भाजपा के गले की फांस बन सकता है राजोआना की रिहाई का मुद्दा
punjabkesari.in Sunday, Jan 05, 2020 - 08:34 AM (IST)
लुधियाना(हितेश): पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में फांसी की सजा प्राप्त बलवंत सिंह राजोआना की रिहाई को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर गर्मा गया है जिसके तहत अकाली दल द्वारा खुलेआम समर्थन करने के बाद यह मुद्दा आने वाले दिनों में भाजपा के गले की फांस बन सकता है। यहां बताना उचित होगा कि राजोआना की फांसी की सजा पर अमल कुछ साल पहले एस.जी.पी.सी. की पटीशन पर ही रोका गया था लेकिन उसके बाद से राजोआना की सजा माफी का मुद्दा लगातार पैंडिंग चल रहा है। इसी बीच केंद्र सरकार द्वारा गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव के उपलक्ष्य में सिख कैदियों की सजा माफी के लिए जारी की गई लिस्ट में राजोआना का नाम भी शामिल कर दिया गया।
इस फैसले का बेअंत सिंह के परिवार द्वारा विरोध करते हुए कोर्ट में चैलेंज करने का ऐलान किया गया और उनके पोते रवनीत बिट्टू ने बतौर सांसद लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया जिस पर गृह मंत्री अमित शाह को राजोआना को रिहा न करने की बात कहनी पड़ी। बताया जाता है कि केंद्र सरकार द्वारा इस तरह यू टर्न लेने के पीछे खुफिया एजैंसियों का वह इनपुट बड़ी वजह रहा है जिसमें राजोआना की रिहाई के बाद भारत व विदेशों में बैठे कट्टरपंथी संगठनों की गतिविधियों में इजाफा होने की आशंका जाहिर की गई थी। अब रिहाई के फैसले पर अमल न होने के विरोध में राजोआना ने 11 जनवरी से भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान किया है जिसके बाद एस.जी.पी.सी. के प्रधान गोबद सिंह लौंगोवाल ने राजोआना की बहन से मिलकर कानूनी सहायता मुहैया करवाने का विश्वास दिलाया था।
इसी तरह अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल भी राजोआना की रिहाई के लिए प्रधानमंत्री व गृह मंत्री से मिलने का बिगुल बजाकर गए हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि पहले फैसला बदलने को लेकर अपनी सहयोगी पार्टी द्वारा बनाए जा रहे दबाव को लेकर भाजपा अब क्या स्टैंड अपनाती है।