स्वच्छता सर्वेक्षण में लुधियाना, अमृतसर, बठिंडा निगमों से कहीं पीछे रह गया जालंधर

punjabkesari.in Saturday, Jun 23, 2018 - 09:16 PM (IST)

जालंधर(खुराना): मोदी सरकार के शहरी विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2018 के शुरू में देश के 4041 शहरों में स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता सर्वेक्षण करवाया गया था जिसकी रिपोर्ट आज जारी कर दी गई। रिपोर्ट के अनुसार जालंधर को सफाई के मामले में 215वीं रैंकिंग प्राप्त हुई है जबकि पहले स्थान पर पंजाब के शहर बङ्क्षठडा का नाम है जिसे 104वीं रैंकिंग मिली है।

जालंधर की बात करें तो यहां नगर निगम बङ्क्षठडा, मोहाली, लुधियाना, अमृतसर, फिरोजपुर, पटियाला नगर निगमों से काफी पिछड़ गया है। लुधियाना की रैंकिंग 137वीं है। और तो और रैंकिंग के मामले में होशियारपुर तथा निहालसिंहवाला जैसी छोटी म्यूनिसिपल कौंसिलें भी जालंधर से आगे निकल गई हैं।जालंधर ने सिर्फ पठानकोट और मोगा नगर निगम को पीछे छोड़ा है। इसके अलावा खन्ना, अबोहर, मालेरकोटला, बरनाला, मुक्तसर तथा बटाला नगर कौंसिलें भी जालंधर से पीछे हैं।

जालंधर निगम पास न स्टाफ, न मशीनरी
पंजाब सरकार द्वारा जालंधर निगम से किए जा रहे सौतेले व्यवहार का उदाहरण इसी से मिलता है कि जालंधर निगम के पास न तो समुचित स्टाफ है और न ही सफाई कार्यों में प्रयुक्त होने वाली मशीनरी। लुधियाना में इस समय 11 तथा अमृतसर में 9 चीफ  सैनेटरी इंस्पैक्टर काम कर रहे हैं जबकि जालंधर में सिर्फ 2। सैनेटरी इंस्पैक्टरों की बात करें तो लुधियाना व अमृतसर में 40-40 सैनेटरी इंस्पैक्टर कार्यरत हैं जबकि जालंधर में सिर्फ 14। प्रोसैसिंग प्लांट के नाम पर जालंधर के हाथ खाली हैं। कूड़ा ढोने वाली मशीनरी पर्याप्त संख्या में नहीं है। और तो और हर दूसरे-चौथे दिन कूड़ा ढोने वाली गाडिय़ां को डीजल-पैट्रोल नहीं मिलता जिस कारण पूरे शहर की सफाई ठप्प हो जाती है।

राजनीतिक इच्छाशक्ति की जबरदस्त कमी
जालंधर की लीडरशिप में सफाई व्यवस्था को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की भी जबरदस्त कमी देखने को मिल रही है। जिंदल कम्पनी ने यहां सॉलिड वेस्ट मैनेजमैंट प्रोजैक्ट शुरू किया था परन्तु राजनेताओं ने अपने हितों की खातिर न केवल उसे फेल किया बल्कि कम्पनी को दौड़ जाने पर भी मजबूर कर दिया। आज हालत यह है कि जालंधर पास कूड़ा फैंकने हेतु जगह तक नहीं है और जो स्विपिंग मशीनें चल रही हैं उनके भी बंद होने की नौबत आ गई है।

डायरैक्ट आब्जर्वेशन में निगम को मिले 90 प्रतिशत अंक
ऐसा नहीं है कि स्वच्छता रैंकिंग के मामले में जालंधर बेहद पिछड़ गया है। दरअसल प्रोसैसिंग प्लांट तथा ओ.डी.एफ. जैसी सुविधा न होने के कारण निगम को शून्य अंक मिले जबकि डायरैक्ट आब्जर्वेशन में निगम ने 1200 में से 1056 यानी 90 प्रतिशत अंक हासिल करके सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। सिटीजन पार्टीशिपेशन मामले में भी निगम को 1400 में से 761 अंक मिले।
 

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