क्या दिवाली पर नहीं जगमगाएगा जालंधर? 60 करोड़ खर्च करने के बाद भी...

punjabkesari.in Sunday, Oct 12, 2025 - 10:26 AM (IST)

जालंधर (खुराना) : दिवाली जैसे रोशनी के पर्व से ठीक पहले जालंधर शहर अंधेरे में डूबा नजर आ रहा है। शहर में स्ट्रीट लाइटों की हालत इतनी खराब है कि हजारों लाइटें बंद पड़ी हैं। करीब 60 करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट फेल साबित हुआ है। माना जा रहा है कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत सबसे बड़ा घोटाला इसी प्रोजैक्ट में हुआ है।

गौरतलब है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत पुरानी सोडियम लाइटों को उतारकर एल.ई.डी. लाइटें लगाने का काम किया गया था लेकिन इसकी निगरानी किसी अधिकारी ने नहीं की। ठेकेदार कंपनी ने अत्यंत घटिया तरीके से केवल लाइटें बदलने का काम किया। इसके चलते सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और पार्षदों ने इस प्रोजैक्ट और कंपनी की कार्यशैली पर गहरा रोष जताया। पंजाब सरकार ने इस प्रोजेक्ट का थर्ड पार्टी ऑडिट भी करवाया था, जिसमें कई गड़बड़ियां पाई गईं, परंतु न तो किसी अधिकारी पर कार्रवाई हुई और न ही जिम्मेदारी तय की गई।

अब नगर निगम प्रशासन एल.ई.डी. प्रोजैक्ट चलाने वाली इसी कंपनी को मेंटेनेंस का काम सौंपने जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इससे भी हालात में कोई सुधार नहीं आएगा, क्योंकि कंपनी की कार्यप्रणाली पहले ही बेहद निराशाजनक रही है।

कोहरे और धुंध में भी बढ़ेगी परेशानी

मौसम अब धीरे-धीरे ठंडा होने लगा है और नवंबर-दिसंबर में कोहरा और धुंध आम बात होती है। ऐसे में शहर की हजारों बंद स्ट्रीट लाइटों के कारण आने वाले दिनों में लोगों की दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। दुर्घटनाओं के बढ़ने का खतरा भी मंडरा रहा है।

लोग पहले ही टूटी सड़कों और खराब स्ट्रीट लाइट व्यवस्था से परेशान हैं और नगर निगम को कोस रहे हैं।

 विजीलैंस जांच भी अटकी हुई

एल.ई.डी. स्ट्रीट लाइट प्रोजेक्ट शुरू से ही विवादों में घिरा रहा है। कांग्रेसी विधायकों, मेयर और पार्षदों ने इस प्रोजेक्ट को भ्रष्टाचार से ग्रसित बताया, जबकि आप पार्टी के प्रतिनिधियों ने भी इसकी जमकर आलोचना की।

नगर निगम के पूरे पार्षद सदन ने इस प्रोजेक्ट की विजिलेंस जांच की सिफारिश की थी, जिसके बाद पंजाब सरकार ने इसकी जांच जालंधर विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी। लेकिन अब तक जांच में कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है, जिससे हालात सुधारने की बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं।

एल.ई.डी. प्रोजेक्ट में सामने आईं बड़ी गड़बड़ियां

करीब 30 हजार अतिरिक्त लाइटें लगा दी गईं, जिनकी चंडीगढ़ स्थित स्टेट लैवल कमेटी से मंजूरी ही नहीं ली।
पुरानी लाइटों को ऐसे ठेकेदार को सौंप दिया गया, जिसके पास टेंडर ही नहीं था ।
स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने कंपनी को फालतू भुगतान किया, जिसे बाद में सरकार को वापस वसूलना पड़ा।
गांवों में कम वॉट की लाइटें लगाई गईं, जो टेंडर की शर्तों का उल्लंघन था।
कंपनी ने काम में देसी तरीके अपनाए, कई स्थानों पर क्लैंप तक नहीं लगाए गए।
पूरे सिस्टम को अर्थिंग (ग्राउंडिंग) नहीं किया गया, जबकि यह टेंडर की अनिवार्य शर्त थी।

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News Editor

Urmila