भारतीय मुद्रा में फूटी कौड़ी से रुपए तक का इतिहास

punjabkesari.in Thursday, May 11, 2017 - 09:51 AM (IST)

लुधियाना (वर्मा): भारतीय मुद्रा का इतिहास बहुत पुराना है। मुगल शासन से लेकर आज तक भारतीय मुद्रा कैसे शुरू हुई, इसके बारे में कहा जाता है कि मुगल शासन के बाद भारतीय मुद्रा को समय-समय अनुसार विभिन्न प्रकार से जाना जाता रहा। सबसे पहले प्राचीन भारतीय मुद्रा फूटी कौड़ी से कौड़ी, कौड़ी से दमड़ी, दमड़ी से धेला, धेला से पाई, पाई से पैसा, पैसा से आना, आना से रुपया बना। अगर किसी के पास 256 दमड़ी होती थी तो वह 192 पाई के बराबर होती थी। 

प्राचीन मुद्रा में कई पुराने सिके रिज़र्व बैंक ने किए बंद

इसी तरह 128 धेला 64 पैसे व 16 आना 1 रुपए के बराबर होता था। वहीं 3 फूटी कौड़ी 1 कौड़ी, 10 कौड़ी 1 दमड़ी, 2 दमड़ी 1 धेला व डेढ़ पाई 1 धेला, 3 पाई 1 पैसा पुराना तथा 4 पैसा 1 आना होता था। उसके बाद 1, 2, 3, 5, 10, 20, 25, 50 पैसे, 1 रुपया तथा 2, 5, 10 रुपए का सिक्का भारतीय मुद्रा में शामिल हुआ। अब भारतीय मुद्रा में 50 पैसे और इससे पहले के सिक्के भारतीय रिजर्व बैंक ने बंद कर दिए हैं। 

प्राचीन भारतीय मुद्रा की इन्हीं इकाइयों ने हमारी बोलचाल की भाषा को कई कहावतें दी हैं, जो पहले की तरह अब भी प्रचलित हैं। जैसे अगर घर में किसी सदस्य को कुछ नहीं देना होता है, तब कहते हैं ‘एक फूटी कौड़ी नहीं दूंगा, धेले का काम नहीं करता, चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए, पाई-पाई का हिसाब लूंगा, सोलह आने सच’ आदि कहावतें हैं। 

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