भारत के बंटवारे के लिए जिन्हा ही जिम्मेदार, न की कांग्रेस: प्रो. लाल

punjabkesari.in Thursday, Aug 09, 2018 - 06:57 PM (IST)

अमृतसर(कमल): पंजाब के पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने दलाईलामा के बयान जिन्ना पी.एम. बनते तो नहीं होता भारत का बंटवारा पर सख्त टिप्पणी करते कहा कि दलाईलामा एक बुद्धिमान धर्म गुरू हैं और उन्हें धर्म की मर्यादाओं की सीमा में रहना चाहिए। न की ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करना और गढ़े मुर्दे उखाडऩे चाहिए। हकीकत में देश के बंटवारे के लिए न तो पंडित नेहरू, न तो सरदार पटेल और न ही मौलाना आजाद और न ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तथा न ही देश की समूची कांग्रेस पार्टी बंटवारे के हक में नहीं थी।

क्योंकि हिंदू और मुसलमान पिछली कई शताब्दियों से बड़े भाईचारे और आपसी सहयोग और सोहार्द से मिलकर रह रहे थे। यद्यपि उनके धर्म अलग-अलग थे। परंतु उनकी संस्कृति भारतीय ही थी। महान भारत हिंदू कुछ पर्वत से लेकर ब्रह्मा तक था। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और सारे देश में एक ही संस्कृति थी, परंतु धीरे धीरे कुछ लोगों ने दूसरे धर्मों को स्वीकार करना शुरू कर दिया। आज का अफगानिस्तान पूरा पाकिस्तान, बलुचिस्तान, बंगलादेश पहले भारत के ही अंग थे। 

प्रो. लाल ने कहा कि भारत के बंटवारे की नींव अंग्रेजों ने 1906 में रख दी थी। जब गर्वनर जनरल मिंटो ने आगा खां को मुस्लिम लीग बनाने के लिए कहा था। क्योंकि कांग्रेस के बढ़ते हुए दबाव से अंग्रेज परेशान थे और उन्होंने कांग्रेस को कमजोर करने के लिए मुस्लिम लीग की स्थापना करवाई। ताकि मुसलमानों को कांग्रेस से अलग रखा जाए। इससे पहले 1905 में उन्होंने हिंदू बहुल और मुस्लिम बहुल बंगाल का बंटवारा कर दिया। 

जिसके परिणामस्वरूप देश के हिंदू और मुसलमानों ने मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ खुलकर लड़ाई लड़ी और 1911 में फिर बंगाल का एकत्रिकरण किया गया। मोहम्मद अली जिन्हा मुस्लिम लीग के प्रेजीडेंट रहे और 1916 में पंडित मोती लाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्हा में समझौता हुआ। कांग्रेस यह चाहती थी कि हिंदू और मुस्लिम इस देश में इकटठे रहें। 1920 में कांग्रेस ने मुसलमानों को साथ रखने के लिए खिलाफत आंदोलन चलाया। ताकि मुस्लमानों को देश की मुख्यधारा में रखा जाए। 


 

Des raj