पंजाब के लिए कितना खतरनाक साबित हो रहा कनाडा ?

punjabkesari.in Wednesday, Nov 06, 2019 - 02:22 PM (IST)

जालंधर: आज हर स्टूडैंट विशेषकर पंजाबियों का एक ही सपना है किसी तरह कनाडा जाकर बसना। अभिभावक भी यही चाहते हैं कि उनके बच्चे अब पंजाब में न रह कर कनाडा या दूसरे देशों में जाकर बस जाएं। इसके लिए भले ही अभिभावकों को अपनी जमीनें और घर आदि बेचने पड़ें और या फिर बड़ा कर्ज लेना पड़े, अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए सब कुछ करने को अभिभावक तैयार हैं। बच्चों को विदेश में सैटल करने के पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। कनाडा में एक बेहतर जिंदगी का सपना और एजैंटों द्वारा दिखाए जा रहे सब्जबागों का एक ही पहलू है लेकिन कनाडा जाकर अधिकतर स्टूडैंट कैसा जीवन जीते हैं, कौन से धंधे (सही और गलत) करते हैं इस पहलू से अभिभावक बेखबर रहते हैं। 


किन कारणों से स्टूडैंट्स का रुख विदेश की ओर
सरकार कोई भी आए केंद्र में या प्रदेश में, सब रोजगार के नाम पर नौजवानों के सपनों का भरपूर फायदा उठाती हैं। नौजवानों को नौकरियों के सब्जबाग दिखाए जाते हैं और जब सरकार बन जाती है तो 7-7, 8-8 हजार की नौकरियां प्राइवेट संस्थानों में दिलवाई जा रही हैं। यही केंद्र सरकार का हाल है जो प्रॉवीडैंट फंड के आंकड़े दिखाकर और पकौड़े बेचने, चाय बेचने को ही रोजगार का नाम दे रही है। चाय और पकौड़े बेचना तो कोई भी कर सकता है। इसमें सरकार का योगदान क्या है। लाखों नौजवान सड़कों पर डिग्रियां लेकर घूमते हैं लेकिन नौकरी नहीं है। बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावक आखिरकार अपने बच्चों के विदेश भेजने का मन बना रहे हैं। 


कनाडा की उदारवादी नीतियां और उसके पीछे का सच
पंजाब और पंजाबियों में कनाडा की उदारवादी नीतियों को और कनाडा में लोगों के जीवन स्तर को लेकर बहुत ज्यादा प्रचार किया जाता है। कनाडा में पंजाबी बहुत ही मौज से रहते हैं। हर क्षेत्र यहां तक कि राजनीति में भी पंजाबियों ने बहुत उन्नति की है। हाल ही में कनाडा में हुए चुनावों में 18 पंजाबी सांसद चुने गए हैं। मतलब यह कि कनाडा में पंजाबियों का भविष्य उज्जवल है। इस प्रचार में जुटे हैं पंजाब के हजारों ट्रैवल एजैंट, आईलैट्स सैंटर संचालक। इस प्रचार में कनाडा सरकार के प्रतिनिधि, कुछ पंजाबी एन.आर.आई. जो शायद कनाडा सरकार से इस सेवा के बदले कुछ सुविधाएं ले रहे हैं।

यही नहीं, हमारे शिक्षण संस्थान और कुछ यूनिवर्सिटियां तथा यहां तक कि सरकारें भी अपने साम्रा’यवादी मालिकों की सेवा में जुटी हुई हैं। ये सब किसी न किसी रूप से कनाडा को उनकी सबसे बड़ी जरूरत पूरी करने में सहायक हो रहे हैं। यह बात किसी से छिपी नहीं कि दूसरे साम्राज्यवादी देशों की तरह कनाडा में भी बच्चे पैदा करने की दर (फर्टिलिटी रेट) बहुत गिर चुकी है। कनाडा को कुल आबादी का 1 प्रतिशत हर साल बाहर से प्रवासियों के रूप में लाकर अपना काम चलाना पड़ता है परंतु न केवल कनाडा पंजाब से भारी संख्या में नौजवान ले जाकर अपनी जरूरत पूरी कर रहा है बल्कि इस प्रक्रिया में वह पंजाब की पूंजी भी लूट कर पंजाब को कंगाल बना रहा है। 

पूरी सच्चाई जाहिर ही नहीं होती 
कनाडा यह प्रचार कर रहा है कि वह नौजवानों को उच्च शिक्षा के लिए ले जा रहा है परंतु इस दावे में कितनी सच्चाई है? सच तो यह है कि कनाडा पंजाबी नौजवानों को उन कार्यों के लिए ले जा रहा है जो कनाडाई लोग करना नहीं चाहते। जैसे ट्रक ड्राइवर, सफाई करने वाले, गैस स्टेशनों, पैट्रोल पम्पों पर काम करने वाले, फार्मों में काम करने वाले, घरेलू नौकर और हर छोटी-मोटी नौकरी जो कनाडा के लोग करके खुश नहीं हैं। कनाडा ने कभी भी पंजाबी नौजवानों के भविष्य बारे पूरी सच्चाई जाहिर नहीं होने दी। उच्च शिक्षा के लिए जाने वाले नौजवानों में 5 से 10 प्रतिशत ही वास्तव में उच्च शिक्षा हासिल करते हैं। 90 प्रतिशत से ज्यादा उच्च शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और वे काम करते हैं जिनके लिए उच्च शिक्षा की कभी जरूरत नहीं।

बहुत सारे एजैंटों और नौजवानों को यह पता है कि उच्च शिक्षा तो केवल एक बहाना है, असल में तो यह सिर्फ वीजा लेने के लिए एक साधन है और काम तो वे करने ही जिनके लिए पढ़ाई का कोई लेना-देना नहीं। बहुत-सी यूनिवर्सिटियां जहां ये नौजवान दाखिला लेते हैं, सिर्फ फर्जी यूनिवर्सिटियां ही हैं। उन्होंने 1-2 कमरे किराए पर लिए होते हैं, जहां सिर्फ विद्यार्थियों से फीसें जमा करवाने की ही व्यवस्था होती है परंतु उच्च शिक्षा करवाने की कोई व्यवस्था होती ही नहीं। जो वास्तव में यूनिवर्सिटियां हैं वहां पंजाबी विद्यार्थियों से कनाडाई विद्यार्थियों से लगभग तीन गुना ज्यादा फीस ली जाती है। एक नौजवान को कनाडा ले जाने के लिए 40 लाख रुपए तक खर्च करना पड़ता है। हर साल हजारों करोड़ रुपए पंजाब में से जा रहे हैं। फिर पक्के होने के लिए खर्च अलग है। 

जुर्म और बदनाम गलियों में युवक-युवतियां
कनाडा ने पंजाबियों में प्रवास उत्साहित करने के लिए सिर्फ अधूरा या अर्ध सत्य ही उजागर होने दिया है। सिर्फ पंजाबियों की उपलब्धियों बारे ही प्रचार किया जाता है। पंजाबियों के जीवन के नकारात्मक पक्ष बारे कोई बात नहीं की जाती। उदाहरण के तौर पर बहुत सारे पंजाबी नौजवान जुर्म का जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बहुत सारे गैंगों के मैंबर बनकर हिंसा में जानें ले रहे हैं या फिर गंवा रहे हैं। बड़ी संख्या में नौजवान ड्रग्स के धंधे में शामिल हो रहे हैं। कई अवैध तौर पर मानव तस्करी का पेशा अपना रहे हैं। कई लड़कियों ने वेश्यावृत्ति का धंधा अपना लिया है। हर धंधे में लड़कियां शामिल हैं।

कुछ गलियों में और कुछ सड़कों पर जिन्हें स्ट्रीट प्रोस्टीच्यूट कहा जाता है, बन गई हैं। यह सबसे निचला स्तर है और कई सबसे ऊंचे स्तर कनाडा के महंगे इलाकों में मसाज पार्लर आदि में जिसे सोफिसिकेटिड प्रोस्टीच्यूशन कहा जाता है, तक पहुंच गई हैं। कई पंजाबी डिप्रैशन का शिकार होकर अपने भाईचारे तक को बहुत पीछे छोड़ चुके हैं। कई बीमारियों का शिकार हैं, जैसे किडनी फेलियर, लिवर फेलियर, हार्ट अटैक आदि। यह ठीक है कि कुछ पंजाबी राजनीति, बिजनैस और अकादमिक क्षेत्र में बड़ी सफलता हासिल कर लेते हैं परंतु एक कामयाब पंजाबी की कामयाबी के लिए कितने पंजाबियों की बलि चढ़ानी पड़ती है, इसका अंदाजा पंजाबी नौजवानों को नहीं। उन्हें तो कनाडा के सिर्फ सब्जबाग ही दिखाए जाते हैं।    

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