दीवाली के दूसरे दिन दिल्ली से ज्यादा जहरीली हुई जालंधर का हवा, 377 के पार पहुंचा प्रदूषण का स्तर

punjabkesari.in Tuesday, Oct 29, 2019 - 09:21 AM (IST)

जालंधर/अमृतसर(सोमनाथ, नीरज): दीवाली की रात करोड़ों रुपए के चले पटाखों और पराली की आग के कारण पंजाब में सांस लेना मुश्किल होने लगा है। प्रशासन की लाख कोशिशों के बावजूद रात देर तक पटाखे चलते रहे, वहीं सरकार की सख्ती भी पराली को जलाए जाने के मामले में कोई कमी नहीं कर पाई है।

पटाखों और पराली के धुएं के कारण आज सोमवार को जालंधर में प्रदूषण का स्तर दिल्ली के मुकाबले ज्यादा दर्ज हुआ। जहां दिल्ली में एयर पॉल्यूशन इंडैक्स(ए.क्यू.आई.) 368 दर्ज किया गया, वहीं जालंधर में यह स्तर 11 प्वाइंट बढ़ कर 377 तक जा पहुंचा, जबकि अमृतसर में ए.क्यू.आई. 337 दर्ज हुआ।  अमृतसर जिले की बात करें तो कुछ कम आबादी वाले इलाकों में ए.क्यू.आई. 300 व 325 के बीच भी रहा लेकिन शहरी आबादी में हवा बिल्कुल जहरीली हो गई। जिला प्रशासन की तरफ से दिए गए ग्रीन दीवाली के संदेश को ’यादातर लोगों ने नकार दिया। हालांकि पिछले वर्ष की तुलना पटाखे कम चले, इसका बड़ा कारण पटाखों की बिक्री के लिए सिर्फ 10 खोखे लगाना था। पटाखों के खोखों को भी पुलिस की तरफ से शाम 7.30 बजे बंद करवाया जाता रहा। बताते चलें कि मानव व पशु-पक्षियों के लिए 0 से 50 तक ए.क्यू.आई. अच्छा माना जाता है जबकि 350 से 400 का ए.क्यू.आई. सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है।


हाईकोर्ट के आदेशों की सरेआम उड़ी धज्जियां
हाईकोर्ट की तरफ से आदेश जारी किए गए थे कि रात 8 से लेकर 10 बजे तक ही पटाखे चलाए जाएं लेकिन किसी ने भी इन आदेशों का पालन नहीं किया। देर रात तक लोग पटाखे चलाते नजर आए। यहां तक कि पुलिस ने भी पटाखे चलाने वालों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है।

खर्चा भी पूरा नहीं कर पाए पटाखा व्यापारी
पटाखों की बिक्री के मामले में सिर्फ 3 दिन के लिए पटाखा मार्कीट के लाइसैंस जारी होने के कारण पटाखा व्यापारियों को भी मुनाफा नहीं हुआ है। ज्यादातर पटाखा व्यापारी अपने खर्चे भी पूरे नहीं कर पाए और सरकार को कोसते नजर आए।

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