पंजाब में हिंदू नेताओं की अनदेखी कांग्रेस के लिए होगी खतरनाक साबित

punjabkesari.in Tuesday, Aug 10, 2021 - 12:04 PM (IST)

जालंधर(चोपड़ा): पंजाब में सिखों के बाद हिंदू सबसे बड़ा वोट बैंक हैं लेकिन कांग्रेस पर आरोप लगते आए हैं कि पार्टी में हिंदुओं की लगातार उपेक्षा की जाती रही है। राज्य की 39 प्रतिशत आबादी हिंदू वर्ग से संबंधित है, 117 विधानसभा हलकों में से 65 के करीब शहरी हलकों में हिंदू बड़ी संख्या में हैं।  राज्य में 1 करोड़ से ज्यादा आबादी होने के बावजूद कांग्रेस में हिंदुओं को उनके बनते हक के अनुसार तवज्जो नहीं मिल रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ हिंदू नेताओं का मानना है कि कैप्टन सरकार के पिछले साढ़े 4 वर्षों से उनकी अनदेखी पार्टी के लिए घातक साबित हो सकती है। 

कांग्रेस को शहरी सीटों पर जीत दिलाने में हिंदू वर्ग का बड़ा योगदान रहा था। यूं तो कैप्टन-सिद्धू टकराव में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र ने भी सिद्धू के प्रधान की कुर्सी की ओर बढ़ते कदम रोकने के लिए हिंदू कार्ड खेलते हुए सांसद मनीष तिवारी, कैबिनेट मंत्री विजयइंद्र सिंगला के नामों की चर्चा छेड़ी, वहीं अपने प्रतिद्वंद्वी माने जाते अश्विनी सेखड़ी को बिना शर्त समर्थन देते हुए उनका नाम भी प्रधान पद के लिए हाईकमान के सामने पेश किया लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने नवजोत सिद्धू की प्रधानगी पर मोहर लगा दी। अब मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रधान दोनों महत्वपूर्ण पद जाट बिरादरी के हाथों में आ गए हैं जिस कारण राज्य के हिंदू वर्ग में अंदरखाते रोष व्याप्त है।

बेशक सिद्धू प्रधानगी हासिल करने में बाजी मार गए परंतु कार्यभार संभालने के बाद से वह अभी तक हिंदू वर्ग की नब्ज नहीं टटोल पाए हैं। उन्होंने चिर-परिचित अंदाज में हाईकमान द्वारा सौंपे 18 सूत्रीय एजैंडे में से बरगाड़ी कांड, बिजली समझौतों सहित 5 सूत्रीय प्रमुख कार्यों का एजैंडा मुख्यमंत्री के समक्ष पेश किया परंतु वह अभी तक शहरी व हिंदू वर्ग की आवाज नहीं बन सके हैं। उन्होंने राज्य की बंद होती इंडस्ट्री और व्यापार के हालात पर चुप्पी साध रखी है। दूसरी तरफ कै. अमरेन्द्र द्वारा अश्विनी सेखड़ी को पंजाब हैल्थ सिस्टम्स कॉर्पोरेशन का चेयरमैन बनाने से पार्टी से लगातार विमुख किए जा रहे हिंदू नेताओं में आस बंधी है कि शायद अब कांग्रेस में सेखड़ी की भांति उन्हें भी मान-सम्मान मिलेगा।

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Vatika