महंगाई की मार: दालों के दामों में हुई 30 से 35 फीसदी वृद्धि

punjabkesari.in Tuesday, Jan 28, 2020 - 12:37 PM (IST)

संगरूर/अम्बाला शहर(पंकेस): सब्जियों के दामों में हो रही बढ़ौतरी के बाद अब रसोई का स्वाद खराब करेगी दालें। दालों के दामों में 30 से 35 फीसदी हुई वृद्धि ने गृहिणियों की रसोई का बजट बिगाड़कर रख दिया है जिसके चलते दिन में एक बार बनने वाली दाल के स्वाद पर भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है, वहीं दुकानदारों का कहना है ये रेट ऊपर होलसेल मार्कीट में बढ़े हैं वे तो एक रुपया अपना प्रॉफिट लेकर गुजारा कर रहे हैं। 

साथ ही उनका कहना है कि आटे के दामों में अब कमी आई है। देश और प्रदेश में दिनोंदिन बढ़ रही महंगाई ने लोगों की रसोई का बजट बिगाड़ कर रख दिया है। दालों के रेट भी 30 से 35 फीसदी बढ़ चुके हैं। 80 रुपए किलो वाली दाल 110 में मिल रही है और वहीं 60 किलो वाली दाल का भाव भी 85 रुपए हो गया है। दाल के दामों में ज्यादा उछाल मूंग, उड़द, मसूर में आया है। आम ग्राहकों का कहना है कि हर घर में रोजाना रात के समय सब्जी के साथ दाल जरूर बनती थी। लेकिन अब बेतहाशा बढ़े दालों के दाम ने भी आम लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। 

जो लोग पहले राशन में 2 से 4 किलो दाल खरीदा करते थे वे अब आधा किलो दाल खरीद कर अपना गुजारा करने पर मजबूर हैं। उनका कहना है कि सरकार का अब सब्जी हो या दाल किसी के मूल्य निर्धारण पर नियंत्रण नहीं रहा है और दुकानदार बिना वजह इनके रेट बढ़ाकर मुनाफा कमाने में लगे हुए हैं। सरकार को चाहिए कि वे इनके दामों में रोजाना हो रही वृद्धि पर अंकुश लगा, जिससे आम लोगों को राहत मिल सके।

महिलाएं सबसे ज्यादा चिंतित
बढ़ते दामों को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित महिलाएं है क्योंकि उन्हें ही रसोई चलानी होती है और हर महिला रसोई का एक बजट लेकर चलती है। डिम्पल, मंजीत, प्रियंका व रजनी नामक गृहिणियों का कहना है कि इस बढ़ती महंगाई में उनकी रसोई का बजट अब काफी बदल चुका है क्योंकि पहले वे रसोई में राशन ज्यादा रखती थी लेकिन अब उतना राशन नहीं लाया जाता। उन्होंने सरकार से भी ये मांग की जल्दी ही जरूरी सामान के दाम कम करे ताकि उनकी रसोई में फिर से बहार आ जाए। 

बढ़ते दामों में आढ़तियों व दलालों का हाथ
खाने पीने का सामान बेचने वाले हरीश कुमार, विनोद कुमार व सोनू आदि दुकानदारों का कहना है कि यह सब रेट जो है ऊपर से बढ़कर आते हैं और फिर वह तो केवल 1 से 2 रुपए मुनाफा लेकर ही अपना गुजारा करते हैं। उनका यह भी कहना है कि जो बेतहाशा बढ़ौतरी हो रही है उसमें आढ़तियों, दलालों का भी बहुत बड़ा हाथ है और साथ ही उनका कहना है कि जो दाल हैं वह भी सब्जी की तरह बाहर से आती है जिस पर ट्रांसपोर्ट सहित जी.एस.टी. का खर्चा अलग से पड़ जाता है। जिसके कारण इनके रेट बढ़ाना मुनासिब हो गया है। उनका कहना है कि अगर सरकार चाहे तो इनके रेट फिक्स कर सकती है लेकिन दुकानदारों ने तो 1 से 2 रुपए ही मुनाफा कमाना है। उनका कहना है कि सरकार ने आटे के दाम में कुछ कमी की है जिसका लाभ जल्दी ही लोगों को मिलने लग जाएगा। 

Edited By

Sunita sarangal