श्रद्धा वर्सेज सियासत : समागम को सियासत का अखाड़ा बनाने में न अकाली चूके, न कांग्रेसी

punjabkesari.in Tuesday, Nov 27, 2018 - 08:26 AM (IST)

जालंधर (रविंदर): भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण किया जा रहा है। इससे पाकिस्तान में पड़ने वाले श्री करतारपुर साहिब का दर्शन करना बेहद आसान हो जाएगा। केंद्र सरकार ने पहल करते हुए सोमवार को इसका नींव पत्थर भी रख दिया। इस प्रोग्राम के दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। एक ही राजनीतिक मंच सजाया गया था, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि श्री गुरु  नानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर कोई सियासत नहीं की जा रही, बल्कि एकमात्र संदेश श्रद्धा व मिलन का दिया जा रहा है। लेकिन राज्य की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों ने इस श्रद्धा के इस मंच को भी सियासत का अखाड़ा बना डाला। 

नींव रखने से पहले शुरू हो गई सियासत
सियासत की शुरुआत तो सुबह नींव का पत्थर रखने और प्रोग्राम शुरू होने से पहले ही हो गई थी। नींव के पत्थर पटल पर जब इलाका विधायक सुखजिंद्र सिंह रंधावा ने अपने नाम के साथ पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर बादल का नाम देखा तो वह आग-बबूला हो उठे। उन्होंने अपने नाम व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के नाम के आगे काली टेप चिपकाकर अपना विरोध दर्ज करवा दिया। यहीं से लगने लगा था कि दोनों राजनीतिक पार्टियों के बीच कशमकश प्रोग्राम के दौरान भी जारी रहेगी। हुआ भी ऐसा ही। जब केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को स्टेज पर बोलने के लिए बुलाया गया तो उन्होंने 1984 का मुद्दा छेड़ दिया, जिस पर कांग्रेसी नेता विरोध करते नजर आए। सुखजिन्द्र सिंह रंधावा समेत अन्य कांग्रेसी नेता इस बात का विरोध कर रहे थे कि अकाली नेत्री इसे सियासत का मंच बना रही हैं।

जाखड़ ने रखा अकालियों की दुखती रग पर हाथ
इसके बाद कांग्रेसी भी कहां कम रहे। जब आखिरी में धन्यवाद भाषण के लिए इलाके के सांसद सुनील जाखड़ को बुलाया गया तो उन्होंने भी अकाली दल की दुखती रग पर हाथ रखते हुए पंजाब में फैले नशे का मुद्दा छेड़ दिया। बिना किसी का नाम लिए कहा कि किसी को बख्शा नहीं जाएगा। बस यह सुनते ही अकाली नेता बिक्रमजीत मजीठिया भड़क उठे और नारेबाजी शुरू हो गई। 

दोनों पार्टियों की सियासत में पिसते रहे उपराष्ट्रपति नायड़ू और केंद्रीय मंत्री गडकरी
यही नहीं, जब कुछ जत्थेदारों ने बादल परिवार को स्टेज पर देखा तो वे भी प्रोग्राम का बायकॉट कर चले गए। उनका आरोप था कि पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों को स्टेज पर क्यों बुलाया गया। कुल मिलाकर प्रोग्राम की शुरुआत से पहले ही शुरू हुई सियासत प्रोग्राम के आखिर तक जारी रही। इसमें पिसते रहे उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी। वे राज्य में दोनों राजनीतिक पार्टियों के बीच चल रही सियासत की इस कशमकश पर यह कहते देखे गए कि इस प्रोग्राम को श्रद्धा के तौर देखा जाए न कि सियासत के। 

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