अकाली दल में अंदरूनी कलह जारी, झूंदा कमेटी की रिपोर्ट को लेकर उठ रहे सवाल

punjabkesari.in Friday, Jul 29, 2022 - 11:05 AM (IST)

पटियाला (मनदीप जोसन): विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के इस्तीफे संबंधी चल रही अटकलों पर चाहे झूंदा कमेटी की रिपोर्ट कोर कमेटी में पेश करने के बाद विराम लग गया है। इसके बावजूद अकाली दल में अंदरूनी कलह जारी है। पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगमीत सिंह बराड़ ने कुछ समय पहले सुखबीर सिंह बादल को पंजाब में अकाली दल को मजबूत करने, लोगों का दिल जीतने और पूरे पंथ की एकता के लिए सभी पदाधिकारियों को नसीहत भेजी थी कि सुखबीर सिंह बादल सहित अपने पद छोड़ देने चाहिए। सीनियर नेता बलविंदर सिंह भूंदड़ की ड्यूटी पंथ में पूर्ण एकता लाने के लिए लगानी चाहिए परंतु ऐसा नहीं हुआ जिस कारण अंदरखाते अकाली दल की आग अभी सुलगती रहेगी। 

जगमीत बराड़ ने कहा कि यहीं बस नहीं अकाली दल को मजबूत करने के लिए कोर कमेटी के अध्यक्ष पी.ए.सी. के सभी पदाधिकारियों, जिला जत्थेदारों और सदस्यों सहित सभी प्रमुख संगठनों को पार्टी महासचिव या पार्टी के मुख्य संरक्षक को अपना इस्तीफा सौंपना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। गत दिन पहले हुई कोर कमेटी की बैठक में अकाली दल के कुछ वरिष्ठ नेताओं प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने भी झूंदा कमेटी की रिपोर्ट को सीधे कोर कमेटी में रखने पर सवाल उठाए।

वहीं जगमीत बराड़ द्वारा दिए गए सुझाव आज बाहर आने पर अकाली दल में 'सब ठीक नहीं है' का संकेत दे रहे हैं। बराड़ ने यह भी कहा कि 1973 में श्री आनंदपुर साहिब में 11 सदस्यीय कमेटी द्वारा तैयार किया गया आनंदपुर साहिब का मूल प्रस्ताव अगले 25 वर्षों के लिए मुख्य एजेंडा होना चाहिए। प्रस्ताव पारित हुए 49 वर्ष हो चुके हैं। वह सिखों के इस पवित्र और मुद्दे पर आधारित एजेंडे पर एक इंच भी आगे नहीं बढ़े हैं।

बराड़ ने 3 कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का भी सुझाव दिया

अकाली नेता जगमीत सिंह बराड़ ने भी सुखबीर सिंह बादल को माझा, मालवा और दोआबा पट्टी से 3 कार्यकारी अध्यक्षों की घोषणा करने की सलाह दी थी। इसके साथ ही कहा गया कि उन्हें तुरंत 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड का गठन करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।

पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल अधिकतम 10 वर्ष होना चाहिए

जगमीत सिंह बराड़ ने यह भी सलाह दी थी कि पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल किसी भी परिस्थिति में 10 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए। साथ ही सांप्रदायिक एकता की प्रक्रिया को तेज किया जाए ताकि जो महत्वपूर्ण नेता उन्हें छोड़ कर चले गए हैं, वे घर लौट सकें। वह उन्हें और पंथ को कुछ नाम सुझाता हूं जैसे रविंदर सिंह पूर्व स्पीकर, सुखदेव सिंह ढींडसा, बीरदविंदर सिंह पूर्व डिप्टी स्पीकर, बलवंत सिंह रामूवालिया, बरनाला परिवार, तलवंडी परिवार, टोहड़ा साहिब की विरासत, सुखदेव सिंह भोर, स्व. कैप्टन कंवलजीत सिंह का परिवार, दिल्ली के सरना परिवार, मंजीत सिंह जी.के. और कई अन्य अकाली नेताओं को साथ लाया जाना चाहिए लेकिन अभी यह संभव नजर नहीं आ रहा है, जिस कारण अकाली दल के लिए आने वाले दिन अच्छे नजर नहीं आ रहे हैं।

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News Editor

Urmila

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