नदियों के प्रदूषण की जांच-पड़ताल अधर में लटकी

punjabkesari.in Monday, Oct 01, 2018 - 08:53 AM (IST)

 चंडीगढ़(अश्वनी): प्रदूषण की मार झेल रही नदियों की जल गुणवत्ता संबंधी जांच-पड़ताल अधर में लटक गई है। पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से सतलुज-ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ गया है। इसके चलते जांच कर पाना संभव नहीं हो पा रहा। उच्चाधिकारियों की मानें तो बारिश के पानी की वजह से सतलुज-ब्यास नदी के प्रदूषण का सटीक आंकड़ा मिल पाना संभव नहीं है। इसलिए वाटर क्वालिटी की मॉनीटरिंग के कार्य को 15 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। अब अक्तूबर के पहले या दूसरे सप्ताह में इसकी मॉनीटरिंग की जाएगी।

इसके चलते नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को सौंपे जाने वाले एक्शन प्लान में भी देरी हो सकती है। दरअसल, नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने राजस्थान की हनुमानगढ़ जिला परिषद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब की नदियों में प्रदूषण पर कड़ा संज्ञान लिया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि राजस्थान को पंजाब  से नहर के जरिए जो पानी सप्लाई किया जा रहा है, उसमें प्रदूषण की मात्रा काफी ज्यादा है। ऐसे में राजस्थान में नहर का पानी इस्तेमाल करने वालों पर गंभीर बीमारियों का संकट मंडरा रहा है।

इस पानी के पीने से कैंसर, हैपेटाइटस, पीलिया, पेट की बीमारी सहित चर्म रोग होने का खतरा पैदा हो सकता है। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस बाबत आदेश जारी करते हुए केंद्रीय पर्यावरण वन एवं वन्यजीव मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित पंजाब, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिए थे कि राजस्थान को पेयजल की सप्लाई करने वाली नदियों के प्रदूषण की जांच-पड़ताल की जाए। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड  वाटर एक्ट के तहत पंजाब को जारी कर चुका है निर्देश

पंजाब के जरिए राजस्थान को हो रही प्रदूषित पानी की सप्लाई पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी पंजाब को वाटर (प्रीवैंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन), एक्ट, 1974 के तहत निर्देश जारी कर चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने पिछले दिनों सतलुज दरिया की मॉनीटरिंग के दौरान पाया था कि दरिया का पानी हरीके पत्तन तक पहुंचते-पहुंचते काफी दूषित हो जाता है। 

सतलुज में जब लुधियाना के आसपास बुड्ढा नाला व पूर्वी बेईं नदी का संगम होता है तो पानी की गुणवत्ता गड़बड़ा जाती है। राजस्थान को पानी सप्लाई करने वाली राजस्थान फीडर व सरङ्क्षहद फीडर का पानी इस कदर दूषित है कि गुणवत्ता के पैमाने पर यह कहीं नहीं टिक पा रहा है। खासतौर पर बायोकैमीकल ऑक्सीजन डिमांड (बी.ओ.डी) व डीजॉल्वड ऑक्सीजन (डी.ओ) निर्धारित पैमाने से कहीं ज्यादा है। इसके चलते केंद्रीय बोर्ड ने पंजाब सरकार को 6 महीने के भीतर सतलुज दरिया के इंटर स्टेट बॉर्डर पर रियल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग सिस्टम लगाने के निर्देश दिए थे ताकि पानी की गुणवत्ता संबंधी निर्धारित पैमानों की पल-पल जांच की जाएगी। 

ट्रिब्यूनल के आदेश पर मॉनीटरिंग कमेटी का गठन
ट्रिब्यूनल ने 24 जुलाई, 2018 को नदियों के प्रदूषण संबंधी एक मॉनीटरिंग कमेटी का गठन किया था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि को इस कमेटी का नोडल ऑफिसर बनाया गया था। वहीं, पर्यावरणविद् बलबीर सिंह सीचेवाल सहित राजस्थान और पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि सहित पंजाब के शहरी विकास विभाग के प्रतिनिधि को भी शामिल करने के लिए कहा गया था। ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिए थे कि यह कमेटी प्रदूषण के मसले पर बैठकें करेगी और प्रदूषण नियंत्रण लेकर विस्तृत एक्शन प्लान तैयार करेगी। इसके अलावा निर्धारित समयावधि वाला शॉर्ट टर्म व लॉन्ग टर्म एक्शन प्लान भी तैयार किया जाएगा। मॉनीटरिंग कमेटी को 31 अक्तूबर तक एक्शन प्लान तैयार करने का समय दिया गया है।

डिजीटल मैपिंग की भी तैयारी
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उच्चाधिकारियों की मानें तो बेशक जलस्तर बढऩे से मॉनीटरिंग में देरी हो रही है लेकिन बोर्ड लगातार प्रदूषण नियंत्रण को लेकर कार्य कर रहा है। इसके तहत सतलुज-ब्यास नदियों में मिलने वाले तमाम बरसाती नालों और गंदे नालों की मॉनीटरिंग की जा रही है। साथ ही, इनके डिजीटल मैप भी तैयार किए जा रहे हैं। इसके लिए पंजाब रिमोट सैंसिंग सैंटर से मदद ली जा रही है। वहीं, नदियों में प्रदूषण फैलाने वाले सभी स्रोतों की निशानदेही की जा रही है, ताकि इनके सुधार की पहल हो। साथ ही, जितने भी ट्रीटमैंट प्लांट लगे हैं, उनकी वाटर क्वालिटी को भी चैक किया जा रहा है और भविष्य में लगने वाले ट्रीटमैंट प्लांट का भी प्लान तैयार किया जा रहा है।

हिमाचल सरकार को भी हिदायत
सतलुज दरिया में प्रदूषण को देखते हुए केंद्रीय बोर्ड ने हिमाचल सरकार को भी निर्देश जारी किए थे। इसके तहत पंजाब की तरह हिमाचल सरकार को भी सतलुज दरिया के इंटर-स्टेट बॉर्डर पर पानी की गुणवत्ता को परखना होगा। रियल टाइम वाटर क्वालिटी मॉनीटरिंग सिस्टम लगाने होंगे व इसकी पूरी रिपोर्ट केंद्रीय बोर्ड को भेजनी होगी। केंद्रीय बोर्ड ने यह भी कहा है कि बोर्ड के पास लगातार शिकायतें आ रही हैं कि अपस्ट्रीम स्टेट नदियों में प्रदूषित पानी को छोड़ रही हैं, जिससे डाऊन स्ट्रीम स्टेट को बहने वाला पानी प्रदूषित हो रहा है, इसलिए हिमाचल सरकार को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि नदियों के पानी को स्वच्छ बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। 

प्रदूषण के खिलाफ इस तरह जुड़ें मुहिम से
पंजाब केसरी द्वारा प्रदूषण के खिलाफ शुरू की गई मुहिम से सैंकड़ों लोग जुड़ रहे हैं। इस मुहिम से जुडऩे व सुझाव देने के लिए support@punjabkesari.net.in पर सम्पर्क करें। 

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