‘मां ही मंदिर, मां ही पूजा, उससे बढ़कर कोई न दूजा...’

punjabkesari.in Monday, May 14, 2018 - 10:45 AM (IST)

बस्सी पठाना (राजकमल): वर्ष 1991 में जतिंद्र और जया प्रदा अभिनीत हिंदी फिल्म मां के निर्माता अनिल शर्मा और निर्देशक अजय कश्यप द्वारा मां की ममता को बड़े ही करुणा भाव से दर्शकों के बीच पेश किया गया था। इस फिल्म में गायक मोहम्मद अजीज ने मां के महत्व पर बहुत ही सुंदर गीत ‘मां ही मंदिर, मां ही पूजा, मां से बढ़कर कोई न दूजा’ गाया था, जिसे सुनकर दर्शक भी भावुक हो जाते हैं। जो लोग इस गीत का सही मायने में मतलब समझते हैं, वही अपनी मां का सम्मान करते हैं। पर हमारे समाज में अभी भी बहुत से ऐसे लोग हैं जो विवाह के बाद मां की ममता को भूल जाते हैं और उसे एक बोझ समझने लग जाते हैं। अपनी मां के आशीर्वाद से बड़ी पोस्टों पर पहुंचे बड़े-बड़े अधिकारी भी मां की ममता और उसके हाथ की रोटी खाने के लिए बेचैन रहते हैं।

मां प्यार और त्याग की मूर्त होती है : विधायक जी.पी.
विधायक गुरप्रीत सिंह जी.पी. ने कहा कि मां के बिना जीवन संभव नहीं है और वह कई तरह के कष्ट सहते हुए अपने निजी स्वार्थों को त्याग कर तथा अपने दु:खों को भूल कर बच्चों का पालन-पोषण करती है। अपने बच्चों के सुख और खुशी के लिए मां कई तरह के दुखों व तकलीफों को भी खुशी से स्वीकार कर लेती है। मां के प्यार और त्याग का धरती पर दूसरा उदाहरण मिलना संभव नहीं है। इस संसार में मां की तुलना किसी और के साथ नहीं की जा सकती।

परिवार में मां का महत्व सबसे बढ़कर है। परिवार के अन्य सदस्य अपने निजी कार्यों में व्यस्त रहते हैं, परन्तु मां अपने बच्चों के लिए समर्पित रहती है। बच्चों को संस्कार प्रदान करने में मां का अहम योगदान होता है। उनको चरित्रवान व गुणवान बनाने में सबसे अधिक योगदान मां का होता है। जहां वह बच्चों को प्यार के साथ सुरक्षा और शक्ति प्रदान करती है वहीं डांट-डपटकर उसे गलत रास्ते पर जाने से भी रोकती है।

मां का सम्मान न करने वाला जीवन में कभी सफल नहीं होता : बलराज सिंगला

बस्सी पठाना स्थित वृद्ध आश्रम में रहते वृद्धों की सेवा यहां के प्रबंधकों द्वारा उनकेबेटे बनकर की जा रही है ताकि उन्हें यह कभी भी एहसास न हो कि उनका कोई नहीं है। आश्रम के प्रधान बलराज सिंगला, प्रोजैक्ट चेयरमैन सुनील रैना व सचिव मनधीर मोहन ने कहा कि मां का सत्कार न करने वाला इंसान जीवन में कभी सफल नहीं हो सकता।

परमात्मा ने इस धरती पर अपना रूप मां को ही बनाया है : डी.एस.पी. गिल
डी.एस.पी. नवनीत कौर गिल ने कहा कि वह अपनी मां से बहुत प्यार करती हैं, क्योंकि उन्होंने हमेशा उनका हर कदम पर साथ दिया है और उनके आशीर्वाद से ही आज वह इस मुकाम पर पहुंची हैं।उन्होंने कहा कि मां की कदर करने वाला इंसान ही जीवन में कामयाब होता है। जिंदगी में कभी भी कोई दुख-तकलीफ या मुसीबत आती है तो मां के आंचल में आकर इंसान सब कुछ भूल जाता है। उन्होंने कहा कि इस धरती पर परमात्मा ने अपना दूसरा रूप मां को ही बनाया है।

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