‘आप’ को अलविदा कहने के बाद भाजपा का दामन थाम सकते हैं फूलका!

punjabkesari.in Tuesday, Jan 08, 2019 - 08:21 AM (IST)

जालंधर(रविंदर): लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही पंजाब की सियासत रंग बदलने लगी है। कभी आम आदमी पार्टी का पंजाब में मजबूत चेहरा रहे एच.एस. फूलका जल्द ही भाजपा का दामन थाम सकते हैं। 1984 दंगों को लेकर केंद्र सरकार की ओर से निभाई गई अहम भूमिका ने फूलका व भाजपा की नजदीकियों को बढ़ा दिया है। आम आदमी पार्टी से फूलका के इस्तीफे को भी इसी कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। आने वाले वक्त में अगर ऐसा होता है तो भाजपा को फूलका के रूप में पंजाब में मजबूत सिख चेहरा मिल सकता है। 

84 दंगों के आरोपियों को सजा दिलाने में निभाई अहम भूमिका
गौर हो कि 1984 दंगों के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए फूलका लंबे समय से संघर्ष करते आ रहे हैं। कांग्रेसी नेता सज्जन कुमार को सजा तक पहुंचाने में भी उनका अहम रोल रहा। सिख समाज के एक खास तबके में फूलका की अच्छी पहचान है। 2014 में वह आम आदमी पार्टी की सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े थे, मगर हार गए थे। इसके बाद 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में वह जीतकर ‘आप’ की टिकट पर विधायक बने थे। कुछ दिन पहले ही फूलका ने न केवल विधायक पद से अपना इस्तीफा विधानसभा स्पीकर को भेज दिया था, बल्कि साथ ही आम आदमी पार्टी को भी अलविदा कह दिया था। बताया जाता है कि पिछले कुछ समय से फूलका भाजपा हाईकमान के सम्पर्क में हैं और आम आदमी पार्टी से इस्तीफा भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है। 

रेलवे मंत्री से फूलका ने की मुलाकात
शनिवार को भी फूलका की भाजपा के कुछ नेताओं व रेलवे मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात हुई है। संभावना है कि 2019 लोकसभा चुनाव फूलका भाजपा की टिकट पर लड़ सकते हैं। दरअसल जब से भाजपा ने 1984 दंगों को लेकर दोबारा एस.आई.टी. का गठन किया और आरोपियों को सजा तक पहुंचाने में गंभीरता दिखाई है, तब से फूलका की नजदीकियां भाजपा से बढऩे लगी थीं।

दरअसल भाजपा भी पंजाब में 2022 चुनावों से पहले सिख चेहरों के रूप में एक मजबूत लॉबी चाहती है। नवजोत सिंह सिद्धू के जाने के बाद भाजपा के पास मजबूत सिख चेहरों की काफी कमी रही है। मौजूदा समय में राष्ट्रीय किसान मोर्चा के सचिव सुखमिन्द्र सिंह, प्रांत उपाध्यक्ष सुखवंत सिंह धनौला, प्रांत सचिव जगदीप सिंह सोढी, सहकार भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हरजीत सिंह, मनजीत सिंह राय समेत कुछेक ही सिख चेहरे हैं जो पार्टी के लिए एक्टिव हैं। इनमें सुखमिन्द्र सिंह ग्रेवाल ही ऐसे नेता हैं जो न केवल पिछले लंबे समय से पार्टी के साथ जुड़े हैं, बल्कि उनके पास जम्मू-कश्मीर का प्रभार भी है। 

अकालियों के गठबंधन में रहते फूलका की राह नहीं आसान
एच.एस. फूलका शुरू से ही अकाली दल की राजनीति से नाखुश रहे हैं और खास तौर पर बादलों के साथ। बरगाड़ी कांड के बाद भी जिस तरह से बादल परिवार पूरे मोर्चे पर घिरता नजर आ रहा है, उससे फूलका गठबंधन के रहते भाजपा में आना उचित नहीं समझेंगे। अब देखना होगा कि बादलों के साथ गठबंधन रहते भाजपा किस तरह से फूलका के साथ तालमेल बिठा पाएगी और बादलों के साथ फूलका का क्या रुख रहेगा। 

swetha