भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुका है जालंधर निगम का ई-नक्शा पोर्टल
punjabkesari.in Wednesday, Jan 04, 2023 - 11:17 AM (IST)

जालंधर: पूर्व मंत्री तथा कांग्रेसी नेता नवजोत सिंह सिद्धू जब पंजाब के लोकल बॉडीज मंत्री थे, तब उन्होंने लोगों को सुविधा देने के उद्देश्य से राज्य भर के निगमों में ई-नक्शा पोर्टल लांच किया था ताकि लोग घर बैठे ही सी.एल.यू., एन.ओ.सी. तथा नक्शा पास करवाने संबंधी आवेदन आनलाईन ही अपलोड कर सकें और उन्हें दफ्तरों के धक्के खाने की जरूरत ही न पड़े। तब शायद नवजोत सिद्धू को भी अंदेशा नहीं था कि एक दिन यही ई-नक्शा पोर्टल भ्रष्टाचार का अड्डा बन कर रह जाएगा और लोगों को सुविधा देने की बजाय दुविधा का कारण बन जाएगा।
आज जालंधर नगर निगम के बिल्डिंग विभाग में इस पोर्टल को लेकर ऐसे हालात बने हुए हैं और निचले लैवल के कर्मचारी सी.एल.यू , एन.ओ.सी. तथा नक्शों से संबंधित ऑनलाइन आई को फाइलों को सिर्फ इधर-उधर करके ही लोगों को खूब परेशान कर रहे हैं। राहत भरी बात यह है कि बड़े अधिकारी इन ऑनलाइन आई फाइलों को पास या रिजैक्ट करने में ज्यादा समय नहीं लगाते परंतु निचले लैवल के कर्मचारियों पर कोई अंकुश न होने के कारण बदनामी नगर निगम और पंजाब सरकार की हो रही है।
मोनोपली बनाकर बैठे हुए हैं बिल्डिंग विभाग के पुराने अधिकारी
जालंधर निगम की बात करें तो यहां आम आदमी पार्टी ने सत्ता संभालते ही बिल्डिंग विभाग पर फोकस किया था और इसके ज्यादातर अधिकारियों को दूसरे शहरों में बदल दिया था क्योंकि जालंधर के बिल्डिंग विभाग से भ्रष्टाचार की बहुत ज्यादा शिकायतें प्राप्त हो रही थीं। तबादलों की इस सूची में कुछ ऐसे कर्मचारी रह गए थे जो जालंधर निगम में ही टिके रहे। अब ऐसे निचले लैवल के कर्मचारियों ने अपनी मोनोपली बना रखी है और ऑनलाइन आई फाइलों को लटकाने पर ही सारा ध्यान केंद्रित कर के बैठे हैं।
विजिलेंस की जांच हो तो कई कर्मचारी फंसेंगे
जालंधर नगर निगम के ई-नक्शा पोर्टल के माध्यम से आए आवेदनों को इधर-उधर करके या लटका कर कुछ कर्मचारी कितना भ्रष्टाचार कर रहे हैं, इसकी यदि विजिलेंस से जांच करवाई जाए तो कई ड्राफ्ट्समैन , बिल्डिंग इंस्पेक्टर और ए.टी.पी. लेवल तक के अधिकारी फंस सकते हैं। इस जांच के दौरान इन सभी के लॉग-इन पर आई शिकायतों का रिकार्ड तलब किया जाए । तब पता चलेगा कि कितनी फाइलें आटोजंप हुईं और कितनी शिकायतों को इन्होंने लंबे समय तक पेंडिंग रखा।
जालंधर निगम में एक मामला तो ऐसा है जहां एक ड्राफ्ट्समैन और बिल्डिंग इंस्पेक्टर ने ऑनलाइन आई नक्शे संबंधी फाइल को फुटबॉल की तरह किक मारे । 10 बार उसे अप्रूव तथा डिस्प्रूव किया गया और महीनों बाद भी वह फाइल वही की वही है । इस केस को सैंपल केस बनाकर विजिलेंस की जांच शुरू की जा सकती है।
सिर्फ अपनी जेब की चिंता , सरकारी खजाने का कोई फिक्र नहीं
जालंधर निगम के बिल्डिंग विभाग में बैठे कुछ कर्मचारियों को इस बात की कोई फिक्र नहीं कि जिस सरकारी खजाने से उन्हें लाखों रुपया प्रति महीना वेतन मिलता है , उस खजाने को भरने प्रति भी उनकी कोई जिम्मेदारी है। लाख-लाख रुपया वेतन लेने वाले कुछ कर्मचारी हर समय अपनी प्राइवेट जेब की चिंता में लगे रहते हैं और फाइलों को इसलिए लटका कर रखते हैं ताकि उन फाइलों का पीछा कर रहा शख्स उनकी मुट्ठी गर्म करे।
कहां गया पंजाब सरकार का राइट टू सर्विस एक्ट
पंजाब सरकार ने कई साल पहले राइट टू सर्विस एक्ट बनाया था जिसके चलते सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय की गई थी कि वह निश्चित अवधि में फाइलों को क्लियर करेंगे वरना उन्हें दंड भुगतना होगा। राइट टू सर्विस एक्ट की पालना हेतु डिप्टी कमिश्नर कार्यालय को अधिकृत किया गया था परंतु समय बीतने के साथ-साथ यह एक्ट बिल्कुल निष्प्रभावी हो चुका है ।
आज जालंधर निगम के बिल्डिंग विभाग में सैकड़ों ऐसी फाइलें पेंडिंग हैं जो राइट टू सर्विस एक्ट का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन करती हैं। पोर्टल के अनुसार जो फाइल अपने आप 5 दिन बाद आटोजंप हो जाती है, उसे भी बाद में डिस्प्रूव कर दिया जाता है जिससे फाइल वहीं की वहीं खड़ी रहती है। निगम के ड्राफ्ट्समैन, बिल्डिंग इंस्पैक्टर और ए.टी.पी. लैवल के अधिकारियों की लॉग-इन में जाकर यदि विजिलेंस जैसे विभाग आटोजंप हुई फाइलों की संख्या का पता लगाएं तो शायद उन्हें भी काफी हैरानी होगी ।
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