अकाली दल बचाना है तो सब कुछ छोड़कर साइड में हो जाएं सुखबीर बादल : किरणबीर सिंह कंग

punjabkesari.in Monday, Oct 03, 2022 - 01:25 PM (IST)

जालंधर : ऑल इंडिया यूथ अकाली दल के पूर्व प्रधान किरणबीर सिंह कंग ने सुखबीर बादल को सलाह दी कि उनको पार्टी के हालात देखते हुए प्रधानगी छोड़ देनी चाहिए तथा किसी और को मौका देना चाहिए। कंग के मुताबिक सुखबीर अच्छे इंसान हो सकते हैं परन्तु वह शानदार सियासतदान साबित नहीं हो पाए। उनकी अगुवाई में पार्टी निचले स्तर पर रही है। इस कारण सुखबीर को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने बादल परिवार को चुनौती दी कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बादल परिवार, उनके बच्चे, उनके साले तथा सालों के बच्चे भी चाहे सभी सीटों पर चुनाव लड़ लें, हमें कोई ऐतराज नहीं। अगर वे एक भी सीट जीत गए तो हम उनके साथ चलेंगे। पेश हैं पत्रकार रमनदीप सिंह सोढी द्वारा किरणबीर सिंह कंग के साथ की गई विशेष बातचीत के मुख्य अंश-

प्र. आप अपनी पार्टी के खिलाफ ही बोलते हैं इसके बावजूद आप पार्टी का हिस्सा हो क्या कहेंगे?
उ.
पार्टी के खिलाफ बोलने की बात नहीं है। बात है सच बोलने की। यदि जमीर मार लेंगे तो यह शरीर वैसे ही नाशवान है। यह तो खत्म ही हो गया समझो। यह तो उसका खेल है  जितने श्वास हैं उतना ही जीना है और कम से कम जितनी आपको इंसान के रूप में जिंदगी मिली है उसमें अपना जमीर न मरने दें। पार्टी में कई ऐसे भी हैं जो बोले उन्होंने भी लड्डू खाए थे इसलिए वे बोले। यदि लड्डू न खाए होते तो फिर बोलते तो उनका भी नुक्सान न होता। लड़ाई में कई वरिष्ठ नेता हैं जिनका मैं नाम नहीं लेता वह अपने अंदर झांक लें। लड़ाई वह भी प्रकाश सिंह बादल की लड़ते हैं और पुत्रवाद पर लड़ते हैं। 

प्र. आपके मतभेदों की वजह क्या है? और इसकी शुरूआत कैसे हुई?
उ.
मेरे कोई मतभेद नहीं है। मेरी तो सिद्धांतों की लड़ाई है। मैं तो साधारण फौजी परिवार से उठकर एक सर्कल प्रधान से शुरूआत की। फिर अपनी मेहनत व कुर्बानी के चलते यहां तक पहुंचा। कुछ बातें हैं जो हमारे लिए आंतरिक हैं। जिन पर मैंने सुखबीर बादल को समझाने की कोशिश भी की। सुखबीर बादल मेरा छोटा भाई है। यदि वह उस समय सुन लेते तो शायद यह हालात न देखने पड़ते जो आज अकाली दल के हैं। मैंने उनको बातचीत द्वारा कई बार समझाने की कोशिश भी की। बड़े बादल यह कह  देते थे कि अब सुखबीर बादल देख रहा है, उनसे बात कर लो। जब सुखबीर बादल से बात करता था तो वह सुन जरूर लेते थे और सुनने के बाद बात वहीं आ जाती थी। 

प्र. आप अपने सिद्धांतों पर प्रकाश डालिए?
उ.
सियासी तौर पर उनका ही नारा है ‘राज नहीं सेवा’ पर सेवा वाली अब कोई बात नहीं रह गई। जब आप सियासत को अपनी ब्रैड और मक्खन बनाएंगे तो यह तब तक ही है, जब तक चलेगी और उसके बाद ब्रैड को भी फंगस लग जाती है। जो आज अकाली दल को भी लग गई। 

प्र. सुखबीर कहते हैं कि पंजाब की तरक्की में सबसे बड़ा रोल उनका है?
उ.
यदि जमीन और जायदाद को गिरवी रख कर लग्जरी गाड़ी रख ली जाए तो उसको डिवैल्पमैंट नहीं कहा जा सकता। पूरे पंजाब को गिरवी रख कर आप डिवैल्पमैंट कहें तो वह ग्रोथ नहीं है। एक पोटैंशियल राज्य था उसके पोटैंशियल का प्रयोग करते। उसकी ग्रोथ में से डिवैल्पमैंट करो। वह डिवैल्पमैंट और ग्रोथ हैं। प्रोडक्ट तो वह है जिसकी रिटर्न आए। बिजनैसमैन सुखबीर बादल ने एम.बी.ए. की हुई है। आज राज्य में वित्तीय संकट है। यह क्यों हुआ। यह गलत नीतियों के कारण हुआ। पहले कर्ज लिया गया, फिर उसका ब्याज देते रहे, ऐसी डिवैल्पमैंट को क्या करना।
 
