जलियांवाला बाग के ‘शहीदों’ पर सियासत, शताब्दी समारोह के लिए पंजाब ने केन्द्र से मांगे 100 करोड़

punjabkesari.in Tuesday, Oct 09, 2018 - 09:06 AM (IST)

अमृतसर(स.ह.): जलियांवाला बाग के शहीदों पर सियासत होने लगी है। जहां पंजाब के निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने जलियांवाला बाग मैमोरियल ट्रस्ट को 100 करोड़ रुपए 13 अप्रैल 2019 को होने वाले शताब्दी श्रद्धांजलि समारोह के लिए भारत सरकार के मिनिस्ट्रिी ऑफ कल्चर से मांगे हैं। वहीं पिछले 8 सालों का खर्च और आमदन को ऑडिट करवाने के बाद यह रकम पंजाब सरकार को देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को अमृतसर के आर.टी.आई. एक्टिविस्ट एड. पी.सी. शर्मा ने चिट्ठी लिख कर देश के जनहित में गुहार लगाई है।

‘पंजाब केसरी’ से बातचीत करते हुए पी.सी. शर्मा कहते हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय से आर.टी.आई. से जवाब मांगा था कि जलियांवाला बाग मैमोरियल ट्रस्ट 2010 से अब तक कितनी बार बैठक हुई, कितना खर्चा हुआ और कितनी आमदन हुई, सरकार ने कब-कब और किन-किन चीजों के लिए पैसा दिया, उन पैसों का कहां-कहां खर्च किया गया। भारत सरकार व मिनिस्ट्रिी ऑफ कल्चर ने आर.टी.आई. के जवाब देने के लिए सैक्रेटरी एस.के. मुखर्जी को लिखित तौर पर जवाब देने के लिए कहा था, लेकिन उन्हें जवाब नहीं दिया जा रहा है। 27 सितम्बर को दोबारा प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है कि अगर 2010 से अब तक आय व खर्च का ब्यौरा नहीं दिया जाता है तो पंजाब सरकार के निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा शताब्दी समारोह को लेकर मांगे गए 100 करोड़ की राशि जारी न की जाए, क्योंकि शहीदों के नाम पर फंडों में ‘गोलमाल’ की आशंका आर.टी.आई. जवाब में झलक रही है, जनहित का मसला है और बात देश को आजादी दिलाने वाले शहीदों से जुड़ी है।

खास बात है कि जलियांवाला बाग मैमोरियल ट्रस्ट के पदाधिकारियों की टीम केन्द्र सरकार के अधीन होती है। मौजूदा प्रधानमंत्री मुख्य संरक्षण और विपक्ष पार्टी का मुखिया सदस्य होता है, ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब अधिकारियों की बैठक ही 2010 से नहीं हुई तो फिर पैसों का लेन-देन किस के आदेशों से किया जा रहा है।

शहीदों की याद में चलने वाला लाइट एंड साऊंड सिस्टम भी बंद
शहीदों की गाथा अमिताभ बज्जन की आवाज में देश-विदेश से आए पर्यटकों को सुनाने वाला लाइट एंड साऊंड सिस्टम भी बंद पड़ा है। ऐसे में कारण फंड नहीं है व्यवस्था की कमी है। इस पर ‘पंजाब केसरी’ से बीते दिनों जलियांवाला बाग मैमोरियल ट्रस्ट के सैक्रेटरी एस.के. मुखर्जी से बात की तो उन्होंने कहा था कि खातों का ऑडिट किया जाता है, लाइट एंड साऊंड सिस्टम खराब हो गया है, जिसे ठीक करवाया जा रहा है। 

जलियांवाला बाग का यह है इतिहास
श्री हरिमंदिर साहिब से सटा जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन रॉलेट एक्ट के विरोध में एक सभा हो रही थी, तभी जनरल डायर नाम के अंग्रेज ऑफिसर ने सभी पर गोलियां चलवा दी। अमृतसर के जिला प्रशासन के पास 484 शहीदों व जलियांवाला बाग के पास 388 शहीदों की सूची है। उधर ब्रिटिश हुकूमत के पन्नों में 200 लोगों के घायल होने, 379 लोगों के शहीद होने की बात स्वीकार की है, जिसमें 337 पुरुष, 41 नाबालिग लड़के, एक 6 सप्ताह का बज्जा शामिल है, जबकि अनाधिकारिक आंकड़ों में 1 हजार से ज्यादा लोग मारे गए और 2 हजार के करीब घायल होने की बात कह रहे हैं। 1997 में महारानी एलिजाबैथ व 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन शहीदों को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे, तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरॉन ने विजिटर्स बुक में लिखा था कि ‘ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी’।

100 साल को 6 माह बाकी, ‘शहादत’ को ‘शहीद’ का दर्जा नहीं
13 अप्रैल 1919 और 13 अप्रैल 2019 के बीच समय पंख लगाकर ऐसा उड़ा कि 100 साल अगले 6 महीने में पूरे हो जाएंगे। इन 100 सालों में 1947 में आजादी के बाद केन्द्र सरकार में सत्ता पर रहीं सरकारें जलियांवाला बाग के शहीदों पर सियासत ही करती रहीं। यही वजह है कि 100 साल पूरे होने में करीब 6 माह बचे हैं शताब्दी श्रद्धांजलि समारोह मनाया जा रहा है। लेकिन शहीदों को शहीद का दर्जा देने के लिए पंजाब सरकार व केन्द्र सरकार के बीच जो चिट्ठियों व सबूतों का आदान-प्रदान चल रहा है। अभी तक जलियांवाला बाग के शहीद तो ‘शहादत’ के लिए आजाद मुल्क में तरस रहे हैं।

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