जिसके लिए रिवाल्वर लेकर अदालत में घुसा, अब बिना परमिशन मिली बाजवा को वह सुरक्षा

punjabkesari.in Monday, May 14, 2018 - 09:00 AM (IST)

जालंधर  (रविंदर): शाहकोट से कांग्रेस प्रत्याशी लाडी शेरोवालिया के खिलाफ अवैध माइङ्क्षनग का केस दर्ज कर चर्चा में आए इंस्पैक्टर परमिंद्र बाजवा अब खुद कानूनी शिकंजे में फंस चुके हैं। भारी सुरक्षा में परमिंद्र बाजवा को सिविल अस्पताल के नशा छुड़ाओ केंद्र में भर्ती कराया गया है। सरकार का यह बताने का प्रयास है कि बाजवा नशे का आदी था और वह अपना मानसिक संतुलन खो चुका है। यह सब लाडी शेरोवालिया के खिलाफ दर्ज केस को कमजोर करने की एक कड़ी है। हैरानी की बात यह है कि अपनी जान को खतरा बताकर सुरक्षा की गुहार लगाने जो बाजवा रिवाल्वर लेकर अदालत परिसर में घुस गया था, उसी बाजवा को अब बिना परमिशन 30 के करीब सुरक्षा कर्मियों के कड़े पहरे में रखा गया है। 


शेरोवालिया के खिलाफ अवैध माइनिंग के केस से लेकर बाजवा की गिरफ्तारी तक का जो सफर चला है, उससे न केवल सरकार की जमकर किरकिरी हुई है, बल्कि पुलिस के भीतर एक अनुशासन न होने की पोल भी खुली है। शेरोवालिया पर दर्ज केस की पड़ताल करने की बजाय पुलिस अधिकारियों, प्रशासन व सरकार ने पूरी ताकत बाजवा को झूठा साबित करने व विपक्ष के हाथों में खेलने की तरफ लगा दी थी। केस दर्ज करने के बाद सरकार व अधिकारियों से बाजवा इस कदर डर चुका था कि कई दिन तक वह होटल के कमरे से बाहर ही नहीं निकला था और पूरी-पूरा रात शराब पीता रहा। होटल एम-1 छोडऩे के बाद बाजवा जब अपने घर कपूरथला चला गया था तो पुलिस अधिकारियों ने शहर के सभी होटलों को बाजवा की तस्वीर देते हुए गाइडलाइन्स जारी की थी कि वे किसी होटल में रुकना नहीं चाहिए, मगर अदालत परिसर के सामने एक होटल को यह गाइडलाइन नहीं पहुंची थी जिस कारण रात करीब 1 बजे हुलिया बदलकर इस होटल में बाजवा रुका था और सुबह तक शराब पीता रहा था। 


बाजवा पर शिकंजा लेकिन ड्यूटी में लापरवाही बरतने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं
इसी बीच बाजवा के इस होटल में होने की भनक पुलिस को लग चुकी थी और जैसे ही बाजवा को हिरासत में लेने के लिए पुलिस रवाना हुई तो बाजवा को भी इसकी सूचना मिल गई और वह निक्कर में ही इस होटल से भागता हुआ अदालत परिसर में रिवाल्वर के साथ पहुंच गया था व खुद की जान को खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी। अदालत परिसर में रिवाल्वर लेकर पहुंचे बाजवा ने जजों की सुरक्षा के प्रबंधों की पोल खोल कर रख दी थी। पुलिस ने रिवाल्वर अंदर ले जाने के मामले में बाजवा पर तो शिकंजा कस दिया, मगर ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले किसी भी मुलाजिम पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब बाजवा को भारी सुरक्षा के बीच नशा छुड़ाओ केंद्र में रखा गया है। सरकार व पुलिस को डर है कि अगर बाजवा को अब कुछ हुआ तो इसका सीधा ठीकरा सरकार पर फूटेगा। 


थाने में तैनाती से पहले एस.एच.ओ. के डोप टैस्ट की उठी मांग
इंस्पैक्टर बाजवा पर अब यह भी आरोप लगाया जा रहा है पिछले तकरीबन 2 साल से वह नशे का आदी था और इसका इलाज भी चल रहा था। हैरानी की बात है कि नशे के आदी एक एस.एच.ओ. को सरकार ने इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी क्यों सौंपी हुई थी। एक तरफ तो असला लाइसैंस के लिए सरकार ने सभी का डोप टैस्ट जरूरी कर दिया है, मगर थानों में तैनात इंस्पैक्टर जिनके हाथों में जनता की सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उन पर कोई निगरानी नहीं रखी जाती। सामाजिक संस्था रिफाइन फाऊंडेशन ने मांग की है कि हर थाने में एस.एच.ओ. तैनात करने से पहले सरकार पुलिस अधिकारियों का डोप टैस्ट करे। 


बाजवा का मानसिक संतुलन ठीक नहीं तो सरकार ने क्यों लगाया एस.एच.ओ.
पुलिस अधिकारियों व सरकार का अब दावा है कि शेरोवालिया पर केस दर्ज करने वाले इंस्पैक्टर परमिंद्र बाजवा का मानसिक संतुलन ठीक नहीं है। सवाल यह खड़ा होता है कि अगर बाजवा का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था तो उसे महत्वपूर्ण थाने की कमान क्यों सौंपी गई थी। सवाल यह भी है कि बाजवा को किसकी सिफारिश पर थाने का एस.एच.ओ. लगाया गया था। 

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