प्र. आपकी सुखबीर बादल से जान-पहचान कैसे हुई?
उ.
 हम इकट्ठे पढ़े हैं तथा मैं डी.ए.वी. कॉलेज में प्रैजीडैंट था और फिर यूनिवॢसटी में था। तब यूनिवॢसटी में हमारे साथ सुखबीर बादल पढ़ते थे। सुखबीर बादल बहुत सरल स्वभाव के थे, क्योंकि वहां शायद ही किसी को पता था कि मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का पुत्र हमारे साथ पढ़ रहा है। कई बार होता है जब आप ताकत में आ जाए तो आपको अच्छा नहीं लगता कि कोई आपको समझाए या फिर आसपास वाले कहेंगे कि यह तुझे समझाएगा। आप समझना चाहते हैं और कई बार आसपास वाले समझने नहीं देते। सियासी व गैर-सियासी तौर पर प्रकाश सिंह बादल तथा सुखबीर बादल में जमीन-आसमान का फर्क है। जैसे सोच, सियासत और कारोबार का। 

प्र. सुखबीर कहते हैं कि मेरा सारा कारोबार सार्वजनिक है?
उ.
बिल्कुल ठीक कहते हैं। सी.ए. प्रोफैशनल बहुत मिल जाते हैं जो ब्लैक मनी को व्हाइट करते हैं। हम इकट्ठे पढ़े हैं, कुंवारे समय सुखबीर शरीफ इंसान थे, थोड़ा-बहुत बदलाव उनके विवाह के बाद आया। वह बहुत ही बढिय़ा हैं। प्रकाश सिंह बादल के पुत्र को सारे अकाली दल ने अपना भी लिया था। बस नंबर 2 की लड़ाई लड़ते-लड़ते नंबर एक की लड़ाई हार गए। 

प्र. आज अकाली दल का भविष्य कैसे देखते हैं?
. अकाली दल बुरे दौर से गुजर रहा है तथा इसका भविष्य भी धुंधला लग रहा है। इतनी कुर्बानियों व शहादतों वाली गुरु घर से शुरू हुई पार्टी कोई सियासी पार्टी नहीं है। यह तो गुरुद्वारा लहर में से उठी पार्टी है जिन्होंने महंतों से गुरुद्वारों को आजाद करवाया है तथा लोगों के फतवे से इसको सियासी ताकत मिली है। इसके बाद ही अकाली दल सियासी पार्टी बनी। पर हमने अपनी मुख्य नींव तथा अपनी विचारधारा से अलग होकर अपनी बिल्डिंग खड़ी कर ली। यह बिल्डिंग बहुत बढिय़ा खड़ी हुई परन्तु इसके नीचे फाऊंडेशन नहीं थी।
 
प्र. आप पार्टी की कमियां भी जानते हैं, आप इसके लिए क्या कर रहे हैं?
उ.
मैं उनको यह सलाह दूंगा कि सब कुछ छोड़ देना चाहिए क्योंकि अकाली दल का प्रधान सिटिंग मैंबर पार्लियामैंट हो। 30,000 से ज्यादा वोटों से हारने वाला पार्टी प्रधान रहने का हकदार कैसे हो सकता है। अब किसी और को मौका देना चाहिए। 

प्र. जो एच.एस.जी.पी.सी. बन गई है दिल्ली बारे भी कहा जा रहा है कि इनके हाथों चली गई है। अब पंजाब की तैयारी है, इस तरह की सियासी बुद्धिजीवि बातें कर रहे हैं, आप इसे कैसे देखते हैं?
उ.
गलतियां हुई हैं, वे लोग भी हैं जिन्होंने मसंदों से गुरुद्वारों को छुड़वाकर इसका प्रबंध अकाली दल को सौंप दिया। कई ऐसे फैसले भी हैं जिनको आने वाले समय में उजागर करूंगा। प्रकाश सिंह बादल से सुखबीर बादल को बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। उन्होंने बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं। 5 बार मुख्यमंत्री बनना कोई आसान काम नहीं है। यह न तो हमारी पिछली पीढ़ी ने देखा है और न ही आने वाली पीढ़ी ने देखना है लेकिन वह पुत्र मोह में आकर नुक्सान करवा गए।

प्र. आप इतना कुछ बोलने के बावजूद पार्टी में हो। आपके पास कौन-सी छड़ी है?
उ.
यह मेरी ईमानदारी है। मेरे पास गंवाने के लिए कुछ भी नहीं है। मैंने पहले ही बहुत कुछ गंवा लिया है। इस तरह की कोई भी बात नहीं है कि इन्होंने मेरा कोई नुक्सान नहीं किया। मेरा नुक्सान भी इनके कारण हुआ है। इन्होंने मेरा नुक्सान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है पर मेरा विश्वास परमात्मा में है और उसकी रजा में ही रहना चाहिए।

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News Editor

Kalash