बलवंत के घर पर मची चीखो-पुकार, गांव में पसरा सन्नाटा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 21, 2018 - 09:34 AM (IST)

जालंधर (महेश): साल 2011 में रोजी-रोटी कमाने ईराक गए थाना पतारा (देहाती पुलिस) के गांव ढड्डा के बलवंत राय पुत्र रौणकी राम की जैसे ही आज सुबह मौत की सूचना आई तो पूरा परिवार गमगीन हो गया और गांव में भी शोक की लहर दौड़ गई। परिवार 4 साल से उसके आने की राह देख रहा था। हालात ऐसे थे जैसे कि सन्नाटा सा पसर गया हो। 54 वर्षीय मृतक के परिवार में उसकी मां सिमरो देवी, पत्नी ज्ञान कौर, बेटे पवन कुमार, मुकेश कुमार, बेटी बिंदू के अलावा मृतक बलवंत राय के भाई जसविन्द्र पाल की हालत देखी नहीं जा रही थी।

ज्ञानी चमन लाल ढड्डा ने बताया कि 4 साल से परिवार इस इंतजार में था कि एक न एक दिन बलवंत राय उन्हें जरूर मिलेगा लेकिन इस तरह उसकी मौत की सूचना उन्हें मिल जाएगी, यह उन्होंने कभी सोचा तक नहीं था।  अंतिम समय बात करते हुए 15 जून, 2014 को फोन कट गया था। मृतक की बेटी की शादी हुई है लेकिन दोनों बेटे अभी कुंवारे हैं। बलवंत राय की मौत की सूचना जिस किसी को भी मिली, वह उनके घर पहुंचता गया। ज्ञानी चमन लाल ने बताया कि बलवंत बहुत ही मेहनती व ईमानदार था जो कि परिवार की बहुत फिक्र करता था। ईराक से पहले वह किसी और देश में भी गया था। 

बीच में ही छोड़ दी घर की तैयारी 
बलवंत राय के परिवार ने साल 2014 में उस समय ही अपने घर की तैयारी को बीच में छोड़ दिया था, जब उनकी बलवंत से बात होनी बंद हो गई थी।  

मां और पत्नी हुई बेसुध 
मृतक बलवंत राय की मां सिमरो व पत्नी ज्ञान कौर की चीखों की आवाज घर से काफी दूर तक सुनाई दे रही थी। मां और पत्नी से बलवंत का बिछोड़ा बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह एक तरह से बेसुध सी हो गई। दोनों को अन्य रिश्तेदारों तथा बेटी ङ्क्षबदू ने संभाला। पत्नी की लगातार बिगड़ती तबीयत को देखते हुए उन्हें लोगों के बीच से उठा लिया गया। 

बेटी की शादी करने के बाद गया था विदेश
बलवंत राय अपनी बेटी ङ्क्षबदू की शादी करने के बाद ही विदेश (ईराक) गया था। बेटी की शादी साल 2010 में हुई थी। बेटी ङ्क्षबदू ने कहा कि उसके पिता जैसे पिता हर किसी को नहीं मिलते। वह उनकी कमी को कभी भुला नहीं पाएगी। मृतक बलवंत के भाई जसविन्द्र पाल ने कहा कि सरकार उन्हें बलवंत को स्वदेश लाने के झूठे विश्वास देती रही। 

कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं आया दुख व्यक्त करने चुहड़वाली सुरजीत के घर
आदमपुर (दिलबागी): ईराक के मोसुल में लापता हुए 39 भारतीयों को आई.एस. के आतंकियों की ओर से मार दिए जाने की पुष्टि की खबर टी.वी. पर प्रसारित होते ही आदमपुर के निकटवर्ती गांव चुहड़वाली के सुरजीत मेनका के घर में माहौल गमगीन हो गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार  सुरजीत मेनका(30) पुत्र हंस राज मेनका निवासी चुहड़वाली जो 2 भाइयों व 1 बहन में सबसे बड़ा था, की शादी 28 फरवरी, 2008 को ऊषा रानी के साथ हुई। उसकी पत्नी ऊषा रानी सिलाई का काम कर अपने परिवार का गुजारा कर रही थी। उसका लड़का टविंश मेनका अभी 8 वर्ष का है। सुरजीत मेनका, जो मजदूरी करता था, 2013 में कुवैत गया।

सुरजीत की पत्नी ने बताया कि 15 जून, 2014 को उसको उसके पति का अंतिम बार फोन आया था। सुरजीत मेनका के साले मनजीत सिंह पुत्र वरिन्द्र सिंह निवासी माधोपुर ने बताया कि सुरजीत मेनका को पकड़ लिया गया व गाडिय़ों में बिठाकर जा रहे हैं। काफी समय से सुरजीत मेनका की कोई खबर नहीं मिल रही थी।  सुरजीत मेनका की माता हरबंस कौर व अन्य रिश्तेदारों ने कहा कि वे  सुरजीत मेनका के घर वापस आने की उम्मीद लगाकर बैठे थे पर आज मौत की खबर आ गई। सुरजीत मेनका के घर में अभी तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी दुख प्रकट करने नहीं पहुंचा। ब्लाक समिति सदस्य मीना कलसी व सतनाम कलसी सीनियर बसपा नेता ने परिवार से दुख प्रकट किया व सरकार से अपील की कि इस परिवार की सहायता की जाए।

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