न्यू जैनरेशन के संग ‘व्हाइट पॉल्यूशन’ के खिलाफ जंग

punjabkesari.in Tuesday, Jun 18, 2019 - 03:17 PM (IST)

जालंधर (सोमनाथ): 3 जुलाई को ‘अंतर्राष्ट्रीय प्लास्टिक बैगमुक्त दिवस’ है। हर साल ‘व्हाइट पॉल्यूशन’ (प्लास्टिक) पर पाबंदी के लिए कड़े कदम उठाए जाने की बात उठती है। कानून तो बनाए गए लेकिन जब पहरा देने की बात आती है तो कुछेक दिन बाद सरकारें 50 माइक्रोन तक प्लास्टिक बैग इस्तेमाल करने की अनुमति दे देती हैं। ऐसा अकेले भारत में नहीं। प्लास्टिक की समस्या पूरे विश्व की समस्या है और हर देश इस समस्या से जूझ रहा है। 

इस समस्या का सामना कर रही न्यूजीलैंड सरकार ने 10 अगस्त से ‘न्यूजीलैंड सिंगल यूज प्लास्टिक बैग मुक्त’ देश बनाने का फैसला किया है। न्यूजीलैंड सरकार ने यह फैसला पिछले साल लिया था और कारोबारियों को 6 महीने का समय दिया था। बहरहाल जितने भी देशों ने प्लास्टिक बैग पर पाबंदी लगाई है उनमें 80 प्रतिशत तक ही उन्हें सफलता मिली है। कहीं पर लोगों की लापरवाही तो कहीं पर सरकारों के राजस्व का लालच इस समस्या को खत्म नहीं होने दे रहा है। 

हम अगली पीढ़ी को समस्या नहीं देना चाहते: जेसिंडा अर्डन
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डन और सहायक पर्यावरण मंत्री यूगेनी सागे ने यह कदम न्यूजीलैंड के 65,000 नागरिकों की अर्जी के जवाब में उठाया है। जेसिंडा ने कहा कि नीति धीरे-धीरे लागू की जाएगी ताकि न्यूजीलैंड के लोग परिवर्तन के आदी हो सकें। सागे ने कहा कि दुनिया भर के कई देशों ने प्लास्टिक प्रदूषण पर सफलतापूर्वक कार्रवाई की है। उन्होंने प्लास्टिक बैग को चलन से हटाने के लिए 6 महीने की अवधि का प्रस्ताव दिया है। जेसिंडा ने एक इंटरव्यू में कहा कि हम अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए यह समस्या छोडऩा नहीं चाहते। उन्होंने कहा कि एक अनुमान अनुसार न्यूजीलैंड हर साल 7500 लाख प्लास्टिक बैग का इस्तेमाल करता है। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार ने कारोबारियों को प्लास्टिक बैग्स खत्म करने के लिए 6 महीने का समय दिया था। इसके बाद पकड़े जाने पर 1 लाख डॉलर तक जुर्माना हो सकता है। प्लास्टिक बैन के पीछे के उद्देश्य पर इंटरव्यू में प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डन ने कहा कि प्लास्टिक पॉल्यूशन के बारे में उन्होंने न्यूजीलैंड के बच्चों की सुनी है। उन्होंने दोहराया कि प्लास्टिक हमारे कीमती तटीय और समुद्री वातावरण को प्रदूषित कर रहा है और सभी प्रकार के समुद्री जीवन को भी गंभीर नुक्सान पहुंचा रहा है। इसका मानव जीवन पर भी गंभीर असर पड़ रहा है। 

बांग्लादेश ने सबसे पहले लगाई थी पाबंदी
अकेले न्यूजीलैंड ही पहला देश नहीं है जो प्लास्टिक पर पाबंदी लगाने जा रहा है। इससे पहले बांग्लादेश ने सबसे पहले 2002 में प्लास्टिक बैन की थी। इसके बाद अब तक 14 और देश पाबंदी लगा चुके हैं और न्यूजीलैंड 15वां देश बनने जा रहा है। चीन, इसराईल, साऊथ अफ्रीका, नीदरलैंड, मोरक्को, केन्या, रवांडा, मौरिटानिया, श्रीलंका, पापुआ न्यू गिनिया, वनातु, अलबानिया और जॉॢजया भी इस तरह की पाबंदी लगा चुके हैं। 

किन देशों ने क्या कदम उठाए
ऊपर दिए गए देशों के अलावा कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने प्लास्टिक बैग छोडऩे की जिम्मेदारी अपने नागरिकों पर छोड़ रखी है और कोई इनका उपयोग करता है तो उसे कम से कम कुछ चार्ज सरकार को देना पड़ता है। इनमें यू.के. में यह अनिवार्य है कि यदि कोई प्लास्टिक बैग उपयोग करते हैं तो उसे प्रति प्लास्टिक बैग 5 पैंस अदा करने होंगे। वहीं आस्ट्रेलिया में कुछ सुपर मार्कीट ने स्वेच्छा से प्लास्टिक बंद कर दिया है। इसी तरह केन्या में प्लास्टिक के उपयोग पर 19,000 डॉलर तक जुर्माना और 4 साल की सजा का प्रावधान है।

Mohit