बिजली और ट्रांसपोर्ट सेक्टर फेल, कैसे सफल होगा रेत और शराब का सरकारी करण

punjabkesari.in Friday, Jan 21, 2022 - 04:04 PM (IST)

जालंधर(नरेश कुमार): केंद्र सरकार जहां एक तरफ कमाई वाले नवरत्नों को छोड़ कर पब्लिक सेक्टर की अन्य कंपनियों को बंद करने या बेचने का फैसला कर रही है वहीं दूसरी तरफ पंजाब में कांग्रेस रेत और शराब जैसे कारोबार को सरकार के अधीन लाने के मॉडल के साथ जनता के बीच जा रही है। पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू का तर्क है कि इन दोनों क्षेत्रों में निजी सेक्टर मोटी कमाई कर रहा है और यदि यह काम सरकार के अधीन होंगे तो इससे सरकार का राजस्व बढ़ेगा। हालांकि नवजोत सिंह सिद्धू की इस मॉडल के पीछे मंशा सही हो सकती है लेकिन पंजाब में पहले से चल रहे सरकार के पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग भारी कर्ज में डूबे हुए हैं और यदि इन दो नए सेक्टर्स में सरकार का प्रवेश होता है तो यह दोनों सेक्टर उसी तरह के सरकारी अफसर चलाएंगे जो पहले से सरकारी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग में घाटा डलवा रहे हैं लिहाजा इस मॉडल की सफलता पर संदेह होना लाजमी है। इससे पहले पंजाब में शिक्षा, स्वास्थ्य, निजी ट्रासंपोर्ट और आवास जैसे कामों में सरकार का सीधा दखल है लेकिन इन तमाम कामों को करने वाले सरकारी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग घाटे में चल रहे हैं। पब्लिक सेक्टर की कंपनियों में विनिवेश की यह प्रक्रिया सिर्फ देश में नहीं चल रही बल्कि विदेशों में भी सरकारें कारोबार से बाहर हो रही हैं क्योंकि उनका मानना है कि सरकार का काम अच्छी गवर्नेंस देना है और व्यापार करने का काम व्यापारी वर्ग के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।  

पी.आर.टी.सी. पर 68.55 करोड़ रूपए का कर्ज
पंजाब में लोगों को ट्रांसपोर्ट मुहैया करवाने वाली सरकारी उपक्रम की कंपनी पी.आर.टी.सी. भारी कर्ज में डूबी हुई है। रेटिंग एजेंसी इकरा की रिपोर्ट के मुताबिक पी.आर.टी.सी. पर मार्च 2020 तक 68.55 करोड़ रूपए का कर्ज था। इसमें बैंक से लिया गया 16.81 करोड़ रूपए का टर्म लोन , पंजाब सरकार से लिया गया 23.75 करोड़ रूपए का लोन और 27.99 करोड़ रूपए का वर्किंग कैपिटल लोन शामिल है। पंजाब रोडवेज की खस्ता हालत भी किसी से छुपी नहीं है। पंजाब में न तो बस अड्डों की दशा में सुधार हो रहा है और न ही ट्रांसपोर्ट व्यवस्था सुधरी है। सरकारी बसों के मुकाबले प्राइवेट सेक्टर का इसमें भी बोल बाला हो रहा है।  

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गमाडा और पुड्डा भी कर्ज में डूबे
नवजोत सिंह सिद्धू सरकारी अफसरों और सिस्टम के सहारे पंजाब में रेत और शराब का कारोबार सरकार द्वारा चलाने की बात कर रहे हैं लेकिन पंजाब में लोगों को आवासीय सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए बनाए गए पंजाब अर्बन डेवेलपमेंट अथॉरिटी (पुड्डा) और ग्रेटर मोहाली डेवेलपमेंट अथॉरिटी (गमाडा) जैसे सरकारी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग कर्ज के भारी बोझ के तले दबे हुए हैं और इन्हे हर साल करोड़ों रूपए की रकम इस कर्ज के ब्याज के रूप में ही देनी पड़ती है।

शिक्षा बोर्ड फेल, प्राइवेट स्कूलों ने बनाई जगह
पंजाब में पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की घटिया कार्यप्रणाली के कारण ही राज्य में प्राइवेट स्कूलों के लिए जगह बनी है और पिछले तीन दशक में राज्य में उच्च स्तरीय शिक्षा मुहैया करवाने वाले प्राइवेट स्कूल खुले हैं।  यह निजी स्कूल अपनी बेहतरीन सेवा के दम पर ही राज्य में जगह बनाने में कामयाब रहे हैं। ऐसा सरकारी स्कूलों में अव्यवस्था, घटिया आधारभूत ढांचे और शिक्षा के लिए सुविधाओं की कमी के कारण हुआ है।  यही कारण है कि इन स्कूलों में फीस कम होने के बावजूद लोग सरकारी स्कूलों में अपने बच्चे को पढ़ने नहीं भेजना चाहते।

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स्वास्थ्य सेक्टर का बुरा हाल
पंजाब में तमाम बड़े शहरों में करोड़ों रूपए की कीमती जमीन पर सरकारी अस्पताल बने हुए हैं लेकिन इन सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं और डाक्टरों की कमी होने के कारण लोग प्राइवेट डाक्टर के पास इलाज के लिए जाना पसंद करते हैं जबकि इन अस्पतालों को सुविधाएं देकर भी सरकार जनता को राहत दे सकती है।

बिजली सब्सिडी 10 हजार करोड़ के पार, पी.एस.पी.सी.एल. कर्ज में डूबी
पंजाब में बिजली मुहैया करवाने वाली सरकारी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग की कंपनी पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड पर पिछले साल 17277 करोड़ रूपए का कर्ज था और कंपनी पर पिछले वित्त वर्ष में इस कर्ज के ब्याज के रूप में ही 1700 करोड़ रूपए से ज्यादा की देनदारी थी। ऐसा पंजाब सरकार द्वारा बिजली की सब्सिडी की अदायगी न किए जाने के कारण हुआ है। पंजाब सरकार के बजट में पावर सेक्टर को सब्सिडी के रूप में 2021-22 में 10621 करोड़ रूपए देने की व्यवस्था की गई है और इस सब्सिडी में से कई बार सरकार पी.एस.पी.सी.एल. को अदायगी नहीं कर पाती जिससे इस पर आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। सरकारी व्यवस्था खराब होने के कारण बिजली की चोरी पर लगाम न होने के कारण भी पी.एस.पी.सी.एल. को नुकसान होता है।

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केंद्र ने विनिवेश तेज किया, एयर इंडिया बेचीं
एक तरफ जहां केंद्र सरकार सरकारी कंपनियों के विनिवेश की प्रक्रिया तेज कर रही है तो दूसरी तरफ पंजाब में नए सरकारी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग बनाने की बात कही जा रही है। केंद्र सरकार ने हाल ही में एयर इंडिया का कारोबार टाटा समूह को बेचा है। टेलीकॉम, बीमा, बैंकिंग और कई अन्य सेवाएं मुहैया करवाने वाले सरकारी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग भी घाटे में चल रहे है। एक समय देश की इकलौती टेलीकॉम कंपनी बी.एस.एन.एल. आज निजी कंपनियों का मुकाबला नहीं कर पा रही और लैंडलाइन फोन की संख्या के मामले में भी अब जियो ने उसे पछाड़ दिया है तो एयर इंडिया निजी एयरलाइन्स का मुकाबला नहीं कर पा रही। यही हाल सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों का है। सरकारी बैंकों में ग्राहक सेवा से संतुष्ट नहीं है और निजी सेक्टर को प्राथमिकता दे रहे हैं।

मोदी सरकार ने 57 कंपनियों का निजीकरण किया
देश में वर्ष 2000 के बाद से ही विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी आई है और सरकार एक-एक करके तमाम कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेच रही है लेकिन केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद से ही विनिवेश की प्रक्रिया तेज हो गई है। वर्ष 2000 से लेकर अब तक केंद्र सरकार ने 57 कंपनियों का निजीकरण किया है इनमें से 60 कंपनियों के विनिवेश की प्रक्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में पूरी हुई है।

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Content Writer

Sunita sarangal

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