद्दा

punjabkesari.in Monday, Apr 01, 2019 - 10:25 AM (IST)

चंडीगढ़(गुरउपदेश भुल्लर): पंजाब में 22 अप्रैल से नामांकन प्रक्रिया शुरू होनी है। चुनाव अभियान भी औपचारिक तौर पर शुरू नहीं हुआ है। राजनीतिक पार्टियां उम्मीदवारों के चयन में जुटी हुई हैं। सबसे हॉट मानी जाने वाली बठिंडा लोकसभा सीट से संबंधित हलके में ऑल इंडिया इंस्टीच्यूट ऑफ मैडीकल साइंसिज (एम्स) के अधर में लटके प्रोजैक्ट का मुद्दा अभी से ही गर्माया हुआ है। शिअद सांसद व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने प्रोजैक्ट के कार्य में रुकावटें डालने के कांग्रेस और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए गत दिन तीखे प्रहार किए। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्म महिंद्रा और हरसिमरत कौर बादल के बीच तीखी बहसबाजी चल रही है।

उल्लेखनीय है कि कैबिनेट मंत्री महिंद्रा के बेटे मोहित भी बठिंडा से पार्टी की टिकट के प्रबल दावेदारों में शामिल हैं। पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले एम्स प्रोजैक्ट की प्राप्ति को शिअद ने बड़ी उपलब्धि मान प्रचार किया था, लेकिन 3 वर्ष बाद भी प्रोजैक्ट का कार्य बढ़ नहीं पा रहा है। बेशक बठिंडा में इमारत के निर्माण का काफी कार्य हो चुका है। एम्स मालवा के बठिंडा जैसे कैंसर प्रभावित क्षेत्रों के लिए बहुत अहमियत रखता है। इसके शुरू होने पर 3000 से अधिक हुनरमंद लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा। 

राज्य में कांग्रेस सरकार स्थापित होने के बाद शिअद के साथ टकराव की स्थिति के चलते बठिंडा में एम्स का कार्य निर्धारित लक्ष्य के मुताबिक नहीं हो पा रहा। वर्ष 2019 में ओ.पी.डी. शुरू करने का लक्ष्य भी अभी जल्द पूरा होने वाला नहीं। अब लोकसभा चुनाव आ जाने के कारण इसे लेकर शिअद व कांग्रेस में तलवारें खींच चुकी हैं। जिस तरह क्षेत्र की सांसद हरसिमरत बादल ने मुद्दे को लेकर तीखे तेवर अपना रखे हैं, उससे साफ है कि बठिंडा हलके में यह बड़ा चुनावी मुद्दा होगा। यह टकराव कोई नया शुरू नहीं हुआ, बल्कि राज्य में कांग्रेस सरकार बनने के बाद ही मुद्दे को लेकर एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता रहा है।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की सरकार के ही चलते केंद्रीय मंत्री हरसिमरत ने वर्ष 2018 में ही बिना एन.ओ.सी. और अन्य मंजूरियां प्राप्त भूमि पूजन करवाकर एम्स की इमारत का निर्माण कार्य शुरू करवा दिया था। कैप्टन सरकार पर आरोप भी लगाए थे कि जानबूझकर मंजूरियां रोकती है, ताकि शिअद को श्रेय न मिले। हरसिमरत अब बात को लेकर मुद्दे को उठा रही हैं कि पी.जी.आई. की एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्य की बाबा फरीद मैडीकल यूनिवर्सिटी फरीदकोट में एम्स का अस्थायी कैंपस स्थापित कर एम.बी.बी. एस. के पहले बैच की शुरूआत की सिफारिश कर चुका है लेकिन राज्य सरकार को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जान-बूझकर ऐसा नहीं करना चाहिए।

कांग्रेस पर ही नहीं खैहरा पर भी सवाल...
हरसिमरत इस मुद्दे को लेकर सिर्फ कांग्रेस को ही निशाना नहीं बना रही, बल्कि बठिंडा लोकसभा हलके से प्रत्याशी बने पंजाब एकता पार्टी के अध्यक्ष सुखपाल सिंह खैहरा पर भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं, उन्होंने पिछले समय में एम्स प्रोजैक्ट की घोषणा होने के बाद बठिंडा में इसे स्थापित करने का विरोध किया था। इस पर खैहरा को भी अपना पक्ष स्पष्ट करना पड़ रहा है।  उनका कहना है कि उन्होंने बठिंडा में एम्स बनाने का विरोध नहीं किया, बल्कि दोआबा क्षेत्र में एम्स जैसा संस्थान बनाने की मांग की थी।

महिंद्रा बार-बार अपना बयान बदलते हैं:हरसिमरत बादल
बठिंडा से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री झूठ बोलते हैं और बार-बार स्टैंड बदलते हैं जबकि उन्हें राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए ऐसे बड़े संस्थानों को आगे बढ़ाने के लिए सहयोग करना चाहिए था। पहले तो महिंद्रा ने झूठ बोला कि उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि पी.जी.आई. चंडीगढ़ की विशेषज्ञ कमेटी ने बङ्क्षठडा एम्स का अस्थायी कैंपस फरीदकोट में स्थापित करने की सिफारिश की है। जब मैंने दस्तावेज दिखाए तो मंत्री ने कहा कि एम्स बठिंडा तो सिर्फ कागजों में ही बना है, जमीन पर कोई कार्य नहीं हुआ परंतु उन्होंने इमारत के निर्माण की तस्वीरें जारी कर झूठ का भी पर्दाफाश कर दिया और एक वर्ष के समय में 4 मंजिलों का निर्माण हो चुका है। इसके बाद अपने झूठ को छिपाने के लिए मंत्री ने फिर बेवकूफी भरा बयान दे डाला कि जानकारी नहीं थी और एम.बी.बी.एस. पहले बैच की क्लासें फरीदकोट में शुरू करने की स्वीकृति दी गई थी। इस तरह कांग्रेस जान-बूझकर एम्स बङ्क्षठडा के निर्माण कार्य में रुकावटें डाल रही है। कांग्रेस सरकार का रवैया इससे भी स्पष्ट है कि इसी वर्ष मई माह में ओ.पी.डी. सेवा शुरू की जानी हैं लेकिन अभी तक पावर ग्रिड लगाने का कार्य भी शुरू नहीं करवाया गया। अब जवाब लोगों की कचहरी में लोकसभा चुनाव में देना ही पड़ेगा।

शिअद-भाजपा सरकार के समय ही हुई देरी : महिंद्रा
कांग्रेस सरकार पर रुकावटें डालने के आरोपों का कोई आधार नहीं है, बल्कि शिअद-भाजपा सरकार के समय ही देरी हुई। शिलान्यास पर ही अढ़ाई वर्ष लग गए। विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री से शिलान्यास करवाया, ताकि शिअद को राजनीतिक लाभ मिल सके। प्रोजैक्ट के लिए बादल सरकार के समय जमीन भी ट्रांसफर नहीं की गई थी। कांग्रेस ने सत्ता संभालने के बाद 180 एकड़ जमीन उपलब्ध करवाई। पी.जी.आई. की सिफारिश पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार अस्थायी कैंपस स्थापित न किए जाने संबंधी हरसिमरत के आरोप भी पूरी तरह तथ्यहीन हैं। पी.जी.आई. का इस संबंध में सरकार को 25 मार्च को ही पत्र मिला और सरकार ने 27 मार्च को जवाब भी दे दिया। अब हरसिमरत को चाहिए कि फाइनल मंजूरी का पत्र केंद्र सरकार से लेकर दें। 

rehan