शहीद ऊधम सिंह ने ‘जनरल डॉयर’ को नहीं ‘मायकल ओ ड्वायर’ को मारा था

punjabkesari.in Saturday, Apr 14, 2018 - 11:06 AM (IST)

अमृतसर: भारतीय किताबों में जलियांवाला बाग नरसंहार आज भी तोड़-मरोड़ कर पढ़ाया जा रहा है। किताबों में लिखा है कि शहीद ऊधम सिंह ने जलियांवाला बाग हत्याकांड अपनी आंखों से देख उसका बदला लेने की ठानी। 13 मार्च 1940 को उन्होंने लंदन के कैक्सटन हॉल में जनरल डॉयर को गोलियों से भून दिया। हालांकि यह सच नहीं है।

 

99 वर्ष बाद भी नहीं मिली शहीदों को शहादत
ऊधम सिंह ने जनरल डॉयर को नहीं, बल्कि ब्रिटिश लैफ्टीनैंट गवर्नर माइकल ओ ड्वायर को गलियों से भूना था, जबकि जलियांवाला बाग नरसंहार के दौरान गोलियां अपने सामने चलाने का आदेश ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड (जनरल डॉयर) ने दिया था।शहीद ऊधम सिंह को 31 जुलाई 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया था। उस समय भगत सिंह केवल 12 वर्ष के थे। भगत सिंह भी पैदल चलकर जलियांवाला बाग पहुंचे थे। जलियांवाल बाग हत्याकांड के 99 वर्ष बाद भी शहीदों को शहादत नहीं मिली है। अमृतसर के डिप्टी कमिश्रर कार्यालय में 484 शहीदों की लिस्ट है तो जलियांवाला बाग के पास 388 शहीदों की। ब्रिटिश राज ने इस घटना में 200 लोगों के घायल और 379 लोगों के शहीद होने के उल्लेख मिलते हैं। पंडित मदन मोहन मालवीय ने करीब 1300 लोगों के मारे जाने की तो स्वामी श्रद्धानंद ने 1500 लोगों के मारे जाने की बात कही थी। अमृतसर के तत्कालीन सिविल सर्जन डा. स्मिथ ने 1800 लोगों के मारे जाने की बात दोहराई थी। 13 अप्रैल 1919 की जलियांवाला बाग की घटना को लेकर विश्वव्यापी निंदा हुई तो 1920 में ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डॉयर को इस्तीफा देना पड़ा। 1927 में जनरल डॉयर की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। 


जनरल डॉयर ने ली थी किला गोबिंद गढ़ में ‘पनाह’ 
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद जनरल डायर ने किला गोङ्क्षबद गढ़ में पनाह ली थी। कई दिन छुपे रहने के बाद वह लाहौर गए थे। इतिहासकार देवदर्द बताते हैं कि जनरल डायर की मौत गंभीर बीमारी (एड्स) के चलते 1927 को हो गई थी, जबकि शहीद ऊधम सिंह ने ‘मायकल ओ ड्वायर’ को मारा था जोकि तत्कालीन जनरल डायर के बॉस थे।


बच्चे बोले, शहीद ऊधम सिंह ने जनरल डॉयर को मारा था
अंजता सीनियर सेकेंडरी स्कूल के आरुषि, राज, हरलीन, गुंजन, रौनक, रुद्राक्ष, प्रिया, जतिन, कृष्णा व रक्षित कहते हैं कि शहीद ऊधम सिंह ने जनरल डॉयर को मारा था। बच्चों के संग जलियांवाला बाग आई स्कूल टीचर रमनीत कौर कहती हैं कि हमें भी किताबों में यही पढ़ाया गया था, लेकिन बाद में पता चला कि जानकारी गलत थी।

गुरदेव ने लौटा दी थी ‘उपाधि’ 
जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गुरुदेव रविन्द्रनाथ टैगोर ने अंग्रेजों की दी हुई ‘नाइटहुड’ की उपाधि लौटा दी थी। इसी घटना के बाद अंग्रेजों के पैर भारत से उखडऩे लगे, वहीं जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद अंग्रेज भारत छोड़ो व असहयोग आंदोलन चलाया गया।

मदन मोहन मालवीय को भूला जलियांवाला बाग 
जलियांवाला बाग के आसपास रहने वाले सीनियर सिटीजन ए.पी. सिंह, जे.आर. भाटिया, शिवकांत तांतिया, रवि मोहन, बैजनाथ, पी.पी. मक्कड़ कहते हैं कि भारत रत्न मदन मोहन मालवीय पहले शख्स थे जो जलियांवाला बाग कांड के कुछ देर बाद पहुंचे थे। उन्होंने ही जलियांवाला बाग में यादगार बनाने के लिए जमीन खरीदने की बात की थी। सेवा समिति का गठन जलियांवाला बाग के घायलों को देखकर उन्होंने किया था, लेकिन आज बाग ही नहीं समाज भी उन्हें भूल गया है।

Vatika