अवैध खनन पर पंजाब सरकार की लीपापोतीः 3 महीने से धूल फांक रहा नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश

punjabkesari.in Saturday, Nov 23, 2019 - 12:26 PM (IST)

चंडीगढ़(अश्वनी): अवैध खनन के मामलों में पंजाब सरकार महज लीपापोती कर रही है। यहां तक कि नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एन.जी.टी.) के आदेश को भी कागजी औपचारिकताओं में उलझाया जा रहा है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने अवैध माइङ्क्षनग मामलों में सरकार को ठोस कार्रवाई करने के आदेश दिए थे लेकिन करीब 3 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। 

ट्रिब्यूनल ने अवैध खनन मामलों पर सुनवाई करते हुए माना था कि पंजाब में कई जगहों पर नियमों की अनदेखी करते हुए खनन किया गया। इस मामले पर ट्रिब्यूनल ने एक ज्वाइंट कमेटी का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट में पंजाब सरकार की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए थे। रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रदेश में कई जगहों पर सरकार की नाक तले ही अवैध तरीके से खनन किया गया। पंजाब सरकार ने कई ऐसी जगह खनन के लिए लीज पर दे दीं, जहां डिस्ट्रिक्ट सर्वे रिपोर्ट और रिप्लेनिश्मैंट स्टडी तक नहीं करवाई गई।इसी रिपोर्ट के आधार पर ट्रिब्यूनल ने अवैध खनन करने वालों से एक महीने के भीतर मुआवजा वसूलने का निर्देश जारी किया था। साथ ही मुख्य सचिव को कहा था कि वह खुद इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में प्रदेश के किसी भी कोने में अवैध खनन नहीं किया जाएगा। खनन विभाग के अधिकारियों की मानें तो विभाग को अब तक ज्वाइंट कमेटी की रिपोर्ट नहीं मिली है इसलिए कार्रवाई में देरी हो रही है। इसी कड़ी में अवैध खनन से जुड़े कई मामले उस समय के हैं, जब खनन विभाग इंडस्ट्री डिपार्टमैंट के अधीन था इसलिए इंडस्ट्री डिपार्टमैंट को पत्र भेजा गया है कि वह इन मामलों पर कार्रवाई करे।

पंजाब में बेकाबू खनन माफिया 
ट्रिब्यूनल की चेतावनी के बावजूद प्रदेश में अवैध खनन का सिलसिला बदस्तूर जारी है। पिछले 2 महीने में ही रोपड़, डेराबस्सी में अवैध खनन के कई मामले सामने आ चुके हैं। जुलाई 2018 से अगस्त 2019 तक की बात करें तो अवैध खनन के करीब 235 मामले रिपोर्ट हुए हैं। इससे पहले 2017 में करीब 1125, 2016 में 344 मामले रिपोर्ट हुए थे। जाहिर है कि पंजाब में खनन माफिया बेकाबू है। 

सरकार की नीलामी पॉलिसी पर सवाल
खनन माफिया पर नकेल के लिए सरकार ने रेत-बजरी की नीलामी का आगाज किया था लेकिन यह मामला भी सवालों के घेरे में है। हालत यह है कि सरकार ने अब तक रिप्लेनिश्मैंट स्टडी तक नहीं करवाई है। यह केंद्र सरकार द्वारा जारी सस्टेनेबल सैंड माइङ्क्षनग गाइडलाइंस, 2016 का उल्लंघन है। खास बात यह है कि नीलामी से पहले इस स्टडी का होना अनिवार्य है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल भी इस पर सवाल उठा चुका है। खनन विभाग के अधिकारियों की मानें तो आई.आई.टी. रुड़की को स्टडी की जिम्मेदारी दी गई है। जैसे ही रिपोर्ट आएगी, उसे लागू कर दिया जाएगा। 

राज्य में 196 माइनिंग साइट्स 
पंजाब खनन विभाग के अधिकारियों की मानें तो रेत-बजरी खनन की नीलामी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इनमें 196 माइनिंग साइट्स का ई-ऑक्शन किया गया है। इनमें से 109 माइनिंग साइट्स नदियों में हैं जबकि 87 माइङ्क्षनग साइट्स कृषि भूमि पर हैं। 15 जिलों में उपलब्ध इन माइङ्क्षनग साइट्स को लेकर सभी जिलों का डिस्ट्रिक्ट सर्वे प्लान तैयार किया जा चुका है। मुक्तसर और फिरोजपुर के सर्वे प्लान डिप्टी कमिश्नर के सुपुर्द किए जा चुके हैं। वहीं, मोगा का सर्वे प्लान माइङ्क्षनग ऑफिसर ने मंजूर कर दिया है। 

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