पंजाब में एक हफ्ते में पराली जलाने के 4036 मामले आए सामने

punjabkesari.in Wednesday, Oct 23, 2019 - 04:58 PM (IST)

शेरपुर(अनीश): चाहे पंजाब सरकार द्वारा पराली ना जलाने सबंधी विभिन्न माध्यमों द्वारा प्रचार किया जा रहा है परंतु बहुत से लोग ऐसे हैं जो इसकी उल्लंघना करते हैं और उनके खिलाफ  कोई कार्रवाई नहीं होती तथा वह फिर से उल्लंघनाओं के रास्ते पड़ जाते हैं। यहीं कारण है कि पराली को आग लगाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। पंजाब रिमोट सेंसिंग केंद्र के आंकड़ों अनुसार एक हफ्ते दौरान राज्य अंदर 4036 मामले विभिन्न जिलों अंदर पराली को जलाने के सामने आए हैं। अगर 22 अक्तूबर के आंकड़े देखे जाएं तो पंजाब में 570 स्थानों पर पराली जलाई गई। 

यहां वर्णनीय है कि पठानकोट एक ऐसा जिला है जहां आज तक कोई भी पराली को जलाने का केस सामने नहीं आया। आंकड़े बताते हैं कि अब तक अमृतसर में 639, बरनाला में 17, बठिंडा में 68, फतेहगढ़ साहिब में 97, फरीदकोट में 180, फाजिल्का में 79, फिरोजपुर में 376, गुरदासपुर में 308, जालंधर में 170, होशियारपुर में 30, कपूरथला में 153, लुधियाना में 60, मानसा में 105, मोगा में 71, मुक्तसर में 104, नवांशहर में 42, पटियाला में 484, रोपड़ में 15, मोहाली में 75, संगरूर में 124 और तरनतारन में 839 मामले सामने आए है।

दीवाली के बाद मालवा क्षेत्र में आग लगाने में आएगी तेजी
वर्णनीय है कि मालवा क्षेत्र में धान की कटाई का कार्य धीमी चाल पर चल रहा है और दीवाली के बाद धान की कटाई में एकदम तेजी आ जाएगी जिस कारण दीवाली के बाद क्षेत्र में धान की पराली को आग लगाने की घटनाओं में भी तेजी आ जाएगी।

बिना एस.एम.एस प्रणाली, बिना रोकटोक चल रही है कंबाईनें
राज्य सरकार ने आदेश जारी किए थे कि बिना एस.एम.एस प्रणाली के कंबाईनें धान की कटाई कर रही हैं। राज्य सरकार इस सबंधी आदेश दे चुकी हैं कि इन पर कानून अनुसार कार्रवाई की जाए। संगरूर व बरनाला क्षेत्र में यह कंबाईनें बिना एस.एम.एस प्रणाली चलती देखी गई। यह कंबाईनें अन्य क्षेत्रों में भी चल रही हैं। राज्य सरकार के किसी विभाग के पास ऐसा कोई आंकड़ा ही नहीं जहां यह बात अंकित हो कि राज्य अंदर कितनी कंबाईनों पर यह प्रणाली लग चुकी है। इस सबंधी किसानों का तर्क है कि वह मशीनरी रियायती दरों पर मुहैया की जाए जो प्रयोगी रूप में काम आती हो। इस मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है व इस सबंधी सांझी रसोई बनाकर कार्य किए जाएं और जो किसान पराली नहीं जला रहे, उन्हें विशेष सुविधाएं व सम्मान देने की जरूरत है।
 

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