बंद का असर: ICP अटारी पर काम करने वाले 300 से ज्यादा ट्रक बैंकों को सरैंडर

punjabkesari.in Monday, Sep 02, 2019 - 08:21 AM (IST)

अमृतसर (नीरज): पाकिस्तान के साथ जंग होने से पहले या फिर जंग होने के बाद सबसे ज्यादा नुक्सान सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों का होता है, इसका सबसे बड़ा सबूत आई.सी.पी. अटारी बार्डर है। पुलवामा हमले के बाद 16 फरवरी के दिन से पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं पर 200 प्रतिशत ड्यूटी लगने के बाद 200 करोड़ की लागत से तैयार आई.सी.पी. तो वीरान हो ही चुकी है, अब आई.सी.पी. बंद होने के नकारात्मक परिणाम सामने आने शुरू हो गए हैं। 

ट्रांसपोर्टेशन करने वाले 600 से ज्यादा ट्रक ऑप्रेटरों का भी बुरा हाल
आई.सी.पी. पर आयातित व निर्यात की जाने वाली वस्तुओं की ट्रांसपोर्टेशन करने वाले 600 से ज्यादा ट्रक ऑप्रेटरों का भी बुरा हाल है। जानकारी के अनुसार सिर्फ सीमावर्ती इलाके अटारी में ही आई.सी.पी. पर काम करने वाले 300 से ज्यादा ट्रक बैंकों को सरैंडर हो चुके हैं जबकि बाकी ट्रकों की किस्तें भी नहीं उतर रही हैं। आलम यह है कि ट्रक ऑप्रेटर अपने ट्रकों को बैंकों के समक्ष सरैंडर करने को तैयार बैठे हैं लेकिन बैंक भी सरैंडर नहीं करवा रहे हैं क्योंकि ट्रक सरैंडर होने से बैंकों की रिकवरी पूरी नहीं होती है।

कर्जा लेकर खरीदे थे ट्रक
आई.सी.पी. अटारी के आसपास काम करने वाले ज्यादातर ट्रक ऑप्रेटरों ने बैंकों से कर्ज लेकर ट्रक खरीदे थे लेकिन काम बंद होने के कारण ट्रकों की किस्तें उतार पाना ट्रक ऑप्रेटरों के लिए मुश्किल हुआ पड़ा है। इतना नहीं अटारी के ट्रक ऑप्रेटरों के साथ काम करने वाले अमृतसर शहर व अन्य जिलों के ट्रक ऑप्रेटरों ने भी अब आई.सी.पी. अटारी की बजाय अन्य राज्यों की तरफ रुख कर लिया है लेकिन मंदी के कारण उनको भी काम नहीं मिल रहा है। 

6 माह से बेरोजगार हैं कुलियों व मजदूरों के 10 हजार परिवार
16 फरवरी 2019 के बाद से ही आई.सी.पी. अटारी बार्डर पर काम करने वाले कुलियों, मजदूरों व अन्य प्रकार की लेबर के 10 हजार से ज्यादा परिवार आई.सी.पी. बंद होने के कारण बेरोजगार हो चुके हैं और पिछले 6 माह से इन बेरोजगार परिवारों की स्थानीय प्रशासन या फिर किसी अन्य नेता ने सुध नहीं ली है। मजदूरी करके अपना पेट पालने वाले परिवार जाएं तो जाएं कहां उनको यह समझ नहीं आ रहा है। सीमावर्ती इलाका होने के कारण सिर्फ आई.सी.पी. अटारी पर होने वाला आयात-निर्यात ही इन मजदूर परिवारों के लिए रोजी-रोटी का एकमात्र साधन था, जो इस समय छिन चुका है।

कस्टम क्लीयरैंस एजैंटों ने भी शुरू की कर्मचारियों की छंटनी
आई.सी.पी. अटारी बार्डर पर पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं व पाकिस्तान जाने वाली वस्तुओं की क्लीयरैंस करवाने वाले दर्जनों कस्टम क्लीयरैंस एजैंटों में ज्यादातर छोटे क्लीयरैंस एजैंटों ने तो अपने दफ्तर बंद कर दिए हैं जो कुछ बड़े क्लीयरैंस एजैंट बचे हैं उन्होंने अपने कर्मचारियों की छंटनी करना शुरू कर दी है। क्लीयरैंस एजैंट ऐसा करने के लिए इसलिए मजबूर हैं क्योंकि पिछले 6 महीने से काम नहीं है। छंटनी किए जाने वाले कर्मचारियों को निकालते समय यह आश्वासन दिया जा रहा है कि जब आई.सी.पी. पर काम शुरू हो जाएगा तो फिर से उनको नौकरी पर रख लिया जाएगा। 

डैमरेज मामले में सी.डब्ल्यू.सी. ने दिल्ली हैडक्वार्टर से मांगी इजाजत
16 फरवरी के बाद से आई.सी.पी. अटारी पर डंप पड़े करोड़ों रुपयों के पाकिस्तानी सीमैंट, छुआरों व अन्य वस्तुओं के मामले में हाईकोर्ट की तरफ से सामान्य कस्टम ड्यूटी पर ही इन वस्तुओं को रिलीज करने का आदेश मिलने के बाद आई.सी.पी. अटारी बार्डर पर सी.डब्ल्यू.सी. विभाग ने भी दिल्ली हैडक्वार्टर से इन वस्तुओं को रिलीज करने संबंधी इजाजत मांगी है।  पिछले 6 माह से आई.सी.पी. अटारी बार्डर पर डंप पड़ी इन वस्तुओं पर लगभग 5 करोड़ रुपए का डैमरेज बन चुका है लेकिन व्यापारियों का तर्क है कि जब न्यायालय ने डंप पड़ी इन वस्तुओं पर 200 प्रतिशत कस्टम ड्यूटी को माफ कर दिया है तो वह गोदामों में पड़े माल का 6 माह का डैमरेज चार्ज क्यों भरें। यदि सी.डब्ल्यू.सी. के गोदामों में पिछले 6 महीने से करोड़ों रुपयों का सीमैंट, छुआरे व अन्य वस्तुएं डंप पड़ी हैं तो वह सरकार के गलत नोटीफिकेशन का नतीजा है। केन्द्र सरकार की तरफ से शाम को 7 बजे के बाद पाकिस्तानी वस्तुओं पर 200 प्रतिशत ड्यूटी का नोटीफिकेशन जारी किया गया था जबकि सुबह 9 से शाम 7 बजे तक भारी मात्रा में पाकिस्तानी सीमैंट व छुआरे का आयात हो चुका था। इस मामले में व्यापारियों ने सी.डब्ल्यू.सी. के खिलाफ भी अदालत में याचिका दायर करने का मन बना लिया है। इससे पहले कि सी.डब्ल्यू.सी. विभाग अदालती कार्रवाई भुगते, इससे बचने के लिए पहले ही सी.डब्ल्यू.सी. विभाग ने अपने दिल्ली स्थित हैडक्वार्टर में बैठे उच्चाधिकारियों से माल रिलीज करने के लिए इजाजत मांगी है। 

